दिल्ली की सड़कों को सभी के लिए सुरक्षित बनाने और जान बचाने के लिए डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन (डीडीसी) ने सिग्नेचर ब्रिज पर एक महीने तक चलने वाले ‘टैक्टिकल अर्बनिज्म ट्रायल’ की शुरुआत की है। सामरिक शहरीकरण परीक्षणों के जरिए डीडीसी दिल्ली के खतरनाक चौराहों पर सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए काम कर रहा है।
सिग्नेचर ब्रिज पर 2018 और 2021 के बीच 53 सड़क दुर्घटनाएं और 17 मौतें हुई थीं। इस परिक्षण परियोजना के तहत नए सिरे से डिजाइन किया गया और इन परिवर्तनों से ब्रिज पर सुरक्षित पैदल यात्री क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र की उपलब्धता में 83 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। मर्जिंग और डाइवर्जिंग के कोण और एप्रोच लेन को कम करने का पुल पर दुर्घटना संभावित स्थलों को कम करने पर क्या प्रभाव पड़ा है इसका निर्धारण 6 नवंबर, 2022 को परीक्षण समाप्त होने के बाद किया जाएगा।
दिल्ली में किया जा रहा यह पांचवां ‘टैक्टिकल अरबनिस्म’ परीक्षण है। इसके पहले भलस्वा चौक, राजघाट चौराहे, गांधी विहार और बुरारी चौक में ऐसे परीक्षण किये गए थे, ताकि दिल्ली में सबसे घातक चौराहों को सुरक्षित बनाया जा सके। साथ ही बड़े पैमाने पर जन जागरूकता अभियान से लोगों में सड़क सुरक्षा की समझ को बढ़ायी जा सके।
राजघाट चौराहे पर किये गए परिक्षण ने पैदल चलने वालों की दुर्घटनाओं में 32% और वाहनों की दुर्घटनाओं में 81 फीसदी की कमी आयी है। इसी तरह, भलस्वा चौक पर, टैक्टिकल रिडिजाइनिंग ने तेज गति वाले यातायात के साथ पैदल चलने वालों की दुर्घटनाओं में 50% की कमी आयी। बुराड़ी चौक पर हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप पैदल यात्रियों के जोखिम से 51% और हादसे होने के समय में 52% की कमी आई। इन परीक्षणों के निष्कर्षों के आधार पर सरकारी एजेंसियों को स्थायी बदलाव का सुझाव दिया गया है। सेवलाइफ फाउंडेशन (एसएलएफ), बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस, दिल्ली परिवहन विभाग और पीडब्ल्यूडी (मध्य और पूर्वोत्तर) और दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) सहित अन्य एजेंसियां इन परीक्षणों को अंजाम देने के लिए मिलकर काम कर रही हैं।
ऐसे बदलावों का समर्थन करने की आवश्यकता के बारे में बताते हुए डीडीसी उपाध्यक्ष जस्मीन शाह ने कहा कि सड़क सुरक्षा एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक सुरक्षा मुद्दा है। दिल्ली सरकार इसके लिए अद्वितीय, अभिनव समाधान खोजने के लिए लगातार प्रतिबद्ध है। डीडीसी ने दिल्ली@2047 पहल के तहत ‘टैक्टिकल अर्बनिज्म’ परीक्षणों की परिकल्पना की है, जो दिल्ली को नंबर 1 बनाने के सीएम अरविंद केजरीवाल के दृष्टिकोण को साकार बनाने के लिए काम कर रही है।
इन परीक्षणों का उद्देश्य दिल्ली की सड़कों पर समस्याओं की पहचान के बाद समाधानों के लिए प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट का प्रस्ताव करना है। इससे लाखों लोग लंबे समय तक प्रभावित होंगे। इस तरह के कम लागत वाले समाधान सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्या को कम कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सिग्नेचर ब्रिज भारत में एक वास्तुशिल्प मील का पत्थर है। इसे पूरे भारत में सड़क सुरक्षा के लिए एक बेंचमार्क भी बनना चाहिए। मैं इस दृष्टि को वास्तविकता बनाने के लिए सेव लाइफ फाउंडेशन और बीएसईएस यमुना को दिल्ली सरकार से हाथ मिलाने के लिए बधाई देता हूं। पिछले 4 वर्षों में यहां दुर्भाग्य से, 53 सड़क दुर्घटनाएं और 17 मौतें हुई हैं। हम दिल्ली @2047 आदि पहलों के जरिए सभी वाहन चालकों के लिए सड़कों को सुरक्षित बनाएंगे।
दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज, भारत का पहला एसिमेट्रिकल केबल-स्टे ब्रिज है, जिसका नवंबर 2018 में उद्घाटन किया गया। इसे पर्यटक आकर्षण और लोगों की यात्रा के समय को कम करने के रूप में शुरू किया गया। सिग्नेचर ब्रिज वजीराबाद को यमुना पार से जोड़ता है।
पुल पर दुर्घटनाओं के संभावित कारणों को पहचानकर उन्हें दूर करने वाले निम्न उपायों को अपनाया गया है
ओवर-स्पीडिंग: ट्रांसवर्स बार मार्किंग (टीबीएम) के 9 सेटों का उपयोग पुल के मुख्य कैरिजवे के साथ गति कम करने के लिए किया गया है। ये मोटर चालकों को गति कम करने के लिए बाध्य करेंगे। ड्राइव करते समय गड़गड़ाहट महसूस करने पर गति को कम कर देंगे।
वाहन रोकने के लिए सुरक्षित स्थान की कमी- समर्पित पिक-अप और ड्रॉप-ऑफ क्षेत्र प्रदान किए गए। इसके अलावा, कैरिजवे से दूर वाहनों के अल्पकालिक ठहराव के लिए स्थान प्रदान किया।
विलय और विचलन पर दुर्घटना: अस्थायी उपायों जैसे स्प्रिंग पोस्ट, रोड डाइटिंग/सड़क ज्यामिति सुधार, विचलन और विलय कोणों में कमी के माध्यम से दुर्घटनाओं में कमी की गई।
सूचना साइनेज की कमी: खतरनाक मार्करों, दिशात्मक संकेतों, सूचनात्मक संकेतों, अंडर-सर्विलांस साइनेज और गलत साइड मूवमेंट को प्रतिबंधित करने वाले साइनेज लगाए। इसके अलावा क्षैतिज दिशात्मक संकेतों को भी चित्रित किया गया है।
रोशनी की कमी:
खजूरी खास के क्षेत्र में रोशनी की कमी देखी गई। इसके अलावा सड़क किनारे की रेखाओं का सीमांकन किया गया।
सामरिक शहरीकरण (टीयू) सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए शहरी बुनियादी ढांचे, सड़क डिजाइन और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं का एक जमीनी परीक्षण है। यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साबित हो चुकी तकनीक है। यह ब्लैक स्पॉट के परीक्षण में मदद करती है। पैदल चलने वालों, साइकिल चालकों के लिए उन्हें सुरक्षित बनाती है।
इन परीक्षणों में एक अनिवार्य घटक मोडल इक्विटी, रोड ज्योमेट्रिक्स मॉडिफिकेशन, ट्रैफिक चैनलाइजेशन, वाहनों की गति में कमी और पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षा बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करने के लिए सड़क स्थान पुनर्वितरण है। जनता की प्रतिक्रिया का दस्तावेजीकरण करने के बाद, यदि परीक्षण अपने लक्ष्य में सफल होता है, तो इसे उपयुक्त अधिकारियों द्वारा कार्यान्वयन के माध्यम से स्थायी बनाया जा सकता है।
सिग्नेचर ब्रिज पर सड़क सुरक्षा की स्थिति के बारे में विस्तार से बताते हुए उत्तर और मध्य जिला के डीसीपी ट्रैफिक चंद्र कुमार सिंह ने कहा कि उद्घाटन के बाद सिग्नेचर ब्रिज पर विशेष रूप से माल/वाणिज्यिक वाहनों और दोपहिया वाहनों की अत्यधिक गति देखने को मिली। जबकि वहां गति सीमा एचसीवी के लिए 40 किमी प्रति घंटा और कारों के लिए 60 किमी प्रति घंटा है।
एसएचओ तिमारपुर त्रिभुवन नेगी ने कहा कि दिन के साथ-साथ रात के समय भी कई सड़क दुर्घटनाएं और मौतें हुई हैं। इस परीक्षण के दौरान किए गए अतिरिक्त गति कम करने वाले उपायों के माध्यम से ओवर-स्पीडिंग को कम करने में मदद मिलेगी। सभी सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए पुल सुरक्षित होगा। यह महत्वपूर्ण है कि मोटर चालक इन गति शांत करने वाले उपायों और संकेतों का संज्ञान लें और सभी के लिए सुरक्षित आवागमन के लिए उनका सही उपयोग करें।
सेवलाइफ फाउंडेशन के सीईओ पीयूष तिवारी ने कहा कि भारत में सड़क दुर्घटनाएं, मौत और विकलांगता का एक महत्वपूर्ण कारण हैं। एसएलएफ के ‘जीरो फैटलिटी कॉरिडोर’ मॉडल के तहत, सड़क दुर्घटनाओं और इसके परिणामस्वरूप होने वाली मौतों को कम करके जीवन बचाने के लिए सर्वोत्तम संभव समाधान का पता लगाने के लिए डेटा और साक्ष्य का उपयोग किया जाता है। इन उपायों को स्थायी बनाने के लिए सिद्ध समाधान दिल्ली सरकार के साथ साझा किए जाते हैं। हम दिल्ली में सड़क सुरक्षा में सुधार की दिशा में साथ काम करने के लिए डीडीसी, बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड, दिल्ली पुलिस, दिल्ली परिवहन विभाग, पीडब्ल्यूडी (मध्य और पूर्वोत्तर) और डीटीटीडीसी के आभारी हैं।