दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने एक बार फिर दिल्ली की हवा जहरीली होने पर केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। सोमवार को फिर दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स सुबह 9 बजे ही 450 के पार चला गया जो कि इमरजेंसी जैसी स्थिति है। श्री बिधूड़ी ने आज एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने सिर्फ घोषणाएं कीं और जमीनी स्तर पर प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए एक भी ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने उपराज्यपाल से मांग की है कि वह स्थिति में हस्तक्षेप करें और दिल्ली को सांसों के संकट से बचाएं। प्रेसवार्ता में प्रदेश प्रवक्ता श्री हरीश खुराना एवं श्री विरेन्द्र बब्बर उपस्थित थे।
श्री बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में स्मॉक गन लगाने का बड़ा प्रचार किया और मशीनों द्वारा सड़कें साफ करने को भी प्रदूषण पर नियंत्रण का बड़ा कदम बताया। कनॉट प्लेस में लगाई गई स्मॉक गन बंद पड़ी है और स्वीपिंग मशीनें कारगर साबित नहीं हुई। पूरी दिल्ली में मुख्य सड़कें टूटी पड़ी हैं लेकिन उन्हें नया बनाना तो दूर, उनकी मरम्मत तक नहीं हो रही। टूटी सड़कों की धूल का ही यह नतीजा है कि दिल्ली के प्रदूषण में सबसे ज्यादा हिस्सा पीएम 2.5 और पीएम 10 का है। इसके अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार के लिए भी दिल्ली सरकार पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 15 हजार बसों का वादा किया था लेकिन डीटीसी के बेड़े में 3760 बसें ही रह गई हैं जोकि अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट विश्वसनीय न होने के कारण लोग अपनी गाड़ियां सड़कों पर लाने के लिए मजबूर हैं जोकि प्रदूषण बढ़ाने में मददगार साबित हो रही हैं। दिल्ली सरकार के पास न कोई विजन है और न ही कोई योजना।
श्री बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल केवल झूठे प्रचार से अपनी पीठ थपथपाते रहते हैं जिसका नतीजा यह है कि दिल्ली की जनता जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर है। उन्होंने उपराज्यपाल श्री वी.के. सक्सेना से अनुरोध किया है कि वह स्थिति में हस्तक्षेप करें और दिल्लीवालों को बेमौत मरने से बचाएं क्योंकि यह सरकार तो कोई ठोस कदम उठाने में पूरी तरह विफल हो चुकी है।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता श्री हरीश खुराना ने कहा कि केजरीवाल सरकार का खुद मानना है कि सर्दियों के समय में दिल्ली में वायू प्रदूषण का सबसे बड़ा वाहन प्रदूषण कारण है। 1 करोड़ 34 लाख वाहन आज दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रही है और जब सरकार आई थी तब वाहनों की संख्या 90 लाख 91 हज़ार थी। यानि दिल्ली की यातायात व्यवस्था इतनी जर्जर हालात में है कि लोग खुद की गाड़ी खरीदने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने 10 स्मोक टॉवर लगाने की बात कर एक स्मोक टॉवर लगाया है और उसे लगाने में 22 करोड़ 91 लाख रुपये खर्च कर डाले। जबकि उसके मेंटेन का खर्च सिर्फ मार्च, अप्रैल और मई में 2 करोड़ 58 लाख 387 रुपये है लेकिन बावजूद उसके वह चल नहीं रहा है।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के प्रदूषण के कारण का पता लगाने के लिए 1 करोड़ 58 लाख रुपये खर्च कर स्टडी ग्रुप बनाने की बात कही जिसके लिए 3 जुलाई को 1 करोड़ 20 लाख भुगतान भी कर दिया गया और ठीक एक साल के बाद 9 जुलाई को वही स्टडी ग्रुप को कैंसिल भी कर दिया गया। ऐसे में दिल्ली की प्रदूषण की बदतर स्थिति को लेकर केजरीवाल सरकार कितनी सिरीयस है, यह अपने आप में सवाल है।