दिल्ली के अस्पतालों में महीनों तक चली दिक्कत वित्त विभाग के प्रमुख सचिव की वजह से हुई, उन्होंने याचिका समिति को झूठ बोला और गुमराह किया- सौरभ भारद्वाज

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  • याचिका समिति ने प्रमुख वित्त सचिव के इस रवैया पर कठोर कार्रवाई की अनुशंसा के साथ मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा- सौरभ भारद्वाज

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के एमएस ने कहा कि पूरी गलती वित्त विभाग के प्रमुख सचिव एएस वर्मा की है, फाइल पर ऐसी टिप्पणी लिख दी जिसकी वजह से दिक्कत हुई- सौरभ भारद्वाज

  • याचिका समिति ने वित्त विभाग के प्रमुख सचिव से शपथ दिलाकर जानकारी मांगी तो कहा कि मैं यह जानकारी नहीं दूंगा क्योंकि मेरे पास यह संबंधित फाइल नहीं है, जबकि फाइल उनके पास में मौजूद थी- सौरभ भारद्वाज
  • याचिका समिति के सामने झूठ बोलने का मामला विशेषाधिकार समिति के सामने जाएगा, इसके अलावा अन्य गलतियों की रिपोर्ट विधानसभा में रखी जाएगी- सौरभ भारद्वाज
  • इसके संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय और लोकसभा स्पीकर को लिखा जाएगा कि इस तरह के अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, हम भी इनके ऊपर कार्रवाई करेंगे- सौरभ भारद्वाज
  • विशेषाधिकार समिति शपथ लेकर झूठ बोलने के मामले में इन्हें जेल भेज सकती है और कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश कर सकती है- सौरभ भारद्वाज

दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति के सदस्य सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में दवाइयों और ओपीडी कार्ड बनाने वालों की तनख्वाह संबंधी दिक्कत वित्त विभाग के प्रमुख सचिव की वजह से हुईं थी।
समिति को झूठ बोला और गुमराह किया। याचिका समिति ने प्रमुख वित्त सचिव के इस रवैया पर कठोर कार्रवाई की अनुशंसा के साथ मामला विशेषाधिकार समिति को भेज दिया है। दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के एमएस ने कहा कि पूरी गलती वित्त विभाग के प्रमुख सचिव एएस वर्मा की है। फाइल पर ऐसी टिप्पणी लिख दी जिसकी वजह से दिक्कत हुई। याचिका समिति ने वित्त विभाग के प्रमुख सचिव से शपथ दिलाकर जानकारी मांगी तो कहा कि मैं यह जानकारी नहीं दूंगा क्योंकि मेरे पास यह संबंधित फाइल नहीं है, जबकि फाइल उनके पास में मौजूद थी। याचिका समिति के सामने झूठ बोलने का मामला विशेषाधिकार समिति के सामने जाएगा। इसके अलावा अन्य गलतियों की रिपोर्ट विधानसभा में रखी जाएगी। इसके संबंध में एमएचए और लोकसभा स्पीकर को लिखा जाएगा कि इस तरह के अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। हम भी इनके ऊपर कार्रवाई करेंगे। विशेषाधिकार समिति से शपथ लेकर झूठ बोलने के मामले में इन्हें जेल भेज सकती है। इसके अलावा कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश कर सकती है।

दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने आज सरकारी अस्पतालों में डाटा एंट्री ऑपरेटर के काम पर नहीं आने के मामले पर सुनवाई की। याचिका समिति के सदस्य सौरभ भारद्वाज ने इस संबंध में बताया कि कई दिनों से शिकायत थी कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में डाटा एंट्री ऑपरेटर ओपीडी का कार्ड बनाते हैं। जिसके बाद उन्हें पता चलता है कि किस डॉक्टर के पास जाना है। वह लोग कई महीनों से अस्पताल में सेवाएं नहीं दे रहे हैं। पिछली बैठकों में वित्त और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिवों को बुलाया, उन्होंने सारा दोष मेडिकल सुप्रीटेंडेंट पर डालना चाहा। इसलिए आज हमने करीब 3 दर्जन अस्पतालों के एमडी और मेडिकल सुप्रीटेंडेंट को बुलाया। उनकी गवाही शपथ दिलाकर ली गई कि उनके यहां ओपीडी कार्ड बनाने वाले डाटा एंट्री ऑपरेटर क्यों नहीं आ रहे। अस्पतालों में क्यों ओपीडी कार्ड के लिए लंबी कतारें लगी हुई थीं और क्यों हाहाकार मचा हुआ था। सभी एमएस ने कहा कि पूरी गलती वित्त विभाग के प्रमुख सचिव एएस वर्मा की है। उन्होंने फाइल पर ऐसी टिप्पणी लिख दी, जिसकी वजह से महीनों तक अस्पतालों के अंदर ओपीडी कार्ड बनाने वाले लोग नहीं थे।

उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ वित्त विभाग के प्रमुख सचिव एएस वर्मा दो घंटे बाद कमेटी में आए। कई बहाने बनाने के बाद कमेटी के सामने पेश हुए। उनसे शपथ लेकर जब जानकारी मांगी गई तो कहा कि मैं यह जानकारी नहीं दूंगा, क्योंकि मेरे पास यह संबंधित फाइल नहीं है। जब समिति ने कहा कि उस फाइल को लेकर आएं तो उन्हीं के साथ मौजूद डिप्टी सेक्रेटरी फाइल को ले जाने लगे की मैं फाइल लेकर आ रहा हूं। वह बोले कि मैं सचिवालय से फाइल लेकर आ रहा हूं। जब समिति ने उनके हाथ में मौजूद फाइल को चैक किया तो वह वही फाइल थी जिसके लिए प्रिसिंपल फाइनेंस सेक्रेटरी कह रहे थे कि मेरे पास फाइल नहीं है। यानि कि शपथ लेने के बावजूद समिति से झूठ बोलकर गुमराह कर रहे थे। वह फाइल जो उनके सामने रखी थी, उसके लिए कह रहे थे कि वह फाइल मेरे पास नहीं है। मुझे सचिवालय से उसे मंगवाना पड़ेगा। जबकि वह फाइल सामने पकड़ी गई।

विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सभी ने देखा कि वित्त विभाग के प्रमुख सचिव किस तरह से समिति से झूठ बोल रहे थे। पिछली तीन बार से समिति को गुमारह कर रहे थे। हर बार कहते थे कि मुझे यह बात याद नहीं है। इस तरह का कंडक्ट सामने आने के बाद समिति ने फैसला किया कि इनका मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा जाएगा। इन्होंने जिस तरह से गरीब मरीजों को महीनों तक परेशान किया, इस बारें में एमएचए और लोकसभा के स्पीकर को लिखा जाएगा कि इस तरह के अधिकारियों पर कंडक्ट के लिए कार्रवाई की जाए। ऐसे अधिकारियों के ऊपर हम तो कार्रवाई करेंगे ही, आप भी कुछ सोचें।

वित्त विभाग के प्रमुख सचिव एएस वर्मा का कंडक्ट काफी बुरा था। समिति के सदस्यों को बेइज्जति करने के इरादे से उनकी बॉडी लैंग्वेज बहुत ही ज्यादा खराब थी। जब समिति के अध्यक्ष उनसे बात कर रहे थे तब वह इधर-उधर देख रहे थे। इसके अलावा फाइल पास में होने के बावजूद कहना कि मुझे याद नहीं है और फाइल मेरे पास नहीं है। यह मामला न सिर्फ विशेषाधिकार हनन का है बल्कि यह पर्जरी का भी है।

उन्होंने कहा कि याचिका समिति की पिछले कुछ बैठकों में मोहल्ला क्लीनिक के अंदर तनख्वाह नहीं मिल रही है। इसके लिए वित्त विभाग के प्रमुख सचिव जिम्मेदार हैं। दिल्ली जल बोर्ड के अंदर ठेकेदारों को पैसा नहीं मिला। इसलिए वह काम बीच में छोड़कर चले गए। इसके लिए वित्त विभाग के प्रमुख सचिव जिम्मेदार हैं। अस्पतालों में दवाइयां नहीं मिल रही हैं, डाटा एंट्री ऑपरेटर नहीं हैं, ओपीडी कार्ड नहीं बन पा रहे हैं, इसके लिए भी वित्त विभाग के प्रमुख सचिव जिम्मेदार हैं। जिस तरह से फाइनेंस सेक्रेटरी का आचरण सामने आया है और जिस तरह से समिति के सामने झूठ बोल रहे हैं, उससे यह दो अलग प्रकार के मामले हो जाते हैं। उनकी तरफ से जो झूठ बोला गया है वह विशेषाधिकार का मामला है। ऐसे में यह विशेषाधिकार समिति के सामने जाएगा। इसके अलावा अन्य गलतियों की रिपोर्ट विधानसभा में रखी जाएगी। इसके जरिए उनकी सजा का प्रावधान किया जाएगा।
विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सभी मेडिकल सुप्रीटेंडेंट ने ऑन ओथ बताया है कि यह काम वित्त विभाग की वजह से रूका हुआ है। वित्त विभाग को फाइल पर लिखकर बताया कि अस्पतालों में दिक्कत हो रही है। यह बात स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव ने भी ऑन ओथ कही की हमने वित्त विभाग के प्रमुख सचिव एएस वर्मा को बार-बार बताया कि हमें दिक्कत हो रही है। वहीं वित्त विभाग के प्रमुख सचिव एएस वर्मा कह रहे हैं कि हमें किसी ने बताया ही नहीं है। इसका मतलब की यह जानबूझकर किए गए काम हैं। गरीब जनता को सताने के लिए वित्त विभाग के प्रमुख सचिव ने यह काम किया। यह बहुत ही निंदनीय और शर्मसार करने वाला कार्य है। दिल्ली सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं हैं। दिल्ली सरकार के पैसा खर्च करने से पहले वित्त विभाग के पास फाइल जाती है। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव हर फाइल पर ऑब्जेक्शन लगाकर हर कार्य को रोक देते हैं। विशेषाधिकार समिति इसके लिए इन्हें जेल भेज सकती है और कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश कर सकती है।

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