- एसबीवी राउज एवेन्यू स्कूल में सीएम अरविंद केजरीवाल ने रियल टाइम के आधार पर प्रदूषण की पहचान के लिए सुपर साइट और मोबाइल एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन का किया शुभारंभ
- अब दिल्ली में हर घंटे पता चलेगा कि कहां, किस वजह से प्रदूषण है और अगले 3 दिन का घंटे के आधार पर पूर्वानुमान भी पता चलेगा- अरविंद केजरीवाल
- इससे हमें किसी भी एरिया में वाहन, इंडस्ट्री और बायोमास बर्निंग की वजह से होने वाले प्रदूषण का पता चलेगा और उससे लड़ने में मदद मिलेगी- अरविंद केजरीवाल
- रियल टाइम पर प्रदूषण के विश्लेषण से पता चलता है कि दिल्ली में बाहर का प्रदूषण एक तिहाई, बायोमास का एक चौथाई और वाहनों का 17-18 फीसद है- अरविंद केजरीवाल
- दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए ईवी पॉलिसी लांच की, हजारों नई ई-बसें खरीदी, ग्रीन कवर बढ़ाकर 23.6 फीसद किया, रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ कैंपेन चलाया- अरविंद केजरीवाल
- दिल्ली सरकार की तरफ से प्रदूषण कम करने के लिए उठाए गए कई क़दमों की वजह से पिछले 5 साल की तुलना में इस साल दिल्ली में प्रदूषण सबसे कम रहा- अरविंद केजरीवाल
-यह प्रोजेक्ट दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की तरफ से आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली और टेरी के सहयोग से शुरू किया गया
दिल्ली में अब एक निश्चित समय पर प्रदूषण के वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा। दिल्ली में आज से रियल टाइम आधार पर प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करने की शुरूआत हो गई है। ऐसा करने वाला दिल्ली देश का पहला राज्य बन गया है। एसबीवी राउज एवेन्यू स्कूल में सीएम अरविंद केजरीवाल ने रियल टाइम बेसिस पर प्रदूषण के स्रोतों की पहचान के लिए सुपर-साइट और मोबाइल एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन का शुभारंभ किया। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब हमें रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी से हर घंटे पता चलेगा कि कहां, किस वजह से प्रदूषण है और अगले 3 दिन का घंटे के आधार पर फोरकास्ट भी पता चलेगा। इससे हमें किसी एरिया में वाहन, इंडस्ट्री और बायोमास बर्निंग की वजह से होने वाले प्रदूषण का पता चलेगा और उससे लड़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि रियल टाइम पर प्रदूषण के विश्लेषण से पता चलता है कि दिल्ली में बाहर का प्रदूषण एक तिहाई है, जबकि बायोमास का एक चौथाई और वाहनों का 17-18 फीसद है। हमने दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए ईवी पॉलिसी लांच की, हजारों नई ईलेक्ट्रिक बसें खरीदी और ट्री कवर बढ़ाकर 23.6 फीसद करने के साथ रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ कैंपेन चलाया। इन प्रयासों की वजह से पिछले 5 साल की तुलना में इस साल दिल्ली में प्रदूषण सबसे कम रहा। इस अवसर पर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय, पर्यावरण सलाहकार रीना गुप्ता और संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
प्रदूषण को कम करने के लिए हमने हजारों ई-बसें खरीदीं और उम्मीद है कि 2025 तक दिल्ली में 80 फीसद बसें इलेक्ट्रिक होंगी- अरविंद केजरीवाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज ‘युद्ध, प्रदूषण के विरुद्ध’ के तहत रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के सुपरसाइट और एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग के लिए मोबाइल स्टेशन की शुरूआत की। एसबीवी राउज एवेन्यू स्कूल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने फीटा काटकर इसे हरी झंडी दिखाई। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारी सरकार प्रदूषण को लेकर बहुत ज्यादा गंभीर है। जब से दिल्ली में ‘‘आप’’ की सरकार बनी है, प्रदूषण खत्म करने के लिए कई सारे प्रयास किए गए हैं। मसलन, दिल्ली इलेक्ट्रिक पॉलिसी बनाई गई। आज पूरे देश में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन दिल्ली में हैं और हम अपने निर्धारित लक्ष्य को भी पार कर गए हैं। दिल्ली के अंदर सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने के लिए मेट्रो चल ही रही है। पहले दिल्ली में बसों की कमी थी, लेकिन अब बसों की पूरी करते जा रहे हैं। पिछले एक-डेढ़ साल के अंदर हमनें कई हजार बसें खरीदी हैं और आने वाले समय में कई हजार और बसें खरीदी जाएंगी। उम्मीद है कि 2025 करीब 11 हजार बसें हो जाएंगी। इसमें से करीब 80 फीसद बसें इलेक्ट्रिक होंगी। इसके अलावा, ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी लागू की गई और बड़े स्तर पर पेड़ों को लगाया गया। जिसकी वजह से आज दिल्ली का ट्री कवर बढ़कर 23.6 फीसद हो गया है। दिल्ली का ट्री कवर घटने के बजाय बढ़ रहा है। पूरे देश के अंदर अन्य शहरों में देखने में आया है कि जैसे-जैसे विकास होता है, पेड़ काटे जाते हैं और ट्री कवर घटता है। दिल्ली के अंदर के विकास होने के साथ-साथ ट्री कवर घटने के बजाय बढ़ रहा है और आज 23.6 फीसद है। दिल्ली में वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत 20 फीसद से ज्यादा है।
सड़कों व फुटपाथ की मैकेनाइज्ड स्वीपिंग की जाएगी और सड़कों को धोया जाएगा, इससे प्रदूषण बहुत कम होगा- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब भी जरूरत पड़ती है, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को तत्काल लागू किया जाता है। साल दर साल देखने में आया है कि प्रदूषण के सीवियर वाले दिन इस साल घट गया है। नवंबर के पीक महीने में प्रदूषण केवल तीन दिन सीवर में था। जो पिछले कई साल से काफी कम है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ समेत कई सारे अभियान भी चलाया है। इन सारे प्रयासों का असर यह है कि 2022 में दिल्ली का वार्षिक औसत प्रदूषण 2018 के बाद से पिछले 5 वर्षों में सबसे कम रहा है। अभी तक जो प्रयास किए गए हैं, वो सारे बहुत अच्छे हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले मैंने एलान किया था कि दिल्ली की सड़कों व फुटपाथ की रोज मैकेनाइज्ड स्वीपिंग की जाएगी, सड़कों को रोज धोया जाएगा। इससे प्रदूषण बहुत कम होगा। झाड़ू लगाने के दौरान दिल्ली की सड़कों के उपर से मिट्टी उड़ती है। सड़क पर मिट्टी होने के दौरान जब वाहन चलते हैं, तब भी मिट्टी उड़ती है। अगर हम उस मिट्टी को साफ कर देंगे, तो इससे प्रदूषण पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा।
जब तक हम प्रदूषण के स्रोतों को रियल टाइम के आधार पर गणना कर विश्लेशण नहीं करेंगे, तब तक कोई भी पॉलिसी सही नहीं होगी- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी तक जब भी प्रदूषण को गणनात्मक विश्लेषण करने की बात करते थे, तो विभिन्न स्टडी के बारे में बताया जाता था। जैसे, 2014 में जून के महीने में कोई स्टडी की गई। 30 दिनों तक अलग-अलग जगहों से सैंपल लिए गए। कोई सैंपल सुबह, तो कोई दोपहर या शाम को लिया गया। सारे सैंपल को मिलाकर एक स्टडी की गई और उस स्टडी के आधार पर सरकार की सारी पॉलिसी अभी तक बनी, जो बिल्कुल गलत है। हमने देखा कि कैसे एक-एक घंटे पर प्रदूषण के घटक बदल रहे हैं। सुबह 8 बजे प्रदूषण के कारण कुछ और थे, 9 बजे कुछ थे। सोमवार के प्रदूषण के कारण कुछ और हैं, मंगलवार के प्रदूषण के कारण कुछ और हैं। जब तक हम प्रदूषण के स्रोतों को रियल टाइम आधार पर गणना करके विश्लेशण नहीं करेंगे, तब तक कोई भी प्रदूषण पॉलिसी सही नहीं होगी। आईटी दिल्ली, आईटी कानपुर, टेरी और डीपीसीसी ने मिलकर रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी पर काम किया है। रियल टाइम अर्थात अभी इस वक्त दिल्ली की हवा में किस वजह से कितना प्रदूषण है। इस वक्त वाहन व धूल से और कोयला-कूड़ा जलाने से कितना प्रदूषण है। इस वक्त रियल टाइम आधार पर दिल्ली की हवा में किस वजह से कितना प्रदूषण है, इसका पता इन मशीनों से चल सकेगा। दुनिया में जो सबसे अच्छी मशीनें थीं, हमने उन सभी मशीनों को खरीद कर रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी करना चालू किया है। एक तरफ, यह प्रदूषण की वर्तमान स्थिति बताएगा और दूसरी तरफ, यह हर घंटे फोरकास्ट भी करेगा कि अगले तीन दिन में क्या उम्मीद की जा सकती है। दिल्ली सरकार इस पर पिछले तीन-चार साल से काम कर रही है। हमने वाशिंगटन से भी संपर्क किया था। हमारे कई सारे प्रयास सफल नहीं रहे। मुझे खुशी है कि आईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर और टेरी के साथ मिलकर हमने जो प्रयास किए, वो सफल रहा है।
अब एक वार्ड के अंदर भी प्रदूषण के स्रोत का पता लगा सकते हैं और उसे नियंत्रित करने की कोशिश कर सकते हैं- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी हर घंटे हमें बताएगा कि किस वक्त दिल्ली की हवा में किस वजह से कितना प्रदूषण है। जिसके बाद हम उसे रोकने के लिए कदम उठा सकते हैं। जैसे एक वार्ड के अंदर धूल की वजह से प्रदूषण ज्यादा है, तो पता किया जाएगा कि वहां किस वजह से धूल उड़ रही है और धूल को नियंत्रित करने की कोशिश की जाएगी। इसी तरह किसी वार्ड के अंदर इडस्ट्रीयल उत्सर्जन ज्यादा है, उसको ठीक करने की कोशिश की जाएगी। इस तरह हम छोटे स्तर पर जाकर कदम उठा सकते हैं। इसमें यह भी पता चलेगा कि दिल्ली में दिल्ली के अंदर का प्रदूषण कितना है और बाहर का कितना प्रदूषण है। स्टडी के अनुसार दिल्ली में एक तिहाई प्रदूषण बाहर का है। सर्दियों के मौसम में दिल्ली में काफी लोग आग जलाते हैं। दिल्ली में बायोमास बर्निंग से लगभग एक चौथाई प्रदूषण होता है। ठंड के मौसम में तामपान कम होता है। इसलिए सारा धुंआ दिल्ली के उपर गैस चैंबर के रूप बन कर रह जाता है। वाहनों का प्रदूषण भी 17 से 18 फीसद है।
मोबाइल बैन की मदद से हॉटस्पॉट एरिया में प्रदूषण के कारणों का पता लगाकर उसे कम करने की कोशिश करेंगे- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि आज हम एक मोबाइल वैन भी चालू कर रहे हैं। मोबाइल वैन सफल होती है, तो हम ऐसी कई वैन खरीद सकते हैं और दिल्ली के अलग-अलग कोने में खड़े कर देंगे। हॉटस्पॉट एरिया में प्रदूषण क्यों ज्यादा है, यह पता चलता रहेगा और फिर उस विशेष स्रोत के उपर ध्यान देकर प्रदूषण कम करने की कोशिश करेंगे। राउज एवेन्यू स्कूल में एक सुपर साइट, एक मॉनिटरिंग स्टेशन बनाया है और एक फोरकास्टिंग सिस्टम है, जो तीन-तीन दिन का फोरकास्ट करेगा। इसके अलावा डैशबोर्ड और पोर्टल है। डीपीसीसी की देखरेख में सारा कार्य किया जाएगा। आईआईटी कानपुर पीएम-2.5 का लीड मेजरमेंट करता है और सोर्स कंट्रिब्यूशन करता है। आईआईटी दिल्ली फोरकास्टिंग करता है और टेरी एमिशन इंवेंटरी उपलब्ध कराता है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने स्टडी के विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि आज सुबह 8 बजे दिल्ली में 35 फीसद प्रदूषण बाहर के स्रोतों की वजह से था। बायोमास बर्निंग का प्रदूषण 26 फीसद था। वाहनों से लगभग 35 फीसद प्रदूषण था। सुबह 9 बजे बाहर का प्रदूषण घटकर 29 फीसद हो गया, बायोमास बर्निंग 26 फीसद ही रहा और वाहनों का प्रदूषण 35 फीसद से घटकर 25 फीसद हो गया। अन्य स्रोतों से 11 फीसद प्रदूषण रहा। इसी तरह, सुबह 10 बजे बाहर का प्रदूषण 36 फीसद रहा, बायोमास बर्निंग से प्रदूषण जीरो हो गया और वाहनों का प्रदूषण 30 फीसद रहा और 22 फीसद अन्य स्रोतों से है। यह बड़ा दिलचस्प है कि हर घंटे का विश्लेषण करके हमें पता चल जाता है कि कहां किस वजह से प्रदूषण है। मैं समझता हूं कि इससे हमें प्रदूषण को नियंत्रित करने में काफी मदद मिलेगी।
स्डटी से वैज्ञानिक डाटा मिलेगा और हम एनसीआर की सरकारों से बात कर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्लान तैयार करेंगे- गोपाल राय
इस अवसर पर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि रियल टाइम प्रदूषण के सोर्स को जाना जा सके और उसके अनुसार समाधान का रास्ता बनाया जा सके, उसके लिए यह स्टेशन बनाया गया है। साथ ही मोबाइल वैन भी लॉंच की गई है, जो अलग-अलग हॉटस्पॉट पर जाकर वहां के प्रदूषण के कारणों का पता लगाएगी। भविष्य में आईआईटी कानपुर व आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों की सलाह और निर्देशन के आधार पर हम आगे बढ़ेंगे। चूंकि, इसमें रियल टाइम के आधार पर वाहन, धूल, बायोमास बर्निंग व लोकल प्रदूषण आदि की जानकारी मिलेगी, इससे हमें वैज्ञानिक डाटा मिलेगा। इसी के आधार पर हम एनसीआर की सरकारों के साथ बातचीत कर प्रदूषण को नियत्रित करने के लिए प्लान करेंगे।
स्टडी से मिले डेटा का विश्लेषण कर प्रदूषण के सोर्स को किया जाएगा चिंहित
इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल के समक्ष आईटी टीम ने एक प्रजेंटेशन के जरिए रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट के सुपरसाइट और मोबाइल स्टेशन के कार्य के बारे में विस्तार से जानकारी दी। टीम ने बताया कि पहले किसी स्थान पर प्रदूषण के स्रोत का पता लगाने के लिए हम सैंपल लेकर विश्लेषण करते थे। विश्लेषण में दो से चार महीने का समय लग जाता था। लेकिन अब सुपर साइट की मदद से हम हर घंटे पता लगा सकेंगे कि सांस लेने के स्तर पर पीएम-2.5 में कौन से स्रोत का कितना योगदान है। इसमें फोरकॉस्टिंग को बहुत मजबूत किया गया है। इसकी मदद से प्रदूषण को कम करने को लेकर निर्णय ले सकेंगे कि अगले तीन दिन के अंदर क्या किया जा सकता है? इसका मेजरमेंट लेने के बाद एक्शन लिया जा सकेगा। यह बताया जा सकता है कि शार्ट टर्म और लांग टर्म में क्या एक्शन लिया जा सकता है। इसकी विशेषताओं में एक सुपरसाइट है। इसमें कई तरह की मशीनें लगी हैं। जिनकी मदद से यह जान सकते हैं कि हर घंटे में क्या हो रहा है। एक मोबाइल लैब है जो हर घंटे अपोर्शनमेंट करेगी। साथ ही मोबाइल लैब को कहीं पर भी लेकर जा सकते हैं और वहां के प्रदूषण की वास्तविक स्थिति को देख सकते हैं। इसके लिए एक वेबसाइट है, जहां पर सारा डेटा एकत्र होगा। उस डेटा का विश्लेशण किया जाएगा और प्रदूषण के सोर्स को चिंहित किया जाएगा।
स्टडी के आधार पर प्रदूषण को रोकने में मिलेगी मदद
इस स्टडी से निरंतर या रियल टाइम (प्रति घंटा) के आधार पर वाहनों, कंस्ट्रक्शन साइटों पर धूल, बायोमास जलाने आदि का योगदान का पता चलेगा। यह विभिन्न इलाकों में प्रदूषण की अधिक विस्तृत जानकारी देने में मदद करेगा। इसके बाद प्रदूषण को रोकने के लिए उचित कादम उठाए जाएंगे। उदाहरण के लिए यदि पता चलता है कि धूल के कारण किसी विशेष वार्ड का भारी योगदान है, ऐसे में हम हरियाली बढ़ाने पर काम करेंगे। यदि किसी विशेष वार्ड का मुख्य योगदान उद्योग है, तो हम टीम भेजेंगे कि उद्योगों की वजह से तो प्रदूषण नहीं हो रहा हैं। साथ ही अगले 3 दिनों में पीएम-2.5 के स्तर के साथ-साथ विभिन्न स्रोतों का पूर्वानुमान लगाया जाएगा, ताकि सरकार समय रहते पूर्व कार्रवाई कर सके।दिल्ली के भीतर कितना प्रदूषण है और बाहर से कितना है, यह पता चलेगा।
मोबाइल वैन से कही पर भी प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाने में मदद मिलेगी
राउज़ एवेन्यू में सुपरसाइट स्थापित किया गया है। यह रियल टाइम के आधार पर एयर क्वालिटी और स्रोतों को मापने के लिए अत्याधुनिक उपकरण हैं। साथ ही, मोबाइल वैन दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में भेजे जाएंगे, जिससे दिल्ली के हर कोने में प्रदूषण स्रोतों के बारे में पता चल पाएगा। यह एडवांस मशीन लर्निंग मॉडल के आधार पर अगले 3 दिनों के लिए पीएम- 2.5 स्तरों का पूर्वानुमान बताएगी। डेटा से जानकारी देखने के लिए डैशबोर्ड की मदद ली जाएगी। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की देखरेख में स्टडी की जाएगी। आईआईटी कानपुर, पीएम-2.5 का लीड मेजरमेंट और स्रोत में योगदान देगी। आईआईटी दिल्ली पीएम-2.5 का पूर्वानुमान और स्रोत में योगदान करेगी। ऊर्जा एवं अनुसंधान संस्थान (टेरी) एमिशन लिस्ट प्रदान करेगा।
अब खुद सरकार करेगी स्टर्डी
पहले अध्ययन एक वर्ष में एक समय (कुछ सप्ताह) पर किया जाता है और बाहरी एजेंसियों द्वारा संचालित किया जाता था और उनके ही स्वामित्व में होता है। वर्तमान प्रोजेक्ट के तहत रियल टाइम और निरंतर अध्ययन, पूरी तरह से सरकार के स्वामित्व में है। तकनीकी विशेषज्ञता वाली एजेंसी (डीपीसीसी) कई प्रतिष्ठित संगठनों और विशेषज्ञों से आती है। प्रोजेक्ट समाप्त होने के बाद आईआईटी टीम डीपीसीसी इंजीनियरों को इस काम को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करेगी। रियल टाइम और निरंतर स्टडी, जो तकनीकी विशेषज्ञता के साथ पूरी तरह से एक सरकारी एजेंसी (डीपीसीसी) के स्वामित्व में है। परियोजना समाप्त होने के बाद आईआईटी टीम की ओर से डीपीसीसी इंजीनियरों को इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी।
वेबसाइट पर ले सकेंगे प्रदूषण के पूर्वानुमानों की जानकारी
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के पूर्वानुमानों की जानकारी प्राप्त करने के एक वेबसाइट भी लांच किया है। http://raasman.com/ पर जाकर पूर्वानुमान देखे जा सकते हैं। यह रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के तहत प्रदूषण से संबंधित सभी डेटा और पूर्वानुमान के लिए एक डैशबोर्ड के रूप में कार्य करेगी।