शिक्षा मंत्री आतिशी ने किया दिल्ली सरकार के स्कूलों के 5000 शिक्षकों से संवाद; कहा बच्चों के परीक्षा में अच्छे मार्क्स लाने से ज़्यादा ज़रूरी है अच्छा इंसान बनना

Listen to this article

*केजरीवाल सरकार के स्कूलों के शिक्षकों में हैप्पीनेस करिकुलम के उद्देश्यों को और गहराई से समझने के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया

*5 दिवसीय ट्रेनिंग शिविर का आयोजन एससीईआरटी द्वारा त्यागराज स्टेडियम में किया गया, आज समापन समारोह में शामिल हुईं शिक्षा मंत्री आतिशी

*शिक्षकों में हैप्पीनेस करिकुलम की समझ विकसित करने और जीवन के असल मक़सद को समझने के लिए आयोजित इस ट्रेनिंग सेशन में दिल्ली सरकार के स्कूलों के लगभग 5000 शिक्षकों ने लिया भाग

*अबतक की शिक्षा प्रणाली ने बच्चो के प्रोफेशनल डेवलपमेंट पर ध्यान दिया, उन्हें एक बेहतर इंसान कैसे बनाया जाये इसे समझने में शिक्षकों को इस ट्रेनिंग से मिलेगी मदद-शिक्षा मंत्री आतिशी

*हैप्पीनेस करिकुलम के मक़सद को समझने का ये शिविर शिक्षकों को स्वयं और अपने क्लासरूम के बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाने के लिए प्रेरित करेगा-शिक्षा मंत्री आतिशी

*दिल्ली शिक्षा क्रांति का स्तंभ होने के नाते, शिक्षकों का काम बच्चों को पढ़ाने के साथ साथ उनके संपूर्ण जीवन को सही दिशा देना है,ताकि वे देश व इंसानियत की सही मायने मे सेवा कर सके-शिक्षा मंत्री आतिशी

*हैप्पीनेस करिकुलम के साथ दिल्ली सरकार अपने स्कूली बच्चों को काबिल बनाने के साथ-साथ अच्छा इंसान भी बना रही है- शिक्षा मंत्री आतिशी

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्(एससीईआरटी) दिल्ली द्वारा दिल्ली सरकार के स्कूलों के शिक्षकों के लिए हैप्पीनेस करिकुलम के उद्देश्यों को समझाने के लिए 5 दिवसीय ट्रेनिंग शिविर का आयोजन किया गया|

इस पांच दिवसीय शिविर में दिल्ली सरकार के स्कूलों के लगभग 5000 शिक्षकों ने भाग लिया| रविवार को शिक्षा मंत्री आतिशी इसमें शामिल हुई और शिक्षकों से ट्रेनिंग के दौरान के उनके अनुभवों को जाना|

इस मौके पर शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि, अबतक की शिक्षा प्रणाली में बच्चों को विभिन्न विषय पढ़ाये जाते है| शिक्षा व्यवस्था का पूरा फोकस बच्चों को एक अच्छा प्रोफेशनल बनाना होता है| लेकिन 14-15 साल की स्कूली शिक्षा और उसके बाद उच्च शिक्षा के दौरान बच्चे जो कुछ पढ़ते है उसका वास्तविक जीवन में कितना इस्तेमाल करते है? वर्तमान शिक्षा प्रणाली में उन चीजों पर ज्यादा फोकस नहीं किया गया जिनकी जरुरत हमें अपने रोजमर्रा की जिन्दगी में होती है|

उन्होंने कहा कि व्यस्क होने पर हम रोजाना अपनी जिन्दगी में कुछ चुनौतियों का सामना करते है कि परिवार में हमारे सम्बन्ध कैसे होने चाहिए, अपने से छोटों और बड़ों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, तनाव पर काबू कैसे किया जाये| लेकिन स्कूली शिक्षा के दौरान इसके विषय में कभी कोई बात नहीं की जाती है| दिल्ली के बच्चों को भविष्य में ऐसी चुनौतियों का सामना न करना पड़े और वो रोजमर्रा के जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें इसके लिए मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी और दिल्ली शिक्षा क्रांति के जनक मनीष सिसोदिया ने हैप्पीनेस करिकुलम की शुरूआत की|

शिक्षा मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में आज से लगभग 5 साल पहले इस करिकुलम की शुरुआत हुई और मुझे ख़ुशी हो रही है कि इसे सफलता मिल रही है| हमारे शिक्षक और बच्चे अपने जीवन के असल मकसद को समझ रहे है| उन्होंने कहा कि हम गणित,अंग्रेजी,इतिहास सब सीख सकते है लेकिन उससे पहले ये सीखना जरुरी है कि हमें एक अच्छा इन्सान कैसे बनना है और इस दिशा में हैप्पीनेस करिकुलम के अंतर्गत आने वाले जीवन विद्या जैसे ट्रेनिंग सत्र ने हमारे शिक्षकों की बड़ी मदद की है| और इससे मिली लर्निंग के द्वारा दिल्ली सरकार के स्कूलों में हमारे शिक्षकों ने बच्चों को एक अच्छा इन्सान बनाना अपनी पहली प्राथमिकता बना ली है| इस दिशा में माइंडफ़ुलनेस-मेडीटेशन और हैप्पीनेस को समझने का ये शिविर शिक्षकों को अपने क्लासरूम के बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है|

Print Friendly, PDF & Email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *