*कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में आयोजित कॉन्फ़्रेंस में शिक्षा मंत्री आतिशी ने “एजुकेशन-बिल्डिंग इंडियाज फ्यूचर ऐट 100” विषय पर की चर्चा
*भारत के इतिहास में पहली बार गुड गवर्नेंस और शिक्षा बनी राजनीति का मुद्दा,इसके प्रणेता सीएम अरविंद केजरीवाल जी को धन्यवाद- शिक्षा मंत्री आतिशी
*आप अरविंद केजरीवाल से प्यार कर सकते हैं या उनसे नफरत कर सकते हैं, लेकिन इस सच्चाई को अनदेखा नहीं कर सकते कि उन्होंने भारतीय राजनीति की दशा-दिशा बदल दी- शिक्षा मंत्री आतिशी
*केजरीवाल मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस इतना प्रभावशाली की उससे प्रभावित होकर फ़ेक ही सही लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी को क्लासरूम में उतरना पड़ा- कैम्ब्रिज में शिक्षा मंत्री आतिशी
*यह बेहद चिंताजनक कि देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं जैसी बुनियादी चीजों को राजनैतिक मुद्दों की प्राथमिकता बनने में 75 साल लग गए- शिक्षा मंत्री आतिशी
*भारत के लोगों को अब निर्णय लेने की ज़रूरत कि हमें ऐसी सरकार चाहिए जो लोगों को सशक्त बनाएँ या ऐसी सरकार जो सभी को शक्तिहीन करे- शिक्षा मंत्री आतिशी
*अपने 100 साल की ओर बढ़ते हुए, भारत के पास दो मॉडल- एक ‘आप’ का मॉडल जो बुनियादी सुविधाओं के साथ हर व्यक्ति को सशक्त बनाती है; दूसरा भाजपा मॉडल जो एक व्यक्ति विशेष को सशक्त बनाने पर केंद्रित- शिक्षा मंत्री आतिशी
*भारत से ग़रीबी दूर करने के लिए किसी बड़ी योजना की ज़रूरत नहीं, यदि हर बच्चे को मिले क्वॉलिटी एजुकेशन तो दूर हो जाएगा देश से ग़रीबी का है द्वंस- शिक्षा मंत्री आतिशी
*केजरीवाल सरकार ने एमसीडी स्कूलों को वर्ल्ड क्लास बनने की शुरुआत की; अब वो दिन दूर नहीं जब प्राइवेट स्कूलों के बजाय नर्सरी एडमिशन के लिए एमसीडी स्कूलों के बाहर लगेंगी लंबी क़तारें- शिक्षा मंत्री आतिशी
*शिक्षा मंत्री आतिशी ने किया साझा- कैसे दिल्ली सरकार अपने छात्रों को स्टार्ट-अप के लिए सीड फंडिंग देकर उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान देने के लिए कर रही तैयार
वैश्विक मंच पर एक बार फिर केजरीवाल मॉडल का डंका बजा है। 15 जून को कैम्ब्रिज जज बिजनेस स्कूल द्वारा आयोजित कैम्ब्रिज इंडिया कॉन्फ़्रेंस में शिक्षा मंत्री आतिशी ने दुनिया को एक बार फिर केजरीवाल मॉडल ऑफ़ एजुकेशन से परिचित करवाया। शिक्षा मंत्री आतिशी ने कॉन्फ़्रेंस में, एजुकेशन-बिल्डिंग इंडियाज़ फ्यूचर ऐट 100′ विषय पर बतौर वक्ता अपनी बातें साझा की और दिल्ली के शिक्षा मॉडल की सफलता की विभिन्न कहानियों को भी साझा किया।
इस मौक़े पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि, पिछले 75 सालों में, भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में यह पहली बार है कि जहां गुड गवर्नेंस के आधार पर राजनीति की जा रही है और देश भर में शिक्षा और स्वास्थ्य राजनीति का मुख्य एजेंडा है। भारत की राजनीति में यह बड़ा बदलाव दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी द्वारा पिछले 8 सालों में किए गए कामों से आया है। उन्होंने औरों के उलट दिल्ली में हर बच्चे के लिए क्वॉलिटी एजुकेशन और हर नागरिक के लिए क्वालिटी स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता दी।मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा शिक्षा को राजनीति चर्चे का हिस्सा बनाने का नतीजा रहा कि, गुजरात चुनाव ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी जी को नक़ली ही सही लेकिन पोर्ट केबिन में बने एक स्कूल में उतरना पड़ा।
शिक्षा मंत्री आतिशी ने आगे कहा कि, “केजरीवाल सरकार के दिल्ली मॉडल ऑफ़ एजुकेशन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक यह है कि गुजरात में जहां बीजेपी 27 साल से सत्ता में थी, ‘आप’ की भागीदारी के साथ हमने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और वहाँ के मुख्यमंत्री को मजबूर किया की वे गुजरात के स्कूलों का दौरा करे। गुजरात में 27 साल में यह पहली बार था जब भाजपा के नेता स्कूलों में जा रहे था।
उन्होंने कहा, हालाँकि ये सच है कि प्रधान मंत्री जिस स्कूल में गए थे वह एक पोर्टेबल केबिन में स्थित एक फ़ेक स्कूल था, फिर भी उन्हें वहाँ जाना पड़ा, कक्षा में बच्चों के बीच बैठना पड़ा और एक शिक्षा पर बात शुरू करनी पड़ी। आज अगर देश भर के राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु के रूप में पहचानना शुरू कर दिया है, तो यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, “यह वास्तव में चिंताजनक है कि हमें आजादी के 75 साल बाद जाकर हम ऐसी राजनीति पर चर्चा करने में लगे जो इन बुनियादी सुविधाओं को प्रदान करती है। सरकारों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने में इतने साल लग गए हैं। पिछले 75 वर्षों में, देश में एक भी राजनीतिक दल ऐसा नहीं रहा है जिसने देश की शिक्षा प्रणाली को बदलने और हर बच्चे को उसके बैकग्राउंड की परवाह किए बिना क्वॉलिटी एजुकेशन देने का काम किया हो।
शिक्षा मंत्री आतिशी ने साझा किया कि 25 साल पहले जब वह स्कूल में थीं, तब पढ़ाया जाता था कि भारत एक विकासशील देश है । उस समय कहा गया था कि भारत 2020 तक एक विकसित देश बन जाएगा। लेकिन 2020 के बीत जाने के बाद भी भारत पर अभी भी एक “विकासशील देश” का ठप्पा लगा हुआ है।
उन्होंने कहा कि,अक्सर यह बताया जाता है कि भारत की जीडीपी 3.5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गई है और यह सबसे तेजी से बढ़ती जी20 अर्थव्यवस्था है, लेकिन वास्तविकता गंभीर है और इस पर तत्काल ध्यान देने की ज़रूरत है। देश की स्थिति का एक प्रमुख संकेतक मानव विकास सूचकांक है, जहां भारत 191 देशों में से 132वें स्थान पर है। भारत के तुलनीय माने जाने वाले कई छोटे देश या देश, जैसे कि भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका, इस सूचकांक में उच्च रैंक रखते हैं।
कहा जाता है कि भारत में बढ़ते अरबपतियों की संख्या सबसे अधिक है, और ये संख्या 2020 में 102 से बढ़कर 2022 में 166 हो गई है। हालांकि, इस अवधि के दौरान एक और आंकड़ा देश में भूखे लोगों की संख्या का है, जो 19 करोड़ से बढ़कर 35 करोड़ हो गया है। यह चिंताजनक है क्योंकि भारत दुनिया में भोजन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बावजूद यहां कुपोषित या भुखमरी के शिकार सबसे अधिक है।
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, “एक ओर जहां एक आगे बढ़ते और चमकदार भारत की कहानी है, वहीं वास्तविकता यह भी है कि 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश में लोगों तक शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, पोषण या रोजगार तक पहुंच नहीं है। देश के सबसे अमीर 1% लोगों के पास भारत की 40% संपत्ति है, जबकि नीचे की 50% आबादी के पास केवल 3% संपत्ति है। इस प्रकार, जबकि जीडीपी बढ़ रहा है, यह मुख्य रूप से सबसे अमीरों को लाभान्वित कर रहा है। इससे ऐसी स्थितियाँ पैदा हो गई हैं जहाँ लोगों को उपचार के माध्यम से परिवार के किसी सदस्य की जान बचाने या अपनी संपत्ति के बीच किसी एक का चुनाव करना होता है।
उन्होंने कहा कि मुख्य समस्या राजनीति में है। उन्होंने कहा, “युवा पीढ़ी अक्सर राजनीति को एक नकारात्मक शब्द के रूप में देखती है, जिसके कारण संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति राजनीति में प्रवेश करते हैं और ऐसे निर्णय लेते हैं जो लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान में राजनेताओं में कुछ अच्छा करने के लिए प्रोत्साहन की कमी है। चुनाव के दौरान, राजनेता वोट हासिल करने के लिए धार्मिक और जाति कार्ड के साथ-साथ पैसे और शराब पर भरोसा करते हैं। वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के बजाय चुनाव जीतने को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा कि अब इसे बदलने और भारत को वैश्विक नेता के रूप में विकसित होते देखने की जिम्मेदारी शिक्षित युवाओं पर है, जिन्हें इसका नेतृत्व करना चाहिए।
दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में क्या अनूठा किया, इस बारे में बात करते हुए, शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, “पिछले कुछ सालों में, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कारण देश में राजनीति करने के तरीके में बड़ा बदलाव आया है। यह सच्चाई है कि उन्होंने और आम आदमी पार्टी ने जन-केंद्रित गवर्नेंस मॉडल के माध्यम से राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है। और यह एक महत्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित करता है जहां पहली बार भारत में राजनीति गवर्नेंस पर हो रही है।
उन्होंने कह कि ये भी देश में पहली बार हुआ जब पांच साल पूरे करने के बाद 2020 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने लोगों से ये कहकर वोट माँगा की यदि उन्होंने काम किया हो तभी उन्हें वोट दे। और उन्हें प्रचंड बहुमत मिला। पिछले 8 वर्षों में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की उपलब्धियों को देखते हुए, यह स्पष्ट हो जाता है कि अपने 100 वे साल पर भारत के विकास के प्रश्न का उत्तर बहुत कठिन नहीं है।
केजरीवाल सरकार ने सत्ता में आने के बाद जो सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण काम किया, वह था शिक्षा के लिए बजट का आवंटन। आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार देश की एकमात्र ऐसी सरकार है जो पिछले 8 सालों से हर साल अपने वार्षिक बजट का लगभग 25% शिक्षा के लिए आवंटित करती है। उन्होंने कहा कि भारत में किसी भी राज्य सरकार द्वारा शिक्षा पर अगला उच्चतम व्यय 14% है। भारत की केंद्र सरकार हर साल अपने बजट का केवल 2.4% शिक्षा पर खर्च करती है। यही कारण है कि भारत में परिवार अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए कर्ज में डूब जाते हैं। शिक्षा के बाद, दिल्ली सरकार ने 12% के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र को दूसरी सबसे बड़ी राशि आवंटित की है। राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य पर अगला उच्चतम व्यय 6% है, और राष्ट्रीय व्यय 0.69% है।
उन्होंने कहा, “जब हमने पहली बार दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सुधार करना शुरू किया, तो लोगों ने मजाक उड़ाया, यह देखते हुए कि शिक्षा में पार्टी के लिए राजनीतिक लाभांश लाने की कोई क्षमता नहीं थी। लेकिन तमाम राजनीतिक और प्रशासनिक बाधाओं के बावजूद, आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार द्वारा किया गया काम भारतीय राजनीति में मील का पत्थर साबित हुआ है। इसने देश में शिक्षा को सफलतापूर्वक एक राजनीतिक मुद्दा बना दिया है। इसने अन्य राज्य सरकारों को शिक्षा पर काम करने और स्कूलों में सुधार करने को प्रेरित किया है। मुझे विश्वास है कि यह परिवर्तन हमारे देश की भविष्य की दिशा तय करेगा।
शिक्षा मंत्री आतिशी ने आगे कहा कि इस समय देश के पास दो मॉडल हैं। पहला मॉडल, ‘आप’ का जिसका पिछले 8 सालों से उद्देश्य नागरिक को शिक्षा तक पहुंच प्रदान करके और उन्हें देश की समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाना है। दूसरा मॉडल केंद्र सरकार में सत्ताधीन पार्टी का है, जो सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों के माध्यम से विपक्षी नेताओं को कैद करने के लिए विभिन्न तरीकों का सहारा ले रही है, विधायकों की खरीद-फरोख्त में लिप्त है, और ऐसे अध्यादेश ला रही है जो निर्वाचित सरकारों की शक्ति को कमजोर करते हैं।
उन्होंने कहा, “जब हम 100 वर्षों में भारत की कल्पना करते हैं, तो हमें अब यह तय करने की आवश्यकता है कि क्या हम ऐसी सरकार चाहते हैं जो हर नागरिक को सशक्त करे और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करे, या हम ऐसी सरकार चाहते हैं जो नागरिकों की शक्तियों को छीन उन्हें कमजोर बनाये।
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, “मैं कहना चाहूंगी कि राजनीति और शिक्षा एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। मेरा मानना है कि पिछले 75 वर्षों में हमारे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाने का कारण यह है कि शिक्षा कभी भी राजनीति के केंद्र में नहीं रही।
इसके बाद दिल्ली शिक्षा मॉडल की सफलता की कहानियों और उपलब्धियों को साझा करते हुए शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, “दिल्ली सरकार के स्कूलों की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज हमारे बच्चे भारत के प्रमुख संस्थानों में प्रवेश ले रहे हैं। वे अपने स्टार्टअप शुरू करने और IIT के छात्रों को नौकरी पर रखने की बात करते हैं।” उन्होंने दिल्ली सरकार के दो स्कूली छात्रों की कहानी साझा की, जो हाल ही में दिल्ली सरकार के स्कूलों से पास आउट हुए है और दो प्रमुख आईआईटी में प्रवेश प्राप्त किया। एक बच्चे के पिता सुरक्षा गार्ड हैं और दूसरे के पिता बस कंडक्टर हैं। इन छात्रों को दिल्ली सरकार द्वारा अपने स्कूलों में चलाई जाने वाली मुफ्त कोचिंग योजना के माध्यम से सपोर्ट मिला है।
शिक्षा मंत्री ने कहा “हम गरीबी को खत्म करने के लिए विभिन्न बड़े पैमाने के कार्यक्रमों के बारे में बात करते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि यदि हम हर बच्चे को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करते हैं, तो वे अपने परिवार को गरीबी से अपने दम पर ऊपर उठा लेंगे। सरकार को गरीबी दूर करने के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़ेगा।
उन्होंने आगे कहा “दिल्ली शिक्षा मॉडल में आज हम जो बड़े बदलाव देखते हैं, उनमें से एक यह है कि जब 2015 में AAP सरकार सत्ता में आई थी, तो हमें प्रतिष्ठित निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए सिफारिशों के अनुरोध प्राप्त होते थे। लेकिन अब, जब हमने इस साल दिल्ली सरकार के स्कूल ऑफ़ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस के लिए प्रवेश खोले, तो हमें 4,400 सीटों के लिए 92,000 प्रवेश आवेदन प्राप्त हुए। अब, हमें इन दिल्ली सरकार के स्कूलों में बच्चों के प्रवेश की सिफारिश करने के लिए अनुरोध प्राप्त होते हैं,।
“आगे बढ़ते हुए, हमारा फोकस अब दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अंतर्गत आने वाले शहर के प्राथमिक विद्यालयों को बदलने पर है। ये सरकारी स्कूल देश भर में अपने समकक्षों के समान हो बदहाल हैं। इससे हमें उम्मीद है कि जल्द ही दिल्ली के लोगों को नर्सरी दाखिले के लिए निजी स्कूलों के बाहर नहीं बल्कि एमसीडी स्कूलों के बाहर लगानी पड़ेगी।
शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, “देश का कोई भी राज्य दिल्ली की तरह एक शिक्षा मॉडल को अपना सकता है, और उस दिशा में बदलाव तेजी से दिखाई दे रहा है। आज शिक्षा कई पार्टियों का मुद्दा बन रही है और आज वे शिक्षा के दम पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं।’
कैंब्रिज में अपने संबोधन के दौरान शिक्षा मंत्री आतिशी ने यह भी बताया कि पंजाब अब दिल्ली शिक्षा मॉडल का अनुसरण कर रहा है और बहुत जल्द इसके परिणाम दुनिया को दिखाई देंगे।