मणिपुर के विपक्ष ने कहा: प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की जा रही प्रदेश की उपेक्षा

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*मुख्यमंत्री बीरेन सिंह मणिपुर हिंसा के सूत्रधार

*भाजपा की बांटो और राज करो की राजनीति के कारण मणिपुर में संकट पैदा हुआ

कांग्रेस के नेतृत्व में मणिपुर के दस विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी पर हिंसाग्रस्त मणिपुर की अनदेखी का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने पूछा कि आखिर क्यों प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार समय माँगने के बावजूद मणिपुर के नेताओं को मिलने का समय नहीं दिया और उनके द्वारा मणिपुर की उपेक्षा की जा रही है। मणिपुर की दस विपक्षी पार्टियों ने मणिपुर हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी भेजा है।

कांग्रेस नेता डॉ अजय कुमार ने मंगलवार को नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि मणिपुर हिंसा को लेकर 15 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे इबोबी सिंह समेत दस पार्टियों के नेता प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगते हैं, मगर उन्हें समय नहीं दिया गया। दस जून को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर और फिर 12 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय में पत्र सौंपकर प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय भी मांगा गया था। उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका चले गए। मणिपुर हिंसा को लेकर खुद भाजपा के नेता प्रधानमंत्री मोदी से नहीं मिल पा रहे हैं। जबकि भद्दे संवाद लिखने वाले मनोज मुंतशिर शुक्ला से प्रधानमंत्री मोदी बिना अपॉइंटमेंट के 45 मिनट तक मिले।

मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह ने कहा कि बीते डेढ़ महीने से ज्यादा के समय से मणिपुर जल रहा है, मगर प्रधानमंत्री मोदी के पास हिंसाग्रस्त मणिपुर का संकट सुनने के लिए उनसे मिलने का वक्त नहीं है। केंद्र और राज्य दोनों भाजपा सरकारें पूरी तरह से विफल हो चुकी हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह ने बताया कि मणिपुर की दस पार्टियों ने प्रधानमंत्री को मणिपुर हिंसा को लेकर एक ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन देने वाली पार्टियों में कांग्रेस, जेडीयू, सीपीआई, सीपीएम, टीएमसी, आप, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, एनसीपी, शिवसेना (यूबीटी) और आरएसपी शामिल हैं। इन दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री को दिए ज्ञापन में मणिपुर हिंसा से जुड़े घटनाक्रमों का उल्लेख किया और आरोप लगाया कि भाजपा की बांटो और राज करो की राजनीति के कारण वर्तमान संकट पैदा हुआ है।

पूर्व मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह ने कहा कि मणिपुर हिंसा में 150 से अधिक निर्दोष लोगों की जान चली गई, 1000 से अधिक लोग घायल हो गए, 5000 से अधिक घर जल गए हैं और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं। सैकड़ों चर्च और मंदिर भी जला दिए गए। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह हिंसा के सूत्रधार हैं, क्योंकि उन्होंने एकतरफा कदम उठाया है। अगर उन्होंने एहतियाती और त्वरित कदम उठाए होते तो हिंसा रोकी जा सकती थी। मुख्यमंत्री ने बीती 21 मई को स्वीकार किया था कि राज्य सरकार की ओर से सुरक्षा चूक और खुफिया विफलता हुई है।

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