केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में वंदे भारत ट्रेनों के लिए नए मेंटेनेंस शेड के निर्माण का रास्ता किया साफ

Listen to this article
  • सीएम अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय हित में निर्माण कार्य के लिए पेड़ों को हटाने और उनके ट्रांसप्लांटेशन की अनुमति देने वाले प्रस्ताव को दी मंजूरी
  • वंदे भारत ट्रेनों के लिए शकूर बस्ती में बनाया जाना है नया ट्रेन मेंटेनेंस शेड

-रेलवे को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है, देश को बेहतर सुविधाएं देने के लिए इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है – सीएम अरविंद केजरीवाल

  • दिल्ली सरकार ने पर्यावरण की रक्षा के मद्देनजर शर्तानुसार हटाए जाने वाले कुल पेड़ों का 10 गुना ज्यादा पौधे लगाना अनिवार्य किया है- अरविंद केजरीवाल
  • प्रोजेक्ट के लिए निर्माण स्थल से 70 पेड़ ट्रांसप्लांट और 8 पेड़ हटाए जाएंगे और इसके बदले 780 नए पौधे लगाए जाएंगे

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वंदे भारत ट्रेनों के लिए नए मेंटेनेंस शेड के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। सीएम ने इसके निर्माण में बाधक बन रहे पेड़ों को हटाने और ट्रांसप्लांट करने को लेकर आए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रोजेक्ट स्थल से 78 पेड़ों को हटाने और ट्रांसप्लांट करने की अनुमति देने को लेकर रेलवे ने दिल्ली सरकार को एक प्रस्ताव दिया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए रेलवे के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। सीएम ने पर्यावरण की सुरक्षा के मद्देनजर बनी गाइडलाइन के अनुसार निर्माण एजेंसी को 78 पेड़ों को हटाने व ट्रांसप्लांट करने के बदले 780 नए पौधों लगाने की शर्त के साथ इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

दरअसल, रेलवे ने शकूरबस्ती में एक नए मेंटेनेंस ट्रेन शेड के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, पेड़ों के एक पैच की वजह से साइट के निर्माण कार्य में बाधा पैदा हो रही है। इसके चलते रेलवे ने अधिकारियों के माध्यम से दिल्ली सरकार के पर्यावरण और वन विभाग को एक प्रस्ताव बनाकर दिया था। इसके जरिए साइट को खाली करने के लिए 8 पेड़ों को हटाने और 70 पेड़ों के ट्रांसप्लांट करने की मंजूरी मांगी गई थी। रेलवे के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे के महत्व को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय हित में पेड़ों के पैच को साफ़ करके काम में तेजी लाने के लिए अपनी सहमति दी है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि रेलवे को आधुनिक बुनियादी ढांचे की सख्त जरूरत है। इस मंजूरी से देश को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। इसके अलावा हम सक्रिय रूप से यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि आधुनिक विकास का दिल्ली पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े और प्रभावित होने वाले किसी भी पेड़ की भरपाई के लिए 10 गुना पौधारोपण अनिवार्य किया गया है।

प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए सीएम ने कहा कि इस प्रस्ताव को एलजी के समक्ष रखा जाएगा। दिल्ली सरकार ने कहा है कि चिन्हित परियोजना स्थल के पास ही प्रत्यारोपण किया जाएगा। दिल्ली सरकार की ओर से साइट पर अप्रूव किए गए और चिंहित पेड़ों के अलावा रेलवे एक भी अन्य पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। अगर रेलवे द्वारा अप्रूव किए गए पेड़ों के अलावा किसी भी पेड़ को नुकसान पहुंचाया जाता है, तो यह दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत अपराध माना जाएगा।

दिल्ली सरकार ने रेलवे के लिए पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपित करने के बदले में 10 गुना पेड़ लगाना अनिवार्य किया है। ऐसे में वो पेड़ों को हटाने के बदले 780 नए पौधे लगाएंगे। इन पौधों को चिंहित स्थान पर लगाया जाएगा, जिन्हें पेड़ों को स्थानांतरित करने की अनुमति जारी होने की तारीख से 3 महीने के अंदर लगाया जाएगा। दिल्ली सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार रेलवे अगले सात वर्षों तक पेड़ों के रखरखाव की जिम्मेदारी लेगा। सरकार द्वारा अप्रूव किए गए प्रस्ताव के अनुसार पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपण के बदले में दिल्ली की मिट्टी व जलवायु के अनुकूल विभिन्न प्रजातियों के पौधें लगाए जाएंगे। इनमें नीम, अमलतास, पीपल, पिलखन, गूलर, बरगद, देसी कीकर और अर्जुन समेत अन्य प्रजातियों के पौधें शामिल हैं। नॉन फॉरेस्ट लैंड पर 6-8 फीट हाइट के पौधे लगाए जायेंगे।

इसके अलावा जिन पेड़ों को प्रत्यारोपित किया जाना है, उनके लिए रेलवे को आवश्यक शर्तें पूरी करने के तुरंत बाद प्रक्रिया शुरू करनी होगी। यह कार्य 6 महीने के अंदर पूरा करने के लिए कहा गया है। वे सुपरविजन के लिए ट्री ऑफिसर को एक रिपोर्ट सौंपेंगे। दिल्ली सरकार ने रेलवे से परियोजना के लिए दिल्ली वृक्ष प्रत्यारोपण नीति 2020 का ईमानदारी से पालन करने और उस पर नियमित प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। रेलवे को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जो प्रत्यारोपित पौधे सर्वाइव न कर पाएं, उनके लिए 15 फीट ऊंचाई और कम से कम 6 इंच व्यास वाली स्वदेशी पौधों की प्रजातियां 1:5 के अनुपात में लगानी होगी। अगर किसी पेड़ पर पक्षियों का घोंसला पाया जाता है तो उसे तब तक काटने या रोपने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि पक्षी उस पेड़ को छोड़ न दें। इसके अलावा पेड़ों की टहनियों की कटाई के 90 दिनों के अंदर उनको मुफ्त में निकटतम श्मशान में भेजा जाएगा।

Print Friendly, PDF & Email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *