दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली में बाढ़ से पीड़ित लोग संकट के हालात में जीवन जीने को मजबूर है और राहत शिविरों में प्रभावितों के लिए व्यापक प्रबंध और बुनियादी जरुरतों की भारी कमी है। अधिक समय तक पानी रुकने के कारण लोग जल जनित बीमारियों से भी जूझ रहे है, जिसे स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने स्वयं स्वीकार किया है कि अस्पतालों में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार के मार्गदर्शन में आज दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लीगल एवं मानव अधिकार विभाग के चेयरमैन एडवोकेट सुनील कुमार ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में अपील दायर करके मांग की कि मानव अधिकार आयोग एक टीम गठन करके बाढ़ पीड़ितों के शिविरों का दौरा करके वहां की स्थिति का आंकलन करे। प्रदेश कांग्रेस मानव अधिकार विभाग ने यह भी मांग की कि आयोग तुरंत दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश जारी करें कि सरकार राहत शिविरों में भोजन, पानी, दवाई, उचित स्वच्छता, स्थायी स्वास्थ्य शिविर जैसी उचित बुनियादी सुविधाऐं बाढ़ पीड़ितों को मुहैया कराऐं।
याचिकाकर्ताओं में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लीगल एवं मानव अधिकार विभाग के चेयरमैन एडवोकेट सुनील कुमार के साथ एडवोकेट ए.वी. शुक्ला, एडवोकेट साजिद चौधरी, एडवोकेट राजेश टोंक, एडवोकेट एम.एस. राठौड़, एडवोकेट निष्कर्ष गुप्ता, एडवोकेट विरेन्द्र मोहन, एडवोकेट नागेश्वर कुम्हार, एडवोकेट मेघा सेहरा, एडवोकेट कार्तिक राठौड़, एडवोकेट कार्तिकेय गर्ग एवं एडवोकेट जयश्री सिसोदिया भी शामिल थी।
प्रदेश कांग्रेस द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि हम माननीय आयोग के समक्ष बाढ़ पीड़ितों की दयनीय स्थिति को लाना चाहते है क्योंकि दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों के कुप्रबंधन और गैर-समन्वय के कारण लोग विशेषकर यमुना के दोनों किनारों के गरीब निवासी 11 जुलाई, 2023 से ही कठिनाइयों को झेल रहे है। एनएचआरसी से यह भी मांग की गई कि बाढ़ पीड़ितों को बुनियादी सुविधाओं वाले आवास स्थापित करने व उन्हें सक्षम बनाने के लिए उचित मुआवजा देने के निर्देश भी जारी किए जाऐं।
याचिका में यह भी बताया कि कि प्रदेश कांग्रेस की टीमों ने जमीनी स्तर से जानकारी जुटाई है कि बाढ़ पीड़ितों को उचित भोजन, पीने का पानी, दवाएँ और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही है, जिसके कारण बाढ़ पीड़ित, जिनमें बूढ़े लोग, बच्चे भी शामिल हैं वो मोरी गेट सहित अन्य 33 अव्यवस्थित राहत शिविरों में दयनीय जीवन जीने को मजबूर हैं। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि दिल्ली में जहाँ बाढ़ पीड़ित रह रहे हैं वहां पेचिश, हैजा, मलेरिया और डेंगू और विभिन्न प्रकार की एलर्जी जैसी वेक्टर जनित बीमारियाँ गंदगी और कचरे और उन शिविरों में पीने योग्य पानी की अनुपलब्धता के कारण फैल रही हैं।
प्रदेश कांग्रेस लीगल एवं मानव अधिकार विभाग के चेयरमैन एडवोकेट सुनील कुमार ने याचिका में भी अंकित किया है कि बाढ़ पीड़ितों को फ्लाईओवर के नीचे शरण लेने के लिए मजबूर है, जो असुरक्षित है। दिल्ली सरकार बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित रहने के लिए उचित व्यवस्था कराने में नाकाम साबित हुई है। सरकार ने पीड़ितों को चिकित्सा सहायता के लिए अस्थायी व्यवस्था की है, जबकि शिविरों में चौबीसों घंटे चिकित्सा कर्मचारियों की स्थायी तैनाती की जानी चाहिए। इसके लिए मुख्य सचिव बाढ़ पीड़ितों के लिए आवश्यक दवाओं के साथ-साथ शिविरों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की टीमों को स्थायी रूप से तैनात करने का निर्देश जारी करें।