*एक पत्र लिखकर शिक्षा मंत्री को अंगदान को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए आग्रह करूंगा – वीरेंद्र सचदेवा
*हमें यह सुनिश्चित करना है कि किसी के जीवन में अंग का ना होना उसके दुख का कारण नहीं होना चाहिए – आलोक कुमार
*अंग दान के लिए विशेष जागरूक अभियान चलाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोगों के बीच इसका प्रचार हो सके – मनोज तिवारी
*अंगदान का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि भारत में 5 लाख व्यक्तियों की सिर्फ किडनी ना मिलने से मृत्यु हो जाती है – हर्ष मल्होत्रा
एक सामाजिक संस्थान दधीचि देहदान समिति द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 3 अगस्त को राष्ट्रीय अंगदान दिवस घोषित करने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया और अंगदान के महत्व के बारे में बात की।
विरेन्द्र सचदेवा ने आज दधीचि देहदान समिति के मंच से ऐलान किया कि जब तक रहूंगा तब तक इस समिति के लिए काम करता रहूंगा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में भारत की यंगेस्ट डोनर का खिताब पाकर दुनिया को अलविदा कह चुकी 39 दिन की अबाबत कौर का जिक्र किया और साथ ही कहा कि वह 39 दिन की बच्ची जाते जाते कइयों के जीवन में खुशियां दे गई।
वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि सिर्फ एक अंगदान करने के बाद हम जाते -जाते लोगों के जीवन में कितनी खुशियां दे सकते हैं इसकी कल्पना मात्र करने से हमें खुशियां मिलती हैं। किसी दूसरे व्यक्ति को जीवन देने से बड़ी मानवता की सेवा नहीं हो सकती
सचदेवा ने कहा कि मैं शिक्षा मंत्री को एक पत्र लिखकर इस बात को रखूंगा कि अंगदान को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। मैं आज संकल्प लेता हूं कि मैं भी अपने माता पिता के साथ अंगदान करूंगा।
विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि देहदान हमेशा सुख और संतोष देता है। उन्होंने कई ऐसी घटनाओं का जिक्र किया जहां अंगदान से कई लोगों की ना सिर्फ जान बचाई गई बल्कि उस परिवार की खुशियां लौटाई गई। उन्होंने कहा कि अंगदान के इस अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि अंग ना होने की वजह से किसी के जीवन में दुख ना हो और हमें बढ़चढ़कर अंगदान करने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए क्योंकि हम सौभाग्यशाली है कि हम सब मानव कुल में जन्मे हैं।
सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि अंगदान एक महान दान है और हम सब में इस बात की जागरूकता होनी चाहिए कि अंगदान करना कितना जरूरी है। हम सब कभी ना कभी अपने ही परिवार में इस बात को महसूस कर चुके हैं कि जब परिवार के किसी सदस्य का कोई अंग खराब हो जाए उसके बाद हमें अंगदान का महत्व समझ आता है। इसका साफ मतलब है कि हमें अंग दान के लिए विशेष जागरूक अभियान चलाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोगों के बीच इसका प्रचार हो सके और लोग समझ सके जब जीवन का अंतिम सत्य शमशान घाट तक जाना है तो हमें कुछ ऐसा काम करना चाहिए जिसे जीवनोपरांत लोग हमें याद कर सके।
कथावाचक अजय भाई ने मनोहरी कथा प्रस्तुत की और कहा कि हमें अंगदान को सिर्फ काम समझकर नहीं बल्कि इसे अपना कर्तव्य समझकर करना चाहिए ताकि हमारी कर्तव्य की भावना राष्ट्र भावना में बदल जाए। उन्होंने कहा कि धर्म कहता नहीं करके दिखाता है। देने की भावना का सम्मान करना हमेशा से सनातन धर्म की निशानी रही है।
दधीचि देहदान समिति के अध्यक्ष हर्ष मल्होत्रा ने समिति द्वारा किए गए कार्यों का पूरी रूप रेखा रखा और साथ ही कहा कि अभी तक 17000 से अधिक लोगों ने संकल्प पत्र भरा है जबकि 900 से अधिक लोगों ने नेत्रदान, 362 लोगों ने देहदान, 8 अंगदान, 2 लोगों ने स्किन दान और 4 लोगों ने हड्डी दान अभी तक किया है। आज भारत में प्रतिदिन 5 लाख व्यक्तियों की सिर्फ किडनी ना मिलने से लोगों की मृत्यु हो जाती है। श्रीलंका ऐसे देश में एक भी व्यक्ति आंखों के बिना अंधा नहीं बचा है। आज वह पूरे विश्व में आंखो का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट करने वाला बन गया है। उन्होंने सबसे आवाहन किया कि हमें नेत्रदान और देहदान के लिए आगे आना चाहिए ताकि मरणोपरांत भी किसी के जीवन में खुशियां ला सके।
कार्यक्रम में दिल्ली भाजपा के संगठन महामंत्री श्री पवन राणा, प्रदेश महामंत्री श्री योगेन्द्र चंदौलिया और श्रीमती कमलजीत सहरावत, दधीचि देहदान समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना एवं संयुक्त महामंत्री डॉक्टर विशाल चड्ढा भी उपस्थित थे।
साथ ही डॉक्टर सुकृति माथुर ने खूबसूरत भजन प्रस्तुत किया जिसका सभागार में आए सभी गणमान्यों ने तालियों के साथ सराहना की।