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दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में शनिवार को मशाल सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा करम पूजा महोत्सव 2024 का आयोजन किया गया।
समारोह के मुख्यातिथि महामंडलेश्वर तपोनिधि श्री श्री 1008 स्वामी बालकानंद गिरि जी महाराज सहित भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम, पूर्व राज्य सभा सांसद सह अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मोर्चा, समीर उरांव, मनोज तिवारी लोक-सभा सांसद सह भोजपुरी फिल्म स्टार आदि कई गणमान्य सांसद मंत्री, नेता, समाजसेवी आदि बुद्धिजीवी गण एवं झारखण्ड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बंगाल आदि के लगभग 5 हजार विभिन्न जनजातीय समुदाय के लोग विशेष रूप से कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर एनटीआरआई, दिल्ली आदिवासी विकास परिषद, जीविका और अंबेडकरकर बिरसा जीविका सृजन समिति के सौजन्य से करम पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया है।
संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक युवराज बोध ने कहा कि यह कार्यक्रम मशाल सोशल वेलफेयर सोसाइटी के तहत आयोजित किया गया है और ग्लैक्सी ऑफ ट्राइबल के नेतृत्व में स्वयं पिछले कई वर्षों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में विभिन्न आदिवासी उत्सवों का आयोजन किया जा रहा है। आदिवासी पारंपरिक कला संस्कृति को बढ़ावा देने में संस्था द्वारा किया जा रहा कार्य अत्यंत सराहनीय है।, दिल्ली में विभिन्न राज्यों से लगभग 30 लाख से अधिक आदिवासी समुदाय प्रवास करते हैं और दिल्ली/एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवास करते हैं।
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन बड़ाईक ने संबोधित करते हुए कहा, ”करम त्योहार मुख्य रूप से झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और बिहार के आदिवासी समुदायों का एक बड़ा त्योहार है।” आदिवासी समाज जल, जंगल और जमीन से जुड़ा है, यह त्यौहार भादो मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है। इसमें महिलाएं अपने घर की सुख-समृद्धि और भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और भगवान करम की पूजा करती हैं। एकादशी के दिन, पाहन उपवास करते हैं और अनुष्ठान के अनुसार, सूर्यास्त से पहले करम वृक्ष की एक शाखा काट कर लाते हैं। सूर्यास्त के बाद कटे हुए करम वृक्ष की शाखा को घर के आंगन में स्थापित किया जाता है, पूजा करने वाले स्थापित करम वृक्ष के चारों ओर बैठते हैं, करम की कहानी सुनते हैं और पाहन के माध्यम से विधि-विधान से पूजा करते हैं। पाहन द्वारा करम कहानी सुनने के बाद वे पारंपरिक सांस्कृतिक नृत्य, गायन और वादन के साथ करम दल की परिक्रमा करते हैं और यह क्रम पूरी रात चलता रहता है। संगठन की महासचिव श्रीमती रोजिना ने कहा कि करम पूजा महोत्सव को राष्ट्रीय महोत्सव का दर्जा मिलना चाहिए, जिस प्रकार प्रधानमंत्री जी ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है, उसी प्रकार मैं प्रेस के माध्यम से प्रधानमंत्री जी से करम पूजा को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिलाने का अनुरोध करती हूँ। सुबह विधिवत स्थापित करम डाल को पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ बाहर निकाला जाता है और नाच-गाने के साथ सभी श्रद्धालु इसे नदी में विसर्जन के लिए ले जाते हैं। ये देखते हैं हमारे संवाददाता कि इसे विशेष रिपोर्ट में

इस कार्यक्रम में देश के कई राज्यों से आदिवासी समाज के क्षेत्रीय कलाकार भाग लिया और अपनी पारंपरिक, सांस्कृतिक और कला का प्रदर्शन किया। इनमें मुख्य रूप से ओरांव, मुंडा, खड़िया, संथाल, बोडो, हो, कादर, भील ​​और चिक-बड़ाइक आदि शामिल थे। मुख्य आकर्षण: करम पूजा महोत्सव, रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम और सिमडेगा टैलेंट शो के प्रथम विजेता और वॉयस ऑफ के चयनित कलाकार झारखंड कुमारी रानी बड़ाईक मौजूद रही। टोटल ख़बर दिल्ली से राजेश खन्ना की विशेष रिपोर्ट

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