भाजपा ने कूड़ा उठाने के लिए फरवरी 2020 में एक कंपनी को 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन का टेंडर दिया, बाद में वही टेंडर दूसरी कंपनी को सिर्फ 400 रुपए प्रति मीट्रिक टन में दे दिया- प्रेम चौहान

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आम आदमी पार्टी ने भाजपा शासित एमसीडी पर कूड़े के नाम पर 84 करोड़ का घोटाला करने का आरोप लगाया है। ‘आप’ ने एलजी से मामले की जांच की मांग की है कि यह सारा पैसा किसकी जेब में गया है। एलओपी प्रेम चौहान ने कहा कि भाजपा ने कूड़ा उठाने के लिए फरवरी 2020 में एक कंपनी को 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन का टेंडर दिया, बाद में वही टेंडर दूसरी कंपनी को सिर्फ 400 रुपए प्रति मीट्रिक टन में दे दिया। एमसीडी ने दावा किया है कि पहली कंपनी 3 लाख मीट्रिक टन कूड़ा प्रोसेस करने का बिल लगा चुकी है, इस अनुसार लगभग 100 करोड़ का घोटाला हुआ है। एलओपी विकास गोयल ने कहा कि जब 400 रुपए प्रति मीट्रिक टन में टेंडर संभव था तो भाजपा ने पहले 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन में टेंडर क्यों दिया? भाजपा प्रति टन 2850 रुपए ज्यादा पैसा भर रही थी, इसमें सीधा-सीधा 84 करोड़ का घोटाला हुआ है। एलओपी मनोज त्यागी ने कहा कि यह बहुत बड़ा घोटाला है, नेताओं के घरों की नीलामी करके इस नुकसान की भरपाई होनी चाहिए।

आम आदमी पार्टी से तीनों एलओपी प्रेम चौहान, विकास गोयल और मनोज त्यागी ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। साउथ एमसीडी के पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रेम चौहान ने कहा कि एक तरफ पूरी दिल्ली कूड़ा-कूड़ा हो रखी है, उसपर भाजपा के किसी भी नेता या बड़े अफसर का ध्यान नहीं है। दूसरी तरफ घोटाले पर घोटाले किए जा रहे हैं। आज हम एक ऐसे घोटाले का खुलासा करने जा रहे हैं जिसको छुपाने की भाजपा ने नाकामयाब कोशिशें की क्योंकि उन्हें पता है कि कुछ ही समय में एमसीडी के चुनाव है, आम आदमी पार्टी की सरकार आएगी और जांच कर के इस घोटाले का खुलासा करेगी।

सभी जानते हैं कि कूड़े के पहाड़ों से कूड़े को साफ करने के लिए भाजपा ने ट्रॉमल मशीने लगाई थी। भाजपा पहले ही उसमें करोड़ों का घोटाला कर चुकी है। आज एक और घोटाले का मामला सामने आया है। कूड़े को प्रोसेस करने के लिए कूड़े के पहाड़ों से किसी अन्य स्थान पर ले जाया जाता है। इसका टेंडर एक कंपनी को 2020 में 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन कूड़े का दिया गया था। भाजपा को पता था कि इसमें हो रही गड़बड़ी का कभी भी खुलासा हो सकता है इसलिए उन्होंने कंपनी को सभी ट्रकों में जीपीएस लगाने के लिए कहा। कंपनी ने जीपीएस लगाने से मना कर दिया। इस बीच एमसीडी का एकीकरण किया गया और कंपनी का टेंडर रद्द कर दिया गया।

इसके बाद एक नई कंपनी को वही टेंडर सिर्फ 400 रुपए प्रति मीट्रिक टन के अनुसार दिया गया। एमसीडी ने दावा किया है कि पहली कंपनी 3 लाख मीट्रिक टन कूड़ा प्रोसेस करने का बिल लगा चुकी है। तो 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन कूड़े के अनुसार लगभग 100 करोड़ का घोटाला किया गया है। मेरी एलजी साहब से दरख्वास्त है कि आजकल आपने जांच की एक मुहिम चला रखी है, इस घोटाले की भी जांच करा लो।

आम आदमी पार्टी से नॉर्थ एमसीडी के पूर्व एलओपी विकास गोयल ने कहा कि पिछले 15-16 सालों में भाजपा ने सभी भ्रष्टाचारों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भाजपा शासित एमसीडी कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के लिए अब तक 1200 करोड रुपए खर्च कर चुकी है। लेकिन नतीजा यह है कि कूड़ा कम होने के बजाय और बढ़ गया है। जैसा कि प्रेम चौहान जी ने कहा कि जो टेंडर भाजपा ने पहली कंपनी को 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन कूड़े का दिया था, बाद में वही टेंडर दूसरी कंपनी को 400 रुपए प्रति मीट्रिक टन में दे दिया।

इसका मतलब है कि भाजपा प्रति टन 2850 रुपए ज्यादा पैसा भर रही थी। इसमें सीधा-सीधा 84 करोड़ का घोटाला हुआ। इसकी जांच होनी चाहिए। यह पता लगना चाहिए कि 84 करोड़ किसकी जेब में गए। आप एमसीडी की किसी भी फाइल को उठा लो उसमें भ्रष्टाचार जरूर मिलेगा। यही वजह है कि दिन-प्रतिदिन कूड़ा बढ़ता जा रहा है और अब भाजपा दिल्लीभर में 16 नए कूड़े के पहाड़ बनाने जा रही है। एलजी साहब से हमारी मांग है कि इसकी जांच होनी चाहिए कि टेंडर किस कंपनी को दिया गया? क्या यह कंपनी भाजपा के किसी नेता की थी या उनके किसी रिश्तेदार की थी?

आम आदमी पार्टी से ईस्ट एमसीडी के पूर्व नेता प्रतिपक्ष मनोज त्यागी ने कहा कि हमने हमेशा सदन के अंदर भी और सदन के बाहर भी भारतीय जनता पार्टी के तमाम भ्रष्टाचारों के मुद्दे उठाए हैं। खासकर कूड़े के पहाड़ों पर हो रहे भ्रष्टाचार में भाजपा ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। चाहे वह ट्रॉमल मशीन की बात हो, आरडीएस की बात हो, ट्रांसपोर्टेशन की बात हो या जेसीबी की बात हो। अभी तो एक आरडीएफ की बात हो रही है जिसका ठेका 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन में एक कंपनी को दिया गया।

जब हमने भाजपा वालों को बोला कि आपने कुल 17 लाख की कीमत वाली मशीन को 18 लाख रुपए प्रति माह किराए के अनुसार लिया हुआ है, वह गलत है तो इन्होंने झूठ बोलना शुरु कर दिया। लेकिन आज उन्होंने खुद ही प्रमाण दे दिया है। पहले जो टेंडर 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन में दिया गया था, वही टेंडर दूसरी कंपनी को 400 रुपए प्रति मीट्रिक टन में दे दिया। इतना बड़ा अंतर केवल भ्रष्टाचार में ही आ सकता है। 2850 रुपए प्रति टन जो घपला किया गया है, उसकी जांच होनी चाहिए। मैं तो कहता हूं कि नेताओं के घरों की नीलामी करके इस नुकसान की भरपाई होनी चाहिए। जो 84 करोड़ रुपयों का घोटाला हुआ है, वह बहुत बड़ा घोटाला है। इसकी जांच जरूरी है

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