एलजी एक काबिले के सरदार की तरह अपने बड़े सरदार को खुश करने के लिए असंवैधानिक रूप से काम कर रहे है- मनीष सिसोदिया

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उपराज्यपाल दिल्ली के लोगों पर अत्याचार करते हुए भूल गए है कि उनका काम अपने बड़े सरदार का हुक्म मानना नहीं बल्कि संविधान के नियमों को मानना है-मनीष सिसोदिया

देश के कानून की व्याख्या करने का सर्वोच्च अधिकार उच्चतम न्यायालय के पास है, उच्चतम न्यायलय ने 1998 में कहा कि दिल्ली में एडमिनिस्ट्रेटर का मतलब एलजी जो चुनी हुई सरकार को बस सलाह देने का काम करेंगे-मनीष सिसोदिया

दिल्ली की चुनी हुई सरकार को बाईपास कर उपराज्यपाल ने संविधान, लोकतंत्र का अपमान किया है और कोर्ट के संवैधानिक पीठ की अवमानना की है-मनीष सिसोदिया

अधिकारियों को सस्पेंड करने की धमकी देकर उनसे असंवैधानिक तरीके से काम करवा रहे एलजी, एमसीडी के पीठासीन अधिकारी व हज कमिटी के सदस्यों की नियुक्ति इसका उदाहरण- मनीष सिसोदिया

एलजी ने संविधान की अवमानना करते हुए चुनी हुई सरकार को बाईपास कर एल्डरमैन की नियुक्ति की जबकि उनका काम केवल सरकार को सुझाव देने का है, निर्णय लेने का नहीं-मनीष सिसोदिया

भाजपा को कांग्रेस के वोट चाहिए इसलिए भाजपा हेडक्वार्टर के आदेश पर उपराज्यपाल ने अधिकारीयों को सस्पेंड करने की धमकी देकर बिना शपथ लिए कांग्रेस की एक पार्षद को हज कमिटी का सदस्य बनाया-मनीष सिसोदिया

संविधान ने उपराज्यपाल को दिल्ली पुलिस को संभालने का काम दिया है, उसपर उनका ध्यान नहीं, एलजी बस सरकार को असंवैधानिक रूप से बाईपास करने का काम कर रहे-मनीष सिसोदिया

भाजपा के नेता द्वारा एक युवती को कार से 12 किमी घसीटा जाता है लेकिन एलजी साहब की हिम्मत नहीं होती कि खड़े होकर कह दे कि भाजपा के नेता ने गलत किया- मनीष सिसोदिया

दिल्ली की जनता एलजी से अपेक्षा करती है कि वे किसी सरदार की तरह कबीला स्टाइल में काम न करें बल्कि संविधान ने आपको कानून व्यवस्था को ठीक करने की जिम्मेदारी की है उसे ठीक करें- मनीष सिसोदिया

दिल्ली में डीडीए की जमीन पर भूमाफियाओं का कब्ज़ा है, आलम ये कि भूमाफिया अधिकारीयों को ट्रान्सफर की धमकी देते है और जब अधिकारी उनकी नहीं मानते तो ट्रान्सफर भी हो जाता है-मनीष सिसोदिया

डीडीए के चेयरमैन के रूप में उपराज्यपाल का काम था कि वो डीडीए के जमीनों को भूमाफियाओं के कब्जे से छुड़वाए लेकिन वो टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फ़िनलैंड जाने से रोकने में व्यस्त- मनीष सिसोदिया

उपराज्यपाल संविधान को मानते ही नहीं है और उन्हें ग़लतफहमी है कि ट्रांस्फरेड सब्जेक्ट उनके हिस्से में है-मनीष सिसोदिया

उपराज्यपाल से निवेदनहै कि वो संवैधानिक पद पर हैं, संविधान का पालन करें न कि किसी कबीले के सरदार के रूप में काम करें, अपने बड़े सरदार को खुश करने के बजाय उन्हें जनता के लिए काम करने की जरुरत-मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली, 18 जनवरी, 2023

दिल्ली की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को बाईपास करते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल यहाँ संविधान और लोकतंत्र का गला घोटने का काम कर रहे है| संविधान में एलजी को केवल लैंड,लॉ एंड आर्डर व पुलिस संबंधित मामलों में निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है और बाकी मामलों में वे बस चुनी हुई सरकार को सलाह व सुझाव दे सकते है लेकिन दिल्ली में उपराज्यपाल संविधान की अवहेलना करते हुए सरकार को नजरअंदाज कर बाईपास कर असंवैधानिक रूप से सभी निर्णय ले रहे है| इसकी भर्त्सना करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि एलजी एक काबिले के सरदार की तरह अपने बड़े सरदार को खुश करने के लिए असंवैधानिक रूप से काम कर रहे है| उपराज्यपाल दिल्ली के लोगों पर अत्याचार करते हुए भूल गए है कि उनका काम अपने बड़े सरदार का हुक्म मानना नहीं बल्कि संविधान के नियमों को मानना है| उन्होंने कहा कि देश के कानून की व्याख्या करने का सर्वोच्च अधिकार उच्चतम न्यायालय के पास,उच्चतम न्यायलय ने 1998 में कहा कि दिल्ली में एडमिनिस्ट्रेटर का मतलब एलजी जो चुनी हुई सरकार को बस सलाह देने का काम करेंगे लेकिन दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामों को बाईपास कर उपराज्यपाल ने संविधान का अपमान किया है, लोकतंत्र का अपमान किया है, कोर्ट के संवैधानिक पीठ की अवमानना की है| वो अधिकारीयों को सस्पेंड करने की धमकी देकर उनसे असंवैधानिक तरीके से काम करवा रहे एलजी, एमसीडी के पीठासीन अधिकारी व हज कमिटी के सदस्यों की नियुक्ति इसका उदाहरण है| संविधान ने उपराज्यपाल को दिल्ली की पुलिस को संभालने का काम दिया उसपर उनका ध्यान नहीं,एलजी बस सरकार को असंवैधानिक रूप से बाईपास करने का काम करेंगे| भाजपा के नेता द्वारा एक युवती को कार से 12 किमी घसीटा जाता है लेकिन एलजी साहब की हिम्मत नहीं होती कि खड़े होकर कह दे कि भाजपा के नेता ने गलत किया| मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली की जनता एलजी से अपेक्षा करती है कि वे किसी सरदार की तरह कबीला स्टाइल में काम न करें बल्कि संविधान ने आपको कानून व्यवस्था को ठीक करने की जिम्मेदारी दी है उसे ठीक करें| मेरी उपराज्यपाल से निवेदन है वो संवैधानिक पद पर है, संविधान का पालन करें न की किसी कबीलों के सरदार के रूप में काम करें| अपने बड़े सरदार को खुश करने के बजाय उन्हें जनता के लिए काम करने की जरुरत है|

श्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल इस समय न तो लोकतंत्र को मान रहे है, न ही संविधान को मान रहे है न ही संविधान पीठ के निर्णय को मान रहे है| उपराज्यपाल भूल गए है कि वो किसी काबिले के सरदार नहीं है बल्कि संविधान के तहत एक संवैधानिक पद पर नियुक्त किए गए है| उन्होंने कहा कि हम फिल्मों में देखते है कि कबीलों का एक बिगड़ा हुआ सरदार होता है जो लोगों पर तानाशाही कर अपने बड़े सरदार को खुश करने का काम करता है| उपराज्यपाल भी दिल्ली के लोगों पर तानाशाही कर,अत्याचार कर अपने बड़े सरदार को खुश करने का काम कर रहे है| वो भूल गए है कि उनका काम अपने बड़े सरदार का हुक्म मानना नहीं बल्कि संविधान के नियमों को मनना है| उपराज्यपाल ने संविधान का अपमान किया है, लोकतंत्र का अपमान किया है, कोर्ट के संवैधानिक पीठ की अवमानना की है|

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा साहेब के संविधान ने जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को-विधानसभा को कुछ जिम्मेदारी और अधिकार दिए है और बाबा साहेब द्वारा बनाये गए देश के संविधान की दूसरी सूची में एंट्री 5 पर लोकल गवर्नेंस शब्द लिखा है और वो इसलिए लिखा गया था कि देश में म्युनिसिपल बॉडीज के बारे में निर्णय लेने का अधिकार केंद्र सरकार का नहीं बल्कि राज्य सरकार का है| उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के संविधान का आदर करते हुए एलजी को ये समझने कि जरुरत है कि लोकल गवर्नेंस के विषय में निर्णय राज्य सरकार और लोकल बॉडीज ही लेंगी एलजी को उसमें हस्तक्षेप करने की जरुरत नहीं है|

देश के कानून की व्याख्या करने का सर्वोच्च अधिकार उच्चतम न्यायालय के पास,उच्चतम न्यायलय ने 1998 में ही कह दिया था कि दिल्ली में एडमिनिस्ट्रेटर का मतलब एलजी जो चुनी हुई सरकार को बस सलाह देने का काम करेंगे

श्री सिसोदिया ने कहा कि विधानसभा में विजेंदर गुप्ता जी ने कहा कि 10 एल्डरमैन चुनने का अधिकार एलजी साहब के पास है| मैं उन्हें बताना चाहता हूँ कि संविधान ने ये अधिकार राज्य सरकार को दे रखा है| उन्होंने कहा कि एलजी जिस एडमिनिस्ट्रेटर शब्द कि बात करते है तो मैं बता दूँ कि इस देश के कानून की व्याख्या करने का सर्वोच्च अधिकार उच्चतम न्यायालय के पास है और उच्चतम न्यायलय ने 1998 में ही कह दिया था कि दिल्ली में एडमिनिस्ट्रेटर का मतलब एलजी है जो चुनी हुई सरकार को बस सलाह देने का काम करेंगे|

उन्होंने कहा कि देश की सर्वोच्च आदालत के जस्टिस लाहौटी ने 1998 में पाहवा केस में लिख रखा है कि एलजी का मतलब एडमिनिस्ट्रेटर है और उनके पास किसी जुडिशल काम में ही निर्णय लेने का अधिकार है| बाकि चुनी हुई सरकार को मानना उनकी बाध्यता है और वो केवल सुझाव ही दे सकते है| लेकिन एलजी साहब का कहना है कि वो तो चुनी हुई सरकार को मानते ही नहीं है| इसलिए संविधान को तोड़ते हुए 10 एल्डरमैन नियुक्त कर दिए|

अधिकारीयों को सस्पेंड करने की धमकी देकर उनसे असंवैधानिक तरीके से काम करवा रहे एलजी, एमसीडी के पीठासीन अधिकारी व हज कमिटी के सदस्यों की नियुक्ति इसका उदाहरण

श्री सिसोदिया ने कहा कि एल्डरमैन चुनने के लिए दिल्ली की चुनी हुई सरकार उपराज्यपाल को प्रस्ताव देती है और अबतक ऐसा ही होता रहा है लेकिन अब देश में ये पहली बार हो रहा है कि चुनी हुई सरकार को बाईपास करते हुए उपराज्यपाल अधिकारीयों को असंवैधानिक रूप से आदेश देते है कि यदि मेरे कहने पर एल्डरमैन की लिस्ट जारी नहीं करोगे तो सस्पेंड कर दिए जाओगे| और इसी के डर से अधिकारी ने एलजी के असंवैधानिक आदेश को माना|

उन्होंने कहा कि एल्डरमैन चुनने के लिए सरकार एलजी को 10 नाम प्रस्तावित करती अगर एलजी साहब को लगता कि ये नाम नहीं होने चाहिए तो वो चुनी हुई सरकार को इसे बदलने को बोलते और यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो एलजी निर्णय लेने के लिए ये मुद्दा केंद्र सरकार के पास भेजते| लेकिन एलजी ने यहाँ संविधान की अवमानना करते हुए चुनी हुई सरकार को बाईपास कर एल्डरमैन की नियुक्ति की जबकि उनका काम केवल सुझाव देने का है निर्णय लेने का नहीं|

श्री सिसोदिया ने कहा कि ठीक ऐसे ही उपराज्यपाल ने अधिकारीयों को सस्पेंड करने की धमकी देकर बिना शपथ लिए कांग्रेस की एक पार्षद को हज कमिटी का सदस्य बना दिया| क्योंकि भाजपा को कांग्रेस के वोट चाहिए और एलजी साहब के पास भाजपा के हेडक्वार्टर से आदेश आया था कि उसे सदस्य बना दे| ये देश में पहली बार हो रहा है कि एलजी चुनी हुई सरकार से कुछ नहीं पूछते और सरकार को सुझाव देने के बजाय सरकार को बाईपास करते हुए स्वयं निर्णय लेते है व अधिकारीयों को अपने असंवैधानिक आदेश मानने को मजबूर करते है|

उपमुख्यमंत्री ने साझा करते हुए कहा कि एमसीडी के प्रीजाईडिंग ऑफिसर के एलजी साहब को 7 बार के चुने हुए पार्षद का नाम मुख्यंत्री जी की अनुमति के साथ भेजा गया क्योंकि सबसे अनुभवी व्यक्ति को ही प्रीजाईडिंग ऑफिसर बनाया जाता है| लेकिन एलजी साहब ने झूठ बोलते हुए कहा कि उन्हें 6 नाम भेजे गए| यहाँ प्रीजाईडिंग ऑफिसर के नाम पर एलजी साहब को सिर्फ अपना सुझाव देना था लेकिन सरकार को बाईपास करते हुए, संविधान तोड़ते हुए एलजी ने पहली बार जीती पार्षद शिखा राय को पीठासीन अधिकारी बनाना तय किया| इसकी फाइल वापिस मुख्यमंत्री या मंत्री को भेजने के बजाय फाइल सीधे मुख्य सचिव को भेजी और कहा कि यदि ये आदेश जारी नहीं किया तो सस्पेंड कर दूंगा| उन्होंने कहा कि अधिकारीयों को सस्पेंड करने की धमकी डेकर एलजी उनसे असंवैधानिक रूप से गलत काम करवा रहे है|

संविधान ने उपराज्यपाल को दिल्ली की पुलिस को संभालने का काम दिया उसपर उनका ध्यान नहीं ,एलजी बस सरकार को असंवैधानिक रूप से बाईपास करने का काम करेंगे

श्री सिसोदिया ने कहा कि संविधान ने एलजी साहब को पुलिस, लॉ एंड आर्डर, लैंड बस तीन काम दिए है| लेकिन एलजी साहब इनपर ध्यान देने के बजाय जनता द्वारा चुनी हुई सरकार जो काम कर रही है उसमें टांग अडाने का काम कर रहे है| उन्होंने कहा कि नए साल की रात भाजपा के एक नेता द्वारा एक युवती को कार से 12 किमी घसीटा जाता है लेकिन एलजी साहब की हिम्मत नहीं होती कि खड़े होकर कह दे कि भाजपा के नेता ने गलत किया| उनकी हिम्मत नहीं होती कि पीडिता के घर जाकर उसके परिवार को कहे कि भाजपा के नेता ने गलत किया| लेकिन एलजी ये नहीं कह पाएंगे क्योंकि उन्हें पता है कि वो एक व्यक्ति के लिए ऐसा कहेंगे उधर भाजपा का कोई दूसरा नेता ऐसा करते हुए पाया जायेगा| श्री सिसोदिया ने कहा कि संविधान ने उपराज्यपाल को दिल्ली की पुलिस को संभालने का काम दिया है लेकिन एलजी ये नहीं करेंगे वो तो बस सरकार को बाईपास कर एल्डरमैन की नियुक्ति देखेंगे, पीठासीन अधिकारीयों की नियुक्ति देखेंगे|

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में अपराध लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन उपराज्यपाल का ध्यान इस ओर नहीं है वो बस दिल्ली सरकार के कामों में दखलअंदाजी करेंगे| पिछले 6 महीनों में उपराज्यपाल एक दिन भी किसी पुलिस स्टेशन में काम देखने या किसी घटना स्थल पर नहीं गए| उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता एलजी से अपेक्षा करती है कि वे किसी बड़े सरदार की तरह कबीला स्टाइल में काम न करें बल्कि संविधान ने आपको पुलिस को ठीक करने की जिम्मेदारी की है उसे ठीक करें|

डीडीए की जमीनों पर भूमाफियाओं का कब्ज़ा, इनसे कब्ज़ा छुड़वाना एलजी का काम लेकिन एलजी का इस ओर कोई ध्यान नहीं

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आज दिल्ली में डीडीए की जमीन पर भूमाफियाओं का कब्ज़ा है| आलम ये है कि भूमाफिया दिल्ली में दानिक्स अधिकारीयों को धमकी देते है कि रातो रात मेरे मुताबिक काम करवा दो वर्ना ट्रान्सफर करवा दूंगा और जब अधिकारी नहीं मानते तो ट्रान्सफर भी हो जाता है| हमारे विधायक राजेन्द्र पाल गौतम,विनय मिश्रा ने स्कूल की जमीनों को भाजपा समर्थित भूमाफियाओं से छुड्वाया| डीडीए के चेयरमैन के रूप में उपराज्यपाल का ये काम था कि वो इन जमीनों को कब्जे से छुड़वाए लेकिन एलजी इसपर बात नहीं करेंगे| वो बस बात करेंगे कि टीचर्स फ़िनलैंड नहीं जाने चाहिए| वो बस काबिले के सरदार के रूप में अपने बड़े सरदार को खुश करने के लिए काम कर रहे है क्योंकि वो संविधान को मानते ही नहीं है और उन्हें ग़लतफहमी है की ट्रांस्फेरेड सब्जेक्ट उनके हिस्से में है|

उन्होंने कहा कि एलजी अपने हिस्से में आने वाले कामों की बात नहीं करेंगे| वो न जमीन और भूमाफिया की बात करेंगे, न ही लॉ एंड आर्डर व पुलिस की बात| एलजी साहब बात करेंगे की दिल्ली में सीसीटीवी कैमरा नहीं लगने चाहिए, मोहल्ला क्लिनिक नहीं बनने चाहिए, डोर स्टेप डिलीवरी नहीं होनी चाहिए क्योंकि ट्रैफिक बढ़ जायेगा, योग क्लासेज बंद हो जानी चाहिए, टीचर्स ट्रेनिंग के लिए नहीं जाने चाहिए, जल-बोर्ड को फंड नहीं मिलना चाहिए, मेडिकल स्टाफ हटा दिए जाने चाहिए|

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि मैं उपराज्यपाल से निवेदन करना चाहता हूँ कि वो संवैधानिक पद पर है, संविधान का पालन करें न की किसी कबीलों के सरदार के रूप में काम करें| उन्हें अपने बड़े सरदार को खुश करने के लिए काम नहीं बल्कि जनता के लिए काम करने की जरुरत है|

सदन में ‘आप’ के विधायक सौरभ भारद्वाज ने पेश किया संकल्प पत्र

आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने आज सदन में एक संकल्प पत्र पेश किया। उन्होंने संकल्प पत्र पढ़ते हुए कहा, “यह सदन दिनांक 18.01.2023 को आयोजित अपनी बैठक में संकल्प करता है कि यह माननीय उप राज्यपाल द्वारा दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के कामकाज में, विशेष रूप से मेयर, डिप्टी मेयर तथा स्थायी समिति के सदस्यों के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन में असंवैधानिक हस्तक्षेप के संबंध में चिंतित है।
यह सदन दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देता है कि मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के चुनाव दिल्ली नगर निगम अधिनियम और भारत के संविधान के अनुसार आयोजित किए जाएं।
यह सदन दिल्ली नगर निगम के आयुक्त को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश देता है कि दिल्ली नगर निगम में मनोनीत सदस्यों को संविधान के अनुच्छेद 243 आर और दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 03 के तहत मतदान करने की अनुमति नहीं दी जाये।”

अंत में विधानसभा के स्पीकर ने प्रस्ताव पर सदन में मौजूद सदस्यों की तरफ से वोटिंग कराई और ध्वनि मत से प्रस्ताव पास कर दिया गया।

संवैधानिक पद पर बैठे एलजी को निष्पक्ष रहना चाहिए, भाजपा की लिस्ट एलजी के पास कैसे पहुंची और उन्होंने एल्डरमैन कैसे नियुक्त कर दिया – सौरभ भारद्वाज

एमसीडी चुनाव में जिस तरह से एलजी ने 10 मनोनीत सदस्यों का चुनाव किया है, इससे उनकी निष्पक्षता पर कई सवाल खड़े होते हैं। सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एमसीडी चुनाव में जो 10 मनोनीत सदस्य चुने गए हैं, यह सभी भाजपा के कार्यकर्ता हैं। यह सभी लोग भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष, किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं, इसी तरह किसी न किसी तरीके से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं।

ऐसे में सबसे अहम सवाल यह उठता है कि एलजी कार्यालय के अंदर भारतीय जनता पार्टी के जिला स्तरीय कार्यकर्ताओं की सूची आखिर कैसे पहुंची? इसकी तो कोई प्रकिया ही नहीं है। क्या वाकई भाजपा कार्यालय की कोई भी फाइल एलजी के दफ्तर जा सकती है? अगर इस तरह की कोई भी व्यवस्था या प्रक्रिया संविधान में लिखी है तो एलजी साहब स्पष्ट बताएं। एलजी का पद संवैधानिक है और उन्हें निष्पक्ष रहना चाहिए, फिर भाजपा कार्यकर्ताओं की लिस्ट उनके पास कैसे पहुंची और उन्होंने एल्डरमैन कैसे नियुक्त कर दिए, हमें इसका जवाब चाहिए।
‘आप’ विधायक सौरभ भारद्वाज ने सदन में संवैधानिक प्रक्रिया बताते हुए कहा कि ‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 आर और दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 3 के तहत मनोनीत सदस्यों को मतदान करने की अनुमति नहीं है। एलजी साहब ने इसका भी उल्लंघन किया है।’

विधानसभा में कल त्योहार मनाया गया, इतने शुभ अवसर पर भाजपा के लोग काले कपड़े पहनकर आए, उन्हें एक साल के लिए सदन से बाहर किया जाए – सौरभ भारद्वाज

विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमारे लिए विधानसभा एक मंदिर है। सत्र के दूसरे दिन विधानसभा के अंदर पोंगल, लोहड़ी और हिंदुओं का बड़ा त्योहार मकर संक्रांति का त्योहार मनाया गया। यह एक बहुत अच्छा शुभ दिन था। इतने शुभ अवसर पर भाजपा के लोग काले कपड़े पहनकर आए।
सौरभ भारद्वाज ने अमित शाह का वाक्या याद करते हुए सदन को बताया कि एक बार जब कांग्रेस के कार्यकर्ता काले कपड़े पहनकर धरना करने गए थे, तो अमित शाह ने कहा था कि ‘ये लोग हिंदू विरोधी हैं, यह एक शुभ दिन पर अपशगुन करने के लिए काले कपड़े पहनकर आए हैं।’
इसी तरह कल विधानसभा में एक शुभ दिन पर भाजपा कार्यकर्ता काले कपड़े पहनकर आए। इस विषय पर सदन को संज्ञान लेना चाहिए और कम से कम एक वर्ष के लिए भाजपा के सदस्यों को सदन से बाहर करना चाहिए।

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