- डीसीपीसीआर ने तुगलकाबाद में झुग्गियों को ढहाए जाने के अभियान में स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी बच्चों के पुनर्वास तक अभियान रोकने को कहा है।
- दिल्ली के ऐसे भीषण मौसम में इन परिवारों से उनका आश्रय लेना क्रूरता से कम नहीं है – डीसीपीसीआर
- एएसआई के आदेश में कई खामियां हैं, इनके आदेश में बच्चों के पुनर्वास के लिए कोई प्रयास या प्रावधान की बात नहीं है – डीसीपीसीआर
- छोटे बच्चों को उचित पुनर्वास उपायों के बिना उनके घरों से बेदखल करना बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन है – अनुराग कुंडू, अध्यक्ष डीसीपीसीआर
- एएसआई से आग्रेह किया है कि बच्चों की सलामती सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए; स्थिति की कड़ी निगरानी की जाएगी – अनुराग कुंडू
- डीसीपीसीआर ने एएसआई को निर्देश दिया है कि वह अपना पत्राचार विभिन्न प्राधिकरण को प्रस्तुत करे, ताकि वह बच्चों के पुनर्वास के लिए उपाय बताएं।
दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बुधवार को तुगलकाबाद में झुग्गियों को ढहाने के अभियान में स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने सभी बच्चों के पुनर्वास सुनिश्चित होने तक ध्वस्तीकरण अभियान को स्थगित करने का आदेश दिया है। डीसीपीसीआर ने इस विषय में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें बच्चों के पुनर्वास होने तक अभियान को रोकने की सलाह दी है। अपने नोटिस में आयोग ने लिखा है, “दिल्ली के ऐसे भीषण मौसम में इन परिवारों से आश्रय लेना क्रूरता से कम नहीं है। एएसआई का आदेश कई खामियों से भरा हुआ है, इसमें बच्चों के पुनर्वास के लिए कोई भी प्रयास या प्रावधान की बात नहीं की गई है।” जबकि, डीसीपीसीआर के अध्यक्ष श्री अनुराग कुंडू का कहना है कि, ” छोटे बच्चों को उचित पुनर्वास उपायों के बिना उनके घरों से बेदखल करना बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन है। हम एएसआई से आग्रह करते हैं कि वह बच्चों की सलामती सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। हम स्थिति की कड़ी निगरानी करना जारी रखेंगे।” डीसीपीसीआर ने एएसआई को यह भी निर्देश दिए हैं कि वह विभिन्न प्राधिकरणों को अपना पत्राचार प्रस्तुत करे, ताकि वह बच्चों के पुनर्वास के लिए उपाय बता सके।
दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (दिल्ली सर्कल), भारत सरकार द्वारा दिनांक 11.01.2023 को जारी एक नोटिस पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें तुगलकाबाद किला क्षेत्र के अंदर बने सभी अवैध कब्जे और अतिक्रमणकारियों के घरों को हटाने के आदेश हैं।
आयोग ने इस विषय में चिंता व्यक्त करते हुए लिखा है कि कैसे क्षेत्र के बच्चों को नोटिस जारी होने के 15 दिनों के भीतर घर से बेदखल किया जा रहा है, झुग्गियों को तोड़ा जा रहा है। जबकि बच्चों के लिए कोई राहत या पुनर्वास उपायों पर विचार नहीं किया गया है।
इस विषय में डीसीपीसीआर ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (दिल्ली सर्किल) के निदेशक के नाम नोटिस जारी किया है। डीसीपीसीआर के नोटिस में एएसआई को सलाह दी गई है कि बच्चों के पुनर्वास होने तक अतिक्रमण हटाने के अभियान को निलंबित किया जाए। इसके अलावा, आयोग ने पुरातत्व सर्वेक्षण को यह भी निर्देश दिए हैं कि वह विभिन्न प्राधिकरणों को अपना पत्राचार प्रस्तुत करे, ताकि वह बच्चों के पुनर्वास के लिए उपाय बता सके।
नोटिस में लिखा है, “यह उल्लेखनीय है कि एएसआई के आदेश में कई खामियां है। इसमें बच्चों के पुनर्वास के लिए कोई प्रयास या प्रावधान की बात नहीं की गई है। दिल्ली के ऐसे भीषण मौसम में इन परिवारों से आश्रय लेना क्रूरता से कम नहीं है। इस अभियान से बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी, यह बेदह दुखद है कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को बच्चों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है।”
आगे लिखा है,” किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 के अनुसार, बच्चे के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार, शोषण या जानबूझकर नजरअंदाज करना, जिससे बच्चे को मानसिक या शारीरिक पीड़ा हो सकती है, एक दंडनीय अपराध है। इसमें 3 साल का कारावास या 1 लाख रुपए का जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है। इसके बदले में, डीसीपीसीआर बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम की धारा 130 और बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए आयोग अधिनियम, 2005 की धारा 14 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए घरों को ढहाने की कार्रवाही को रोकने का नोटिस जारी करता है। बच्चों के पुनर्वास होने तक घरों के ध्वस्तीकरण अभियान को स्थगित करने की सलाह देता है।”
स्थिति के बारे में बात करते हुए डीसीपीसीआर के अध्यक्ष श्री अनुराग कुंडू ने कहा, “डीसीपीसीआर तुगलकाबाद में निवासियों को बेदखल करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा जारी नोटिस से काफी चिंतित है। हमारा मानना है कि उचित पुनर्वास उपायों के बिना छोटे बच्चों को उनके घरों से बेदखल करना बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन है, और खास कर कि उनके भविष्य के लिए हानिकारक है। हमने एएसआई को नोटिस जारी कर प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले बच्चों के पुनर्वास पर तत्काल कार्रवाई करने की सलाह दी है। हमारा मानना है कि इस ध्वस्तीकरण अभियान से बच्चों को परेशानी नहीं होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “हम एएसआई से आग्रह करते हैं कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए तत्काल कदम उठाए और यह सुनिश्चित करें कि क्षेत्र में रहने वाले बच्चों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे। हम स्थिति की बारीकी से निगरानी करना जारी रखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चों को उनका अधिकार मिले।”
डीसीपीसीआर के बारे में
बच्चों के अधिकारों की निगरानी करने के लिए बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन किया गया है। यह आयोग किशोर न्याय अधिनियम 2015 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) के कार्यान्वयन की निगरानी और समीक्षा करने के लिए वैधानिक प्राधिकरण भी है।