*कोहली जी सिर्फ एक राजनेता नहीं थे बल्कि वह एक संगठक और विचारक थे – जे.पी. नड्डा
*कोहली जी ने हमेशा ही अपने कर्तव्यों पर ध्यान दिया और भगवत गीता में ऐसे व्यक्तित्व को सात्विक मनुष्य कहा गया है – दत्तात्रेय होसाबाले
गुजरात के पूर्व राजयपाल और दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रो. ओम प्रकाश कोहली की स्मृति में आज दिल्ली के सिविक सेंटर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसाबाले, विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष श्री अलोक कुमार और सांसद डॉ. हर्ष वर्धन एवं दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र सचदेवा ने श्रृद्धासुमन अर्पित किये और सभा को सम्बोधित कर प्रो. ओ.पी. कोहली के जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन विचार परिवार के वरिष्ठ नेता श्री राजकुमार भाटिया ने किया। श्रद्धांजलि सभा में भक्ति संगीत एवं पुष्पांजलि के माध्यम से प्रो. ओ.पी. कोहली को श्रद्धांजली अर्पित की गई।
इस अवसर पर असम के पूर्व राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी, नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी, सांसद श्री रमेश बिधूड़ी, राष्ट्रीय मंत्री श्रीमती अल्का गुर्जर, राष्ट्रीय कार्यालय सचिव श्री महेन्द्र पाण्डेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री सरदार आर पी सिंह, प्रदेश महामंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा और श्री दिनेश प्रताप सिंह, असम के सह प्रभारी श्री पवन शर्मा एवं जम्मू कश्मीर के सह प्रभारी श्री आशीष सूद, एनडीएमसी के वाइस चेयरमैन श्री सतीश उपाध्याय, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री विजय गोयल एवं श्री आदेश गुप्ता, संघ प्रचारक श्री विजय शर्मा तथा भाजपा कार्यकर्त्ता उपस्थित थे। प्रो. कोहली के पुत्र श्री विशु कोहली एवं सुपुत्री श्रीमती ऋतू कोहली ने श्रद्धांजलि सभा में सम्मिलित सभी शोकाकुलजनों का आभार व्यक्त किया।
जे. पी. नड्डा ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि अगर कोहली जी को सच्ची श्रद्धांजलि देनी है तो हमें सबसे पहले उनके जीवन के पहलुओं को समझकर उसे अपने जीवन में उतारने की कोशिश करनी होगी। उन्होंने कहा कि मैं खुद को सौभाग्यशाली समझता हूं क्यूंकि मुझे प्रो ओ पी कोहली जी के साथ राजनीति और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का मौका मिला। प्रो कोहली जी सिर्फ एक राजनेता नहीं थे बल्कि वह एक संगठक और विचारक थे इसलिए उनको शब्दों में व्यक्त करना बहुत मुश्किल है।
नड्डा ने कहा कि प्रो कोहली ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन एक तपस्वी के भाव से किया और उस समय जब दिल्ली विश्व विद्यालय में वामपंथी विचारधारा का बोलबाला था, उस वक्त उन्होंने खासकर शिक्षकों के अंदर राष्ट्रवादी विचारधारा को स्थापित करने का काम किया। उन्होंने कहा कि प्रो कोहली जी ने अपने विचारधारा से लाखों छात्रों को प्रभावित किया। उन्होंने दिल्ली को एक दिशा देने के साथ-साथ एक आदर्शवादी सांसद का उदाहरण पेश किया। प्रो ओ पी कोहली जी संयम, समर्पण और सहनशीलता के प्रतिक थे।
दत्तात्रेय होसाबाले ने कोहली जी को याद करते हुए उनके साथ बिताये समय और बातों को साझा किया और कहा कि किसी एक व्यक्ती विशेष के लिए अगर सभी कार्यकर्ताओं को एक ही प्रकार का अनुभव हो रहा हो तो वह उस व्यक्तित्व और विचार को दर्शाता है। उन्होंने सभी के साथ एक जैसा व्यवहार किया।
दत्तात्रेय ने कहा कि सभी के पास एक दिल होता है लेकिन प्रो कोहली के बारे में ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि उनका पूरा शरीर हृदयवान था। राज्यपाल के रूप में बड़े पद होने के बावजूद भी उन्होंने शांत और जमीन से जुड़े कार्यकर्त्ता के रूप में खुद को प्रस्तुत किया। सुख-दुख, हार-जीत इन सब चीजों से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा बल्कि हमेशा ही उन्होंने अपने कर्तव्यों पर ध्यान दिया और भगवत गीता में ऐसे व्यक्तित्व को सात्विक मनुष्य कहा गया है।
अलोक कुमार ने कहा कि संगठन का काम करते करते उन्हें उच्चइयां तो बहुत मिली लेकिन बावजूद उसके उन्होंने सभी को गले लगाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि उस समय ज्यादा सुविधाएं नहीं थे लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा था और यही कारण है कि कभी भी पद मिले न मिले इसका उन्हें गम नहीं था लेकिन एक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने जी तोड़ मेहनत की और पार्टी के लिए हमेशा तत्पर रहे।
अलोक कुमार ने कहा कि प्रो कोहली एक ऐसे व्यक्तित्व थे जो विराट थे, उनका मन बहुत बड़ा था इसलिए उनके अंदर पूरी दिल्ली समा जाती थी। सबसे सहजता से मिलने की उनकी आदत थी। उन्होंने कहा कि बाकी लोग प्रयत्न करते है अपने बच्चों को आगे बढ़ाने की लेकिन उन्होंने अपने घर के बच्चे को रोका था ताकि कोई उनकी छवि से बच्चे की पहचान बनने की बात ना कही जाये। एक अच्छे श्रोता के रूप में उनकी एक अलग पहचान बनी और वह दूसरे के विचार सुनने के बाद ही अपनी बातों को रखते थे।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कोहली जी को पिछले तीन दशक में उनके विभिन्न जिम्मेदारी पर काम करते हुए देखा और बहुत कुछ सिखने को मिला। वह इंसान नहीं बल्कि अपने आप में एक इंस्टिट्यूट थे जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। उन्होंने कहा कि बहुत गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ उन्होंने अपने कर्तव्यां का निर्वाहन किया। उनके गुण असाधारण थे जो कि खासकर सार्वजनिक जीवन में मुश्किल होता है। एक आदर्श पुरुष, कार्यकर्ता और स्वयंसेवक थे। वे एक तरह से भाजपा में आज़ादशत्रु थे।