Dasara Movie Review:कच्ची भावनाओं की इस कहानी में धरनी के रूप में नानी अविश्वसनीय हैं

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एस एस राजामौली की फिल्म ‘मक्खी’ के बाद साउथ सिनेमा के नेचुरल स्टार कहे जाने वाले नानी अपनी फिल्म दशहरा के माध्यम से एक बार फिर हिंदी भाषी दर्शको के समक्ष आए हैं। एस एस राजामौली की सबसे लोकप्रिय  फिल्मों में से एक ‘ईगा’ हिंदी में ‘मक्खी’ के नाम से साल 2012 में रिलीज हुई थी। वैसे नानी टीवी पर साउथ की डबिंग फिल्में देखने वाले दर्शको के बीच अच्छे खासे चर्चित हैं। शाहिद कपूर की फिल्म ‘जर्सी’ इन्हीं नानी की इसी नाम की तेलुगू फिल्म की रीमेक थी।

फिल्म ‘दशहरा’ की कहानी गोधवारीखानी के वीरलापल्ली गांव की है। जहां लोग शराब पीते रहते हैं। बिना शराब के उनकी जिंदगी बेहाल है। व कोयले की खान में काम करते हैं और इसके लिए उन्हें लगता है कि शराब पीना जरूरी है. उसी गांव में तीन दोस्त रहते हैं धरनी, सूरी और वेनेला। धरनी और सूरी दोनों वेनेला से प्यार करते हैं। धरनी को पता चलता है कि उसका दोस्त सूरी भी वेनेला से प्यार करता है, तो दोस्त के खातिर अपने प्यार को कुर्बान कर देता है। गांव में दो गुटों के बीच राजनीति भी हो रही है। इस वजह से इन तीनों की जिंदगी कैसे बदलती है, औरधरनी  को कैसे अपना प्यार हासिल होता है, यही फिल्म की कहानी है।

पिछले कुछ वर्षो में साउथ की फिल्में जब से डब होकर अखिल भारतीय स्तर पर रिलीज होनी शुरू हुई हैं और उन्हें सफलता मिलनी शुरू हुई, तब से साउथ के हर बड़े स्टार को लगने लगा है कि इस बहती हुई गंगा में डुबकी लगा लेना चाहिए। शायद इसी सोच के तहत नानी ने भी अपनी फिल्म ‘दशहरा’ को पैन इंडिया स्तर पर रिलीज करने की सोची और इसे प्रमोट करने के लिए कई हिंदी भाषी शहरों में भी गए। कहते हैं कि फिल्म का हिंदी ट्रेलर भी उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रिलीज किया था। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह फिल्म ‘बाहुबली’, ‘केजीएफ’, ‘पुष्पा’ और ‘कांतारा’ के डब हिंदी संस्करणों जैसा जादू चला पाएगी क्योंकि इस फिल्म को देखने के बाद यूं लगता है कि इसके मेकर्स ‘केजीएफ’ और ‘पुष्पा’ का कॉकटेल बनाकर ले आएं।

फिल्म के निर्देशक श्रीकांत ओडेला की ‘दशहरा’ पहली फिल्म है। इस फिल्म में शराब व्यापार, गांव की राजनीति, जाति पाति, दोस्ती और प्रेम कहानी का कॉकटेल बनाने के चक्कर में फिल्म को एक सही दिशा ले जाने असमर्थ रहे है। ‘दशहरा’ के म्यूजिक लांच में जब फिल्म की पूरी टीम मुंबई आई थी, तो नानी ने कहा था कि फिल्म ग्रामीण पृष्ठभूमि पर है इसलिए फिल्म में सबके कॉस्ट्यूम ‘पुष्पा’ से मिलते जुलते हैं। फिल्म देखते समय उनकी यही बात बार बार याद आती रहती है।

यह फिल्म पूरी तरह से टिपिकल साउथ इंडियन फिल्म है। पूरी फिल्म में जबरदस्त एक्शन सीन है जिस पर काफी मेहनत भी की गई है। हालांकि कुछ एक्शन ऐसे हैं, जो बहुत ही वीभत्स लगते हैं। फिल्म के निर्देशक  श्रीकांत ओडेला ने एक अच्छी फिल्म बनाने की कोशिश की है, लेकिन उन्हें फिल्म की कहानी और पटकथा पर थोड़ी सी और मेहनत करने की जरुरत थी। नानी के इमोशनल सीन में वह भाव निकल कर नहीं आते हैं, इसकी वजह शरद केलेकर की भारी भरकम आवाज है। हिंदी पट्टी में फिल्म ‘दशहरा’ अजय देवगन की फिल्म ‘भोला’ के साथ रिलीज हुई है, दोनों में एक्शन की भरपार है, बाकी सब कुछ इसमें भी हाशिये पर है।

फिल्म की रेटिंग की बात करें तो हम इसे 5 में से 3.5 स्टार देंगे। ब्यूरो रिपोर्ट एंटरटेनमेंट डेस्क टोटल खबरे दिल्ली

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