दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग की आपराधिक संवेदनहीन लापरवाही के एक मामले की ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया, जिसे एक बड़े वित्तीय घोटाले के रूप में भी पहचाना गया है।
पत्र में कहा गया है कि महिलाओं और नाबालिग बच्चों की सुरक्षा के लिए चिंता दिखाते हुए अरविंद केजरीवाल सरकार ने 2018 में सार्वजनिक परिवहन वाहनों खासकर कैब और बसों में पैनिक बटन लगाने की घोषणा की थी।
2019 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा डीटीसी बसों एवं कैब के अलावा दिल्ली में चलने वाले सभी सार्वजनिक परिवहन वाहनों में पैनिक बटन लगाने की योजना शुरू की गई थी।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि पैनिक बटन ऑपरेशन की निगरानी के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे और संकट की स्थिति में तत्काल सहायता प्रदान की जाएगी।
वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के तुरंत बाद दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने शुल्क वसूलना शुरू कर दिया और कैब मालिकों से 9000 रूपये प्रति कैब तो बस मालिकों से प्रति वाहन 22000 रूपये पैनिक बटन लगाने के लिए वसूल किये गए।
सरकार की घोषणाओं के बावजूद कैब और बसों में पैनिक बटन लगाने का काम आगे नहीं बढ़ा और एक जनहित याचिका भी दायर की गई, जिससे दिल्ली उच्च न्यायालय को दखल देना पड़ा और दिसंबर 2022 में डीटीसी बसों में पैनिक बटन लगाने का निर्देश देना पड़ा।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा है कि हाल ही में हमें शिकायतें मिलने लगीं कि कैब और बसों में लगे पैनिक बटन काम नहीं कर रहे हैं. हमने जांच की और पुष्टि हुई कि पैनिक बटन काम नहीं कर रहे हैं।
जांच के बाद पिछले हफ्ते दिल्ली बीजेपी ने मीडिया के सामने लाइव प्रदर्शन के माध्यम से इस मुद्दे को उठाया कि पैनिक बटन काम नहीं कर रहे हैं और मीडिया के सामने स्थापित किया कि बटन दबाने के 1 घंटे बाद भी जी.पी.आर.एस. से लैस वाहन तक में कोई सरकारी मदद नहीं आई।
पत्र में कहा गया है कि हमारे मीडिया के प्रदर्शन के बाद परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने जवाब दिया कि पैनिक बटन सिस्टम 2 कंट्रोल रूम के साथ काम कर रहा है।
हमने तथ्यों की दोबारा जांच की और पिछले रविवार 18 जून को मंत्री कैलाश गहलोत को पूर्व सूचना देकर फिर से लाइव मीडिया के सामने जाकिर हुसैन मार्ग पर प्रदर्शन में किया और दिखाया कि पैनिक बटन दबाने पर कोई सरकारी मदद नहीं आती है।
पत्र में कहा गया है कि दसियों सार्वजनिक कैब से जुड़े दूसरे लाइव प्रदर्शन के बाद हम कह सकते हैं कि अरविंद केजरीवाल सरकार का परिवहन विभाग 2019 से इन 4 वर्षों के दौरान महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण पैनिक बटन के मुद्दे पर ट्रांसपोर्ट विभाग छलावा करता रहा है।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि यह मामला महिलाओं और छोटी बच्चों की सुरक्षा में चूक होने के अलावा केजरीवाल सरकार के परिवहन विभाग के सैकड़ों करोड़ का वित्तीय घोटाले की ओर भी इशारा कर रहा है।
दिल्ली में लगभग 1 लाख 12 हजार पंजीकृत कैब हैं जिनसे परिवहन विभाग ने वार्षिक नवीनीकरण शुल्क के अलावा पैनिक बटन लगाने के लिए 9000 रुपये वसूल किये हैं।
दिल्ली में करीब 10 हजार बसें ऐसी हैं जिनसे पैनिक बटन के लिए वार्षिक नवीनीकरण के अलावा प्रति बस 22000 रुपये लिए गए हैं।
वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि परिवहन विभाग द्वारा वेंडरों और नवीकरण शुल्कों के माध्यम से एकत्र किए गए स्थापना शुल्कों की एक बुनियादी गणना से पता चलता है कि 2019 और 2023 के बीच 400 से 500 करोड़ रूपये की राशि परिवहन विभाग द्वारा वाहन स्वामियों से वसूली जा चुकी है।
पत्र में कहा गया है कि केजरीवाल सरकार द्वारा बिना कोई नियंत्रण कक्ष या बुनियादी ढांचा स्थापित किए पैनिक बटन शुल्क वसूलना लोगों को धोखा देने का आपराधिक कृत्य है।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने उपराज्यपाल से आग्रह किया है कि सार्वजनिक परिवहन वाहनों जैसे कैब और बसों में लगे पैनिक बटन के काम न करने के मुद्दे पर ट्रांसपोर्ट विभाग से रिपोर्ट मांगे। ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा कैब और बस मालिकों से शुल्क लेने के बावजूद पैनिक बटन का काम ना करना अंततः एक महिला और बाल सुरक्षा चूक है और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर आपराधिक चूक के लिए कार्रवाई का आदेश दें।