माननीय उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना ने आज भलस्वा सेनेटरी लैंडफिल साइट पर बायो-माइनिंग कार्य का निरीक्षण किया जहां ठोस अपशिष्ट पृथक्करण की क्षमता बढ़ाने के लिए 14 नई ट्रॉमेल मशीनें स्थापित की गई हैं। 14 नई ट्रॉमेल मशीनों के साथ, बायो-माइनिंग कार्य में लगी ट्रॉमेल मशीनों की कुल संख्या 32 हो गई है, जो जनवरी 2023 तक 10,000 टीपीडी के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी। इस अवसर पर एलजी ने भलस्वा लैंडफिल साइट से एनएचएआई और सीमेंट संयंत्रों द्वारा उपयोग के लिए 652 मीट्रिक टन इनर्ट, सी एंड डी अपशिष्ट और आरडीएफ से भरे 40 ट्रकों को झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर दिल्ली के मुख्य सचिव, एमसीडी के विशेष अधिकारी व अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
उपराज्यपाल महोदय ने बायो माइनिंग कार्य का निरीक्षण करने के बाद कार्य में तेजी लाने और 30 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे के बायो माइनिंग अनुबंध के अनुसार 18 माह की बजाय अगले 15 माह में कार्य पूरा करने के निर्देश दिए है।
उपराज्यपाल महोदय को बताया गया कि अल्ट्राटेक सीमेंट, जे. सीमेंट, श्री सीमेंट आदि लैंडफिल साइट्स से आरडीएफ को उठाने और वैकल्पिक ईंधन के रूप में अपने सीमेंट संयंत्रों में इसका उपयोग करने के लिए अनुबंध किया गया है। इसके साथ ही निष्क्रिय/सी एंड डी का निस्तारण एनएचएआई के स्थलों के साथ-साथ निजी बिल्डरों के स्थलों पर भी किया जा रहा है।
इस साल जून के बाद से, जब एलजी महोदय श्री सक्सेना के मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण में ट्रॉमेलिंग कार्य में तेज़ी, डब्ल्यूटीई संयंत्रों को आपूर्ति और सार्वजनिक भागीदारी से कचरे के निस्तारण के प्रयास किए गए है, एमसीडी ने 7 महीने में लगभग 42 लाख मीट्रिक टन विरासत अपशिष्ट औसतन 6 लाख मीट्रिक टन प्रति माह कूड़े की निष्पादन किया है। साथ ही सीमेंट निर्माण कंपनियों ने लगभग 10,000 मीट्रिक टन आरडीएफ दिल्ली के ओखला लैंडफिल साइट से केवल 4 महीनों में उठाया है।
यह ध्यान देने योग्य है कि एमसीडी ने लैंडफिल साइट्स पर विरासति कूड़े के ढेर को साफ करने का काम जो इस साल जून में शुरू किया था उसके के निपटान के साथ-साथ ताजा कचरे को दैनिक रूप से संसाधित करने और इसकी कम मात्रा सुनिश्चित करने के प्रयास तेज़ गति से जारी है।