*उत्कृष्ट विद्यालय खोल कर रही है अपना प्रचार
*सरकार अपने कुकृत्य को छिपाने के लिए लोगों को कर रही गुमराह
*सत्तारूढ़ दल ने स्वयं ही सदन नहीं चलने दिया
दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व विधायक श्री विजेन्द्र गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने सदन में भ्रष्ट उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जिन्दाबाद के नारे लगाकर सदन की कार्यवाही को ठप करने की कड़े शब्दों में निंदा की है। श्री गुप्ता ने सत्तारूढ़ दल के सदस्यों द्वारा कल रोहिणी में मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल द्वारा सेक्टर-18 रोहिणी में भीम राव अम्बेडकर उत्कृष्ट विद्यालय के उद्घाटन का राजनीतिकरण करने की भी निंदा की है।
गुप्ता ने कहा कि वास्तविकता में क्षेत्रीय लोगों की मांग पर रोहिणी सेक्टर-18 में डॉ. भीम राव अम्बेडकर सर्वोदय विद्यालय जिसमें 2000 क्षेत्रीय बच्चों का दाखिला किया जाना था।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने रोहिण के सेक्टर-18 में डॉ. भीम राव अम्बेडकर सर्वोदय विद्यालय न खोलकर उत्कृष्ट विद्यलाय का चोरी छिपे शुभारंभ किया। यह पूर्णतः यहाँ के बच्चों के साथ अपराध है।
उन्होंने बताया कि सेक्टर-18, 19 और आस-पास का क्षेत्र घनी आबादी वाला है। यहाँ लगभग एक लाख की आबादी निवास करती है जो कि मुख्यतः निम्न आय वर्ग और अनुसूचित जाति से आते हैं। कठिन परिश्रम के बाद यहाँ पर एक सरकारी स्कूल भवन का निर्माण कराया गया। परंतु भ्रष्ट केजरीवाल सरकार ने स्कूल का नाम बदलकर यहाँ के स्थानीय बच्चों के दाखिले पर रोक लगा दी है। ज्ञात रहे कि दिल्ली शिक्षा अधिनियम के अनुसार बच्चों को अपने आस-पास के क्षेत्र में ही स्कूल की सुविधा मिलनी चाहिए।
गुप्ता ने केजरीवाल सरकार से मांग की कि इस स्कूल को सर्वोदय विद्यालय में बदल दिया जाए ताकि यहाँ पर प्रत्येक बच्चा दाखिला ले सके और कोई भी बालक-बालिका शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं रह जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार अपने कुकृत्य को छिपाने के लिए लोगों को गुमराह कर रही हैं। यह सरकार दलित विरोधी है। बच्चों का हक मार रही है। सरकार ने स्वयं ही हाउस नहीं चलने दिया।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस क्षेत्र के स्थानीय निवासी जो अधिकतर निम्न आय वर्ग से आते हैं, निजी स्कूलों में अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर सकते। मुख्यमंत्री केजरीवाल इन बच्चों से सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने का विकल्प छीनकर उन्हें अपनी आय का अधिकतम भाग निजी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने पर खर्च करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।