- सीएम अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय हित में डिफेंस प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए पेड़ों को हटाने और उनके ट्रांसप्लांटेशन की अनुमति देने वाले प्रस्ताव को दी मंजूरी
- दिल्ली सरकार हमेशा से राष्ट्रीय हित की पक्षधर रही है और इस प्रोजेक्ट के पूरे होने से फोर्स को काफी सहूलियत मिलेगी- अरविंद केजरीवाल
- दिल्ली सरकार ने पर्यावरण की रक्षा के मद्देनजर शर्तानुसार हटाए जाने वाले कुल पेड़ों का 10 गुना अधिक पौधे लगाना अनिवार्य किया है- अरविंद केजरीवाल
- प्रोजेक्ट स्थल से 214 पेड़ ट्रांसप्लांटेशन/हटाए जाएंगे और इसके बदले 2,140 नए पौधे लगाए जाएंगे
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में नए डिफेंस प्रोजेक्ट के निर्माण में बाधक बन रहे पेड़ों को वहां से हटाने और ट्रांसप्लांटेशन करने की अनुमति दे दी है। इन पेड़ों की वजह से निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है। निर्माण एजेंसी से दिल्ली सरकार को इस प्रोजेक्ट स्थल को खाली करने के लिए 214 पेड़ों को हटाने और ट्रांसप्लांटेशन करने की अनुमति देने का प्रस्ताव मिला था। सीएम अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रहित में उक्त प्रस्ताव को मंजूरी देकर प्रोजेक्ट के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। सीएम ने पर्यावरण की सुरक्षा के मद्देनजर बनी गाइडलाइन के अनुसार निर्माण एजेंसी को 214 पेड़ों के बदले 2140 नए पौधों लगाने की शर्त के साथ प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
दरअसल, पेड़ों के एक पैच के चलते साइट के निर्माण कार्य में बाधा पैदा हो रहा है। इसके चलते निर्माण एजेंसी ने दिल्ली सरकार के पर्यावरण और वन विभाग को एक पत्र लिखा था। पत्र के माध्यम से साइट को खाली करने के लिए 214 पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपण करने की मंजूरी मांगी थी। इस पर डिफेंस फोर्स के लिए मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर के महत्व को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय हित में पेड़ों के पैच को साफ़ करके काम में तेजी लाने के लिए सहमति दी है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार हमेशा से राष्ट्रीय हित की पक्षधर रही है। इस प्रोजेक्ट के पूरे होने से फोर्स को काफी सहूलियत मिलेगी। दिल्ली सरकार हमेशा फोर्स की हर संभव मदद करेगी। उन्होंने कहा कि हम सक्रिय रूप से यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि आधुनिक विकास का दिल्ली पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े और प्रभावित होने वाले किसी भी पेड़ की भरपाई के लिए 10 गुना वृक्षारोपण अनिवार्य किया गया हैं।
प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए सीएम ने कहा कि इस प्रस्ताव को एलजी के समक्ष रखा जाएगा। दिल्ली सरकार ने कहा है कि चिन्हित परियोजना स्थल के पास ही प्रत्यारोपण किया जाएगा। दिल्ली सरकार की ओर से साइट पर अप्रूव किए गए और चिंहित पेड़ों के अलावा एजेंसी एक भी अन्य पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। अगर एजेंसी द्वारा अप्रूव किए गए पेड़ों के अलावा किसी भी पेड़ को नुकसान पहुंचाया जाता है, तो यह दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत अपराध माना जाएगा।
दिल्ली सरकार ने एजेंसी के लिए पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपित करने के बदले में दस गुना पेड़ लगाना अनिवार्य किया है। ऐसे में वो 2,14 पेड़ों को हटाने के बदले 2,140 नए पौधे लगाएगी। इन पौधों को चिंहित स्थान पर लगाया जाएगा, जिन्हें पेड़ों को स्थानांतरित करने की अनुमति जारी होने की तारीख से 3 महीने के अंदर लगाया जाएगा। दिल्ली सरकार की ओर से अप्रूव किए गए प्रस्ताव के अनुसार पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपण के बदले में दिल्ली की मिट्टी व जलवायु के अनुकूल विभिन्न प्रजातियों के पौधें लगाए जाएंगे। इनमें नीम, अमलतास, पीपल, पिलखन, गूलर, बरगद, देसी कीकर और अर्जुन समेत अन्य प्रजातियों के पौधें शामिल हैं। इन्हें नॉन फॉरेस्ट लैंड पर 6-8 फीट हाइट के पौधे के रूप में लगाया जाएगा।
इसके अलावा जिन पेड़ों को प्रत्यारोपित किया जाना है, उनके लिए आवेदक एजेंसी को आवश्यक शर्तें पूरी करने के तुरंत बाद प्रक्रिया शुरू करनी होगी। यह कार्य 6 महीने के अंदर पूरा करने के लिए कहा गया है। वे सुपरविजन के लिए ट्री ऑफिसर को एक रिपोर्ट सौंपेंगे। दिल्ली सरकार ने आवेदक एजेंसी से परियोजना के लिए दिल्ली वृक्ष प्रत्यारोपण नीति 2020 का ईमानदारी से पालन करने और उस पर नियमित प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। आवेदक एजेंसी को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जो प्रत्यारोपित पौधे सर्वाइव न कर पाएं, उनके लिए 15 फीट ऊंचाई और कम से कम 6 इंच व्यास वाली स्वदेशी पौधों की प्रजातियां 1रू5 के अनुपात में लगानी होगी। अगर किसी पेड़ पर पक्षियों का घोंसला पाया जाता है तो उसे तब तक काटने या रोपने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि पक्षी उस पेड़ को छोड़ न दें। इसके अलावा पेड़ों की टहनियों की कटाई के 90 दिनों के अंदर उनको मुफ्त में निकटतम श्मशान में भेजा जाएगा।