- उच्च स्तरीय बैठक में डीजेबी उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती, केंद्रीय भूजल बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी और डीजेबी के वरिष्ठ अधिकारी हुए शामिल
- बैठक में लिए गए कई अहम फैसले,गैर पीने योग्य उपयोग के लिए शोधित पानी के इस्तेमाल को दी जाएगी प्राथमिकता : सोमनाथ भारती
- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के “वाटर विजन ” के मुताबिक डीजेबी पानी की बचत के लिए पानी के रियूज पर दे रहा जोर : सोमनाथ भारती
- दिल्ली में 567 एमजीडी शोधित पानी उपलब्ध, पानी की मांग से ज्यादा उत्पादन संभव, सिर्फ इन खास इलाकों में मिलेगी ट्यूबवेल की अनुमति : सोमनाथ भारती
- जिला राजस्व आयुक्त और एसडीएम को है अवैध ट्यूबवेल सील करने का अधिकार, अधिकारियों को दिए निर्देश : सोमनाथ भारती
राजधानी दिल्ली में पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने और भूजल संरक्षण के लिए दिल्ली जल बोर्ड कई कदम उठा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड एक तरफ पेयजल की आपूर्ति और मांग के बीच के अंतर को कम करने में जुटा हुआ है। वही दूसरी तरफ दिल्ली जल बोर्ड पानी की बचत यानी जल संरक्षण के लिए शोधित पानी के रियूज पर जोर दे रहा है। साथ ही डीजेबी भूजल स्तर को बढ़ाने और भूजल संरक्षण के लिए भी कई प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में पानी की उपलब्धता बढ़ाने और पानी की बचत के मुद्दे पर दिल्ली जल बोर्ड मुख्यालय में हाई लेवल मीटिंग का आयोजन किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती ने की। बैठक में डीजेबी, केंद्रीय भूजल बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। इस उच्च स्तरीय बैठक में पानी की बचत और भूजल संरक्षण को लेकर कई अहम फैसले लिए गए। दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती ने दिल्ली में भूजल स्तर की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए भूजल संरक्षण के लिए फैसला किया कि दिल्ली जल बोर्ड अब दिल्ली में गैर पीने योग्य पानी के उपयोग के लिए शोधित पानी के इस्तेमाल को प्राथिमकता देगा। उन्होंने कहा कि गैर पीने योग्य उपयोग जैसे कृषि, सड़कों की धुलाई, औद्योगिक, निर्माण कार्य और पार्कों इत्यादि में ट्यूबवेल की जगह केवल सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के शोधित पानी का ही इस्तेमाल किया जाएगा। भूजल संरक्षण के मद्देनजर इस बैठक में एक ओर बड़ा फैसला लेते हुए तय किया गया कि जिन क्षेत्रों में पाइपलाइन से पेयजल की पर्याप्त उपलब्धता है, उन क्षेत्रों में ट्यूबवेल लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। डीजेबी उपाध्यक्ष ने बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अवैध ट्यूबवेल के खिलाफ कारवाई का अधिकार सम्बंधित क्षेत्र के राजस्व जिला आयुक्त और एसडीएम का है। डीजेबी उपाध्यक्ष ने कहा कि मुखयमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी के “वाटर विजन” के तहत डीजेबी दिल्ली को पेयजल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पानी की कमी का स्थाई समाधान खोजने के प्रयास कर रहा है,जिसके लिए जल उत्पादन बढ़ाने, भूजल संरक्षण, भूजल स्तर में बढ़ोत्तरी और शोधित पानी के रियूज पर जोर दिया जा रहा है।
गैर पीने योग्य उपयोग में होगा शोधित पानी का इस्तेमाल
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के “वाटर विजन ” के मुताबिक डीजेबी पानी की बचत के लिए शोधित पानी के रियूज को प्राथमिकता दी जाएगी। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के शोधित पानी को गैर पीने योग्य उपयोग जैसे सड़कों की धुलाई, कृषि, औद्योगिक, निर्माण कार्य और पार्कों की सिंचाई इत्यादि कार्यों में इस्तेमाल को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन गैर पीने योग्य उपयोग के कार्यों में कुछ जगह ट्यूबवेल के पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि इन कार्यों में शोधित पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। डीजेबी उपाध्यक्ष ने अधिकारियों को गैर पीने योग्य उपयोग के कार्यों में ट्यूबवेल्स की जगह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के शोधित पानी के इस्तेमाल को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए । उन्होंने कहा कि कृषि, सिंचाई, औद्योगिक, निर्माण कार्य और सड़कों की धुलाई जैसे कार्यों में शोधित पानी का इस्तेमाल कर भूजल संरक्षण कर पीने के पानी की बचत की जा सकती है। जिससे पीने के पानी की उपलब्धता को भी बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पानी की हर बूंद कीमती है, इसलिए इसका इस्तेमाल सोच- समझ कर करना आवश्यक है। पीने के पानी का इस्तेमाल गैर पीने योग्य उपयोग कार्य में होने से एक तरह से पीने के पानी की बर्बादी करना है। जिस पीने के पानी से लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है, उस पानी का गैर पीने योग्य उपयोग के कार्यों में इस्तेमाल उचित नहीं है।
दिल्ली में 547 एमजीडी शोधित पानी उपलब्ध
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती ने बताया कि दिल्ली में सीवरेज के पानी को शोधित करने के लिए 35 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया गया है। इन सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में रोजाना 547 एमजीडी से ज्यादा शोधित पानी का उत्पादन होता है। डीजेबी के ज्यादातर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के शोधित पानी का मानक 10/10 का है। यह मानक अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल है। इस शोधित पानी को गैर पीने योग्य उपयोग के कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकता है। दिल्ली जल बोर्ड शोधित पानी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड आर्टिफिशियल झीलों का निर्माण कर शोधित पानी से भूजल को रिचार्ज कर रहा है। वहीँ दूसरी तरफ गैर पीने योग्य उपयोग के कार्यों में शोधित पानी के इस्तेमाल के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। शोधित पानी का जितना ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा, पीने के पानी की उतनी ज्यादा बचत की जा सकती है। अगर शोधित पानी का भरपूर इस्तेमाल किया जाए तो दिल्ली में पानी की मांग से ज्यादा उत्पादन किया जा सकता है।
इन खास इलाकों में मिलेगी ट्यूबवेल की अनुमति
इस बैठक में तय किया गया कि दिल्ली जल बोर्ड उन्हीं इलाकों में ट्यूबवेल लगाने की अनुमति का समर्थन देगा जहां पर पाइप लाइन से पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। डीजेबी उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती ने कहा कि जिन इलाकों में दिल्ली जल बोर्ड पीने के पानी की पर्याप्त आपूर्ति कर रहा है उन इलाकों में ट्यूबवेल लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह फैसला दिल्ली के भूजल स्तर में लगातार आ रही गिरावट के मद्देनजर लिया गया है। इससे भूजल स्तर की गिरावट को रोकने में मदद मिलेगी और गैर पीने योग्य उपयोग के कार्यो में पीने योग्य पानी के इस्तेमाल में भी कमी आएगी।
जिला राजस्व आयुक्त और एसडीएम को है अवैध ट्यूबवेल सील करने का अधिकार
डीजेबी उपाध्यक्ष ने बताया कि नियमों के मुताबिक दिल्ली जल बोर्ड अवैध ट्यूबवेल के खिलाफ कारवाई करने के लिए अधिकृत नहीं है। अवैध ट्यूबवेल को सील करने का अधिकार संबंधित क्षेत्र के जिला राजस्व आयुक्त और एसडीएम का है। अवैध ट्यूबवेल को सील करने की कारवाई संबंधित क्षेत्र के राजस्व जिला आयुक्त और एसडीएम द्वारा की जायेगी।