बजट के विचार कांग्रेस के घोषणापत्र से कॉपी किए गए- चिदंबरम

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*बजट में बेरोजगारी और महंगाई को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, किसानों की हुई अनदेखी

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अपने बजट में कांग्रेस के घोषणापत्र से कुछ विचार कॉपी करने पर उन्हें ख़ुशी है पर काश सरकार ने कांग्रेस के घोषणापत्र से और भी कई विचार अपनाए होते।

नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री ने रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना, युवाओं को भत्ता देने वाली अप्रेंटिसशिप योजना और एंजल टैक्स को खत्म करने के कांग्रेस के प्रस्तावों में निहित विचारों को ही अपनाया है।

बेरोजगारी की समस्या के लिए सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि बजट में बेरोजगारी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। वित्त मंत्री द्वारा घोषित योजनाओं से 290 लाख लोगों को लाभ मिलने का दावा बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया आँकड़ा है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। कुछ दर्जन रिक्तियों या कुछ हजार पदों के लिए लाखों उम्मीदवार आवेदन करते हैं और परीक्षा देते हैं या साक्षात्कार देते हैं। उन्होंने सीएमआईई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश की बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत है।

महंगाई को दूसरी बड़ी चुनौती बताते हुए उन्होंने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 3.4 प्रतिशत, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत और खाद्य मुद्रास्फीति 9.4 प्रतिशत है। महंगाई के प्रति सरकार के लापरवाह रवैये की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि बजट भाषण में ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे यह भरोसा हो सके कि सरकार इस मुद्दे से गंभीरता से निपटेगी। उन्होंने कहा, आर्थिक सर्वेक्षण ने महंगाई के मुद्दे को कुछ ही वाक्यों में खारिज कर दिया और वित्त मंत्री ने अपने भाषण में भी इसे दस शब्दों में खारिज कर दिया।

चिदंबरम ने कहा कि बजट में शिक्षा से संबंधित मुद्दों जैसे कि नीट और घोटाले से घिरे एनटीए पर कुछ नहीं कहा गया। कई राज्यों ने मांग की है कि नीट को खत्म कर दिया जाना चाहिए और राज्यों को चिकित्सा शिक्षा के विभिन्न पाठ्यक्रमों में उम्मीदवारों के चयन के लिए अपने तरीके अपनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

स्वास्थ्य सेवा पर खर्च में गिरावट के बारे में उन्होंने बताया कि यह जीडीपी के अनुपात में 0.28 प्रतिशत और कुल व्यय के अनुपात में 1.9 प्रतिशत तक गिर गया है। वित्त मंत्री ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में गंभीर कमियों के बारे में बात नहीं की।

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले छह वर्षों में मजदूरी की वेतन दर स्थिर रही है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि हर तरह के रोजगार के लिए न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये प्रति दिन तय की जानी चाहिए।

चिदंबरम ने किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी का मुद्दा भी उठाया, जिसका बजट में उल्लेख नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर बेरोजगारी के कारण, शिक्षा ऋण लेने वाले कई छात्र ब्याज या मूलधन के भुगतान में चूक गए हैं। सरकार को राहत के एकमुश्त उपाय के रूप में शिक्षा ऋण की बकाया राशि को माफ कर देना चाहिए।

उन्होंने अग्निपथ योजना का भी जिक्र करते हुए कहा कि इसके खिलाफ विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक सैन्य बलों में भर्ती की पुरानी प्रणाली बहाल नहीं हो जाती।

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह देखकर काफी खुशी हुई कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के न्याय पत्र को बड़ी तल्लीनता से पढ़ा है। उनका ये कुर्सी बचाओ बजट एक तरह से कांग्रेस के न्याय पत्र का कॉपी-पेस्ट है। हमें आशा और विश्वास है कि आने वाले दिनों में वह हमारे घोषणा पत्र से और भी अच्छी चीजें उठाएंगी, जिससे देश के लोगों को लाभ मिलेगा।

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