- फरवरी-मार्च में ही ‘‘आप’’ सरकार ने इनको पक्का करने का प्रस्ताव सदन में पास किया था, तब भी बीजेपी पक्का नहीं कर रही- अंकुश नारंग
- ‘‘आप’’ की सरकार ने 12 हजार कर्मचारियों को वेतन देने के लिए 800 करोड़ रुपए के बजट का भी प्रावधान किया था- अंकुश नारंग
- दलालों की बीजेपी नेताओं-अफसरों से सेटिंग है, कर्मचारियों से लाखों रुपए कमाने के लिए उन्हें पक्का नहीं किया जा रहा है- अंकुश नारंग
- एमसीडी में सिंगल विंडो सिस्टम बनाया जाए, जहां कर्मचारी पक्का होने के लिए आवेदन दे सकें और दलालों से बच सकें- अंकुश नारंग
- अधिकारी कर्मचारियों को पक्का होने के लिए उनकी अटेेंडेंस मांगते हैं, जबकि अटेंडेंस देने की जिम्मेदारी एमसीडी की है- अंकुश नारंग
- कच्चे कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद कैशलेस मेडिकल स्कीम समेत कोई रिटायरमेंट लाभ नहीं मिल पाता है- अंकुश नारंग
भाजपा की चार इंजन की सरकार होने के बावजूद भी एमसीडी में कर्मचारियों की नई भर्ती करने में विफल:- अंकुश नारंग
आम आदमी पार्टी ने एमसीडी में कार्यरत 12 हजार कर्मचारियों को तत्काल पक्का करने की मांग की है। एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने कहा कि फरवरी-मार्च में ही ‘‘आप’’ की सरकार ने इन कर्मचारियों को पक्का करने का प्रस्ताव सदन में पास कर दिया था। फिर भी बीजेपी इन्हें पक्का नहीं कर रही है। ‘‘आप’’ की सरकार ने इनको वेतन देने के लिए 800 करोड़ रुपए के बजट का भी प्रावधान कर दिया था। बीजेपी शासित एमसीडी जानबूझ कर इन कर्मचारियों को पक्का नहीं कर रही है, क्योंकि दलालों की बीजेपी नेताओं और अफसरों से सेटिंग है। ये चाहते हैं कि कर्मचारी मजबूर होकर दलालों के पास जाएं और पक्का होने के लिए लाखों रुपए दें। ‘‘आप’’ मांग करती है कि पक्का करने में पारदर्शिता लाने के लिए एमसीडी में सिंगल विंडो सिस्टम बनाया जाए, जहां कर्मचारी पक्का होने के लिए आवेदन दे सकें और इन दलालों से बच सकें।
एमसीडी में आदमी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने बुधवार को सिविक सेंटर में प्रेस वार्ता कर कहा कि एमसीडी की ‘‘आप’’ सरकार ने फरवरी-मार्च के हाउस में 12 हजार कर्मचारियों को पक्का करने का प्रस्ताव पास किया था। ये दिहाड़ी मजदूर और संविदा कर्मचारी हैं, जो अपनी नौकरी नियमित होने का इंतजार कर रहे हैं। एमसीडी में हाउस सबसे बड़ा होता है। अगर हाउस में कोई प्रस्ताव पास हो गया, उसे वैध माना जाता है। फिर भी ये लोग चार महीने बाद भी कर्मचारियों को पक्का नहीं कर रहे हैं। ये कह सकते हैं कि 12 हजार कर्मचारियों को पक्का कर देंगे तो सैलरी कहां से देंगे? जबकि ‘‘आप’’ की सरकार ने बजट में कट मोशन लगाया था। जिसमें 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया और 300 करोड़ रुपए का दूसरा कट मोशन लगाया गया। यानी कुल 800 करोड़ पास किए गए। जब बजट में संशोधन हो गया और कर्मचारी हाउस से पक्के हो गए, तो फिर भाजपा इन कर्मचारियों को पक्का क्यों नहीं होने दे रही? बीजेपी यह कौन सी राजनीति कर रही है।
अंकुश नारंग ने कहा कि एमसीडी के कई जोनों में 1998 में नियुक्त सफाई कर्मचारी अभी तक पक्के नहीं हो पाए, उनको काम करते हुए 27 वर्ष हो गए। जब कर्मचारी को पक्का करने की फाइल जाती है, तो अपनी उपस्थिति दिखाने को कहते हैं। ये कर्मचारी दिल्ली की जनता के लिए रोज सड़कें साफ करते हैं। फिर भी ये लोग उनसे हाजिरी मांग रहे हैं। कर्मचारी अपनी अटेंडेंस रखेगा या नियोक्ता यानी एमसीडी कर्मचारी का अटेंडेंस का रिकॉर्ड अपने पास रखेगी। अगर ये पक्का नहीं होंगे तो रिटायरमेंट के बाद इनको कोई लाभ नहीं मिलेगा। अभी 60 कर्मचारी रिटायर हुए हैं। विदाई पार्टी में मेयर राजा इकबाल सिंह ने उनको खाली लिफाफा पकड़ा दिया। उनको चेक, रिटायरमेंट लाभ, कैशलेस मेडिकल योजना किसी का लाभ नहीं मिला।
अंकुश नारंग ने कहा कि 2021-22 में 82 कर्मचारियों को पक्का किया गया, जबकि 2004 में पक्का होना था। इन 84 कर्मचारियों का कहना है कि उनके बाद पक्के हुए 94 कर्मचारियों को 2004 से पक्का माना जा रहा है तो उन्हें भी 2004 से पक्का माना जाए। डम्स विभाग ने 25 कर्मचारी लिया और उन्हें कस्तूरबा गांधी अस्पताल में भेज दिया। अब ये कर्मचारी पक्का करने की मांग कर रहे हैं। हेल्थ विभाग इन्हें डम्स भेज रहे हैं, जबकि डम्स वाले उनहें हेल्थ विभाग में भेज रहे हैं। इन कर्मचारियों को समझ ही नहीं आ रहा है कि उन्हें जाना कहां है।
अंकुश नारंग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि अगर किसी कर्मचारी की एक साल में 240 दिन की हाजिरी है, तो उसे पक्का किया जा सकता है। बीजेपी की एमसीडी सुप्रीम कोर्ट की इस गाइडलाइन को भी नहीं मानती है। एमसीडी किस नियम से चलती है और भाजपा इसे किस तरह चलाना चाहती है? 15 साल भाजपा शासन में एमसीडी अंधकार में गई और अब फिर से बीजेपी इसे अंधकार में ले जा रही है।
उन्होंने कहा कि कुछ दलालों की बीजेपी नेताओं और बड़े-बड़े अधिकारियों के साथ सेटिंग है। ये दलाल कर्मचारियों से लाखों रुपए लेकर उनको पक्का कराने की बात कहते हैं और परेशान हो चुके कर्मचारी उसकी बात मान भी जाते हैं। इस भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन एमसीडी में बैठे अधिकारी दे रहे हैं। अधिकारी जटिल नीति लाते हैं, ताकि कर्मचारी आसानी से पक्के न हो सकें। इस भ्रष्टाचार को बीजेपी के नेता बढ़ा रहे हैं, जो मेयर, स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन बने बैठे हैं। ये लोग स्टैंडिंग कमेटी में कर्मचारियों का मुद्दा नहीं लाते हैं। इसलिए हाउस में पास होने के बाद भी इन्होंने 12 हजार कच्चे कर्मचारियां को पक्का नहीं किया है, ताकि ये दलालों को पैसा दें और पक्के हों।
अंकुश नारंग ने कहा कि 1998 से एमसीडी के कर्मचारी पक्के नहीं हुए हैं। शिक्षा विभाग में 1995 से 2002 की वरिष्ठता सूची बनाई है। भाजपा सत्ता पर काबिज तो हो गई, लेकिन उसके पास कर्मचारियों के लिए कोई योजना नहीं है। बीजेपी शासित एमसीडी से मांग है कि वह एक सिंगल विंडो सिस्टम बनाए, जहां कर्मचारी पक्का होने का आवेदन दे और सारे दस्तावेजों की जानकारी वहीं मिले। अगर रिकॉर्ड रूम में किसी कर्मचारी की अटेंडेंस पड़ी है और वहां आग लग जाए, तो कर्मचारी कभी पक्का नहीं होगा। क्योंकि वह कभी अपनी अटेंडेंस नहीं ला पाएगा। जबकि रिकॉर्ड सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी एमसीडी की थी, फिर कर्मचारी की गलती क्या थी?
अंकुश नारंग ने बीजेपी से पूछा कि क्या वह 12 हजार कर्मचारियों को पक्का करेगी। राजा इकबाल सिंह को मेयर बने दो महीने से ज्यादा हो गए, लेकिन उन्होंने कभी भी कर्मचारियों, सफाई, कंसेशनरी या कूड़े के पहाड़ पर बात नहीं की। क्या मेयर और भाजपा सिर्फ सत्ता का लुत्फ उठाने आए हैं? क्या बीजेपी कच्चे कर्मचारियों के प्रति कोई संवेदना रखती है या सिर्फ दिखावा है? भाजपा 12 हजार कर्मचारियों को तत्काल पक्का करे। इनके वेतन के लिए 800 करोड़ का प्रावधान किया गया है। साथ ही, तुरंत एक सिंगल विंडो सिस्टम बनाए, जहां कर्मचारी पक्का होने की अर्जी दे सके। एमसीडी और भाजपा मिलकर जो भ्रष्टाचार कर रही है, उस पर तुरंत रोक लगे।