चीन, फ्रॉस, मध्य यूरोप और इटली की तर्ज पर दिल्ली में जलापूर्ति की निगरानी करेगी केजरीवाल सरकार

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  • इन देशों में स्केडा सिस्टम के तहत जलापूर्ति का प्रबंधन होता है, अब दिल्ली में भी इस सिस्टम के तहत हो सकेगा पानी का प्रबंधन
  • 31 दिसंबर 2023 तक पूरी दिल्ली में बचे फ्लोमीटर लगाने काम हर हाल में पूरा करें- अरविंद केजरीवाल
  • एक जुलाई से दिल्ली जल बोर्ड पूरी दिल्ली में जलापूर्ति का सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग करना शुरू कर देगा
  • सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग की मदद से जरूरत के अनुसार दिल्ली के विभिन्न इलाकों में पानी की आपूर्ति की जा सकेगी

चीन, फ्रॉस, मध्य यूरोप और इटली की तरह दिल्ली में जलापूर्ति को व्यवस्थित करने को लेकर युद्ध स्तर पर काम कर रही है, ताकि दिल्ली के सभी इलाकों में जरूरत के अनुसार पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। गुरुवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर जलापूर्ति को व्यवस्थित करने के लिए पूरी दिल्ली में फ्लोमीटर का काम हर हाल 31 दिसंबर तक पूरा करने के सख्त निर्देश दिए। वहीं, एक जुलाई से दिल्ली जल बोर्ड जलापूर्ति का सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग करना शुरू कर देगा। इसके आधार पर आवश्यकता के अनुसार दिल्ली के विभिन्न इलाकों में पानी की आपूर्ति की जा सकेगी। इस व्यवस्था को लागू होने के बाद दिल्ली के किसी भी इलाके में पानी की अतिरिक्त या कम आवश्यकता होने की सेंट्रलाइज्ड जानकारी मिल सकेगी और इसके आधार पर दिल्ली जल बोर्ड उस इलाके में आवश्यकतानुसार जलापूर्ति को लेकर निर्णय ले सकेगा।

दिल्ली सचिवालय में आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डीजेबी के अधिकारियों से फ्लोमीटर लगाने की प्रगति की जानकारी ली। इस दौरान सीएम ने पाया कि पिछली बैठक में दिए गए निर्देशों के अनुसार कार्य पूरा नहीं हुआ है। इस पर उन्होंने कडी नाराजगी जताई। मुख्यमंत्री ने प्राइमरी और सेकेंडरी यूजीआर पर फ्लोमीटर लगाने की समय सीमा भी तय की, ताकि दिल्ली में पानी की उपलब्धता और सप्लाई की पूरी जानकारी सरकार के पास उपलब्ध हो। इसके लिए 31 दिसंबर तक दिल्ली जल बोर्ड को बाकी बचे सभी फ़्लोमीटर को लगाने का काम पूरा करना होगा। दिल्ली सरकार स्केडा सिस्टम के तहत दिल्ली में पानी की आपूर्ति को व्यवस्थित करने पर काम कर रही है। चीन, फ्रॉस, मध्य यूरोप और इटली समेत कुछ देशों में स्केडा सिस्टम से वाटर नेटवर्क का प्रबंधन किया जाता है। बैठक में जल मंत्री सौरभ भारद्वाज, दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती और डीजेबी के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

सीएम अरविंद केजरीवाल हर स्तर पर पानी की बर्बादी रोकने को लेकर गंभीर

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली में उपलब्ध सीमित पानी की हर स्तर पर किसी भी तरह की बर्बादी को रोकने को लेकर बेहद गंभीर हैं। समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने पानी की एक-एक बूंद को सहेजने पर बल दिया। दिल्ली जल बोर्ड के आंकलन के अनुसार, दिल्ली में उपलब्ध बहुत सारे पानी का कोई लेखा जोखा नहीं है। यह पानी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में सप्लाई तो किया जा रहा है, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड के ऑडिट सिस्टम के अंदर पानी नहीं आ पा रहा है। पिछले 20-30 वर्षों के अंदर अलग-अलग कारणों से पानी की जो मुख्य लाइन जाती थी, वहां से पानी की टैपिंग विभिन्न इलाकों में दी गई हैं। इस वजह से कई इलाकों अंदर पानी कम प्रेशर से आता है तो कई इलाकों में पानी नहीं पहुंच पाता है।

दिसंबर तक सभी प्राइमरी और सेकेंडरी यूजीआर पर लग जाएंगे फ्लोमीटर

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर बीते वर्षों में पाइप लाइन के उपर फ्लोमीटर लगाने काम तेजी से आगे बढा है। दिल्ली जल बोर्ड ने अभी तक प्राइमरी स्तर पर करीब 352 फ्लोमीटर इंस्टॉल किया है और करीब 108 फ्लोमीटर इंस्टॉल करने की जरूरत है। इसके अलावा सेकेंडरी मेन वाटर लाइन के 4053 लोकेशन पर फ्लोमीटर लगाने की जरूरत है और अभी तक 2456 पाइप लाइन के उपर फ्लोमीटर लग चुके हैं, जबकि 1537 फ्लोमीटर अभी लगाए जाएंगे। समीक्षा बैठक में सीएम अरविंद केजरीवाल ने फ्लोमीटर लगाने को लेकर अलग-अलग समय सीमा तय की है। इसके अनुसार, 31 दिसंबर 2023 तक सभी प्राइमरी और सेकेंडरी नेटवर्क पर फ्लोमीटर लगा दिए जाएंगे।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने फ्लोमीटर लगाने में हो रही देरी पर जताई नाराजगी

समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों को जल्द से जल्द सभी जरूरी पाइप लाइनों के उपर फ्लोमीटर लगाने का काम पूरा करने के सख्त निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने फ्लोमीटर लगाने में हो रही देरी पर कडी नाराजगी जताई और सबकी एक टाइम लाइन तय कर दी है। सीएम द्वारा तय टाइम लाइन के अंदर दिल्ली जल बोर्ड को प्राइमरी और सेकेंडरी यूजीआर पर फ्लोमीटर लगाने होंगे। सीएम अरविंद केजरीवाल ने अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि सभी फ्लोमीटर का डेटा सेंट्रल लोकेशन भी प्रदर्शित किया जाए, ताकि उसकी नियमित निगरानी कर पानी के असमान वितरण को कंट्रोल किया जा सके।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने डीजेबी को दी ये टाइम लाइन

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फ्लोमीटर लगाने का काम पूरा करने के लिए एक समय सीमा तय कर दी है और दिल्ली जल बोर्ड को इसी समय सीमा के अंदर हर हाल में काम पूरा करने का निर्देश दिया है। सीएम द्वारा तय टाइम लाइन के अनुसार, अगले 22 दिनों के अंदर बिड के लिए आवेदन ले लिए जाएंगे और 20 अगस्त 2023 तक काम का आवंटन कर दिया जाएगा। इसके अलावा, मटेरियल की आपूर्ति जैसे-जैसे होती जाएगी, उसी के समानांतर फ्लोमीटर स्टॉल किए जाएंगे। इसके साथ-साथ फ्लोमीटर की टेस्टिंग और कमिशनिंग की जाएगी।

फ्लोमीटर लगने के बाद हर इलाके में हो सकेगी समान आपूर्ति

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद पानी की सप्लाई पर निगरानी कर रहे हैं। अगर पूरी दिल्ली के प्राइमरी और सेकेंडरी नेटवर्क सिस्टम में फ्लोमीटर लग जाएंगे और सभी फ्लोमीटर को स्केडा से जोड दिया जाएगा, तो दिल्ली जल बोर्ड के मुख्यालय में दिल्ली के सभी इलाके में हर पाइप लाइन में कितना पानी जा रहा है, एक-दो दिन पहले कितना पानी गया था, इन सारे डेटा की निगरानी डीजेबी के मुख्यालय में हो सकेगी। इस डेटा के अनुसार निर्णय लिए जा सकेंगे कि किस तरह से पानी को बचाया जा सकता है, किस तरह से जिन इलाकों में पानी कम आ रहा है, वहां अधिक सप्लाई हो सकती है, इन सबका डेटा कॉमन कमांड सेंटर में उपलब्ध हो जाएगा।

फ्लोमीटर की मदद से पानी की सप्लाई की होगी सेंट्रल निगरानी

सीएम अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर दिल्ली जल बोर्ड पानी की आपूर्ति के सही डेटा की जानकारी सुनिश्चित करने के लिए एक ऑटोमैटिक सिस्टम विकसित कर रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि दिल्ली की सभी बड़ी टैपिंग्स में कितना पानी जा रहा है, दिल्ली के हर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से कितना पानी फिल्टर हो रहा है, हर प्राइमरी यूजीआर में कितना पानी आ रहा है और वहां से कितना पानी किस-किस इलाके में वितरित हो रहा है, इसकी पूरी डिटेल एक सेंट्रल लोकेशन पर आ सके और उसकी प्रतिदिन निगरानी हो सके। इसके लिए बहुत जरूरी है कि हर पानी की बडी मेन लाइन के उपर फ्लोमीटर लगे।

प्रेशर के साथ पानी के समान वितरण पर पर चल रहा काम- सौरभ भारद्वाज

जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि एक तरह से अभी दिल्ली के अंदर पानी का वितरण असमान है। इसे समान रूप से वितरित करने के साथ-साथ हर इलाके में अधिक प्रेशर से पानी पहुंचाना सुनिश्चित करने पर काम किया जा रहा है। इसके लिए यह पता लगाना बेहद आवश्यक है कि किस इलाके में कितना पानी सप्लाई हो रहा है। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कुछ गड़बड़ियों के कारण किसी इलाके का पानी की सप्लाई कम कर दी जाती है और किसी इलाके में पानी की सप्लाई बढ़ जाती है। पानी की सप्लाई का कोई ऑटोमैटिक तरीका नहीं है, जिससे दिल्ली जल बोर्ड को पता चल सके कि किस इलाके में आज की तारीख में कितना पानी जा रहा है और कल कितना पानी गया था। अभी इसका आंकलन मैनुअल तरीके से किया जाता है।

दिल्ली की आबादी बढ़ी लेकिन की पानी की उपलब्धता नहीं बढ़ी- सौरभ भारद्वाज

जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली के अंदर पानी की उपलब्धता सीमित है। दिल्ली को अपनी पानी की जरूरतों को बाहरी स्रोतों से पूरा करना पडता है। दिल्ली को ज्यादातर पानी यमुना और गंगा नदी से मिलता है। यह पानी भी दिल्ली की आबादी के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। 1994 में कुछ राज्यों के बीच पानी को लेकर समझौता हुआ था। उसमें पानी की एक लिमिट तय की गई थी। आज भी दिल्ली को उतना ही पानी मिल रहा है, जितना 1994 में तय हुआ था। जबकि अब दिल्ली की आबादी काफी बढ गई है।

इस तरह काम करता है फ्लोमीटर

हर पाइप लाइन के अंदर पानी के प्रेशर के अनुसार तय होता है कि उस पाइप लाइन से किसी एरिया में कितनी जलापूर्ति की जा रही है। किसी एरिया में सप्लाई होने वाले पानी की मात्रा का सही पता लगाने के लिए पाइप लाइन के उपर फ्लोमीटर लगाए जाते हैं। यह फ्लोमीटर पानी का प्रेशर मापता है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किस इलाके में किस पाइप लाइन से कितनी मात्रा में पानी भेजा गया। फ्लोमीटर एक हॉर्डवेयर है। इससे निकलने वाले डेटा को प्रोग्रामेबल लॉजिक डिवाइस (पीएलसी) में भेजा जाता है। इसके बाद पीएलसी से डेटा स्केडा में जाता है। स्केडा एक तरह का ग्रॉफिकल यूजर इंटरफेस होता है। इसको इंजीनियरिंग की भाषा में ह्यूमन मशीन इंटरफेस (एचएमआई) भी कहा जाता है। स्केडा में आए फ्लोमीटर के डेटा को समझकर ऑपरेटर निर्णय लेता है।

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