दिल्ली विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलॉजी विभाग द्वारा ‘कला उत्सव’ आयोजित

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दिल्ली विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलॉजी विभाग द्वारा डीयू संस्कृति परिषद के सहयोग से जी-20 सांस्कृतिक सह शैक्षणिक गतिविधियों के हिस्से के रूप में दो दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव, ‘कला उत्सव’ का आयोजन किया गया। 17 और 18 अक्टूबर को रामजस कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम में भारत, जापान और ब्राजील देशों को फोकस देशों के रूप में एक साथ लाया गया, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों और आपसी समझ को बढ़ावा देने में संस्कृति की शक्ति का प्रदर्शन करता है।

कला उत्सव में भारतीय, जापानी और ब्राजीलियाई संस्कृतियों का जीवंत मिश्रण प्रदर्शित किया गया, जो विभिन्न कला रूपों के माध्यम से उनकी समृद्ध विरासत, परंपराओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों का जश्न मनाने के लिए एक मंच प्रदान करता है। विभाग में चल रहे 19वें IUAES-WAU वर्ल्ड एंथ्रोपोलॉजी कांग्रेस में भाग लेने वाले 70 से अधिक विभिन्न देशों के विदेशी प्रतिनिधियों के साथ-साथ प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, विद्वानों, संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों की भागीदारी भी इस कार्यक्रम में देखी गई।

पहले दिन सांस्कृतिक संध्या में ईस्ट एशियाई अध्ययन विभाग ने भारत-जापान सांस्कृतिक संध्या प्रस्तुत करने में सहयोग किया। इसमें जापानी लोक नृत्य “सकुरा सकुरा ओडोरी”, क्यू साकामोटो द्वारा “उए वो मुइते अरुकौ (सुकियाकी)” की प्रस्तुति, जापानी कहानी “द चाइल्ड गॉड्स” को दर्शाने वाला एक नाटक और पंजाब के क्षेत्रीय भारतीय गीतों का मिश्रण सहित मनमोहक प्रदर्शन शामिल थे। महाराष्ट्र, बंगाल और केरल व आंध्र प्रदेश का कुचिपुड़ी नृत्य और मंत्रमुग्ध कर देने वाली बांसुरी-तबला जुगलबंदी भी इस शाम का हिस्सा रही। पहले दिन 17 अक्तूबर की शाम में मुख्य अतिथि के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के सीईओ प्रो. राजीव गुप्ता और विशिष्ट अतिथि, मिरांडा हाउस की प्रिंसिपल प्रो. बिजयलक्ष्मी नंदा उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने इस कार्यक्रम में एक प्रतिष्ठित आयाम जोड़ा, क्योंकि उन्होंने भारत-जापान संबंधों पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि साझा की।  

कार्यक्रम के दूसरे दिन 18 अक्तूबर को जी-20 इंडो-ब्राजील सांस्कृतिक संध्या के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा देने और आपसी समझ को बढ़ाने में संस्कृति की शक्ति को स्थापित करने का काम किया। कार्यक्रम में परंपराओं का एक मनोरम मिश्रण दिखाया गया, जिसमें शास्त्रीय संगीत, मोहिनीअट्टम नृत्य, 1950 के दशक से वर्तमान तक बॉलीवुड नृत्य के विकास की खोज, भारत से मारिंग युद्ध नृत्य और यूएफआरजे और आईसीसीआर के ब्राजीलियाई विद्वानों द्वारा ब्राजीलियाई प्रयोगात्मक नृत्य प्रदर्शन शामिल था। इसके अतिरिक्त, ब्राजील के फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ पियाउई से मैरिएन दा सिल्वा पिसानी द्वारा ‘ब्राजील में फुटबॉल और महिलाएं: राष्ट्रीय खेल के विकास में लैंगिक समानता’ विषय पर एक महत्वपूर्ण चर्चा हुई।

दूसरी शाम के मुख्य अतिथि के रूप में डीयू संस्कृति परिषद के चेयरपर्सन अनूप लाठर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे संस्कृति भौगोलिक सीमाओं को पार करती है और लोगों को एक साथ लाती है, जो हमारे देश की अविश्वसनीय विविधता को रेखांकित करती है। इंडो-ब्राजील कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में संस्कृति परिषद के डीन प्रो. रविंदर कुमार ने हमारी विरासत को संरक्षित करने के साधन के रूप में सदियों पुराने ज्ञान, सूचना और सांस्कृतिक परंपराओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पारित करने के महत्व पर जोर दिया।

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