दिल्ली के स्कूलों में प्रिंसिपल की कमी के लिए उपराज्यपाल जिम्मेदार, स्कूलों में प्रिंसिपल की ज़रूरत को समझने में एलजी को 8 साल लग गए- सौरभ भारद्वाज
- पंजाब चुनाव से पहले भाजपा-कांग्रेस कहती थी कि दिल्ली सरकार की वजह से स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं, लेकिन इस झूठ का पर्दाफाश करते हुए एलजी कह रहे हैं कि मैंने 126 प्रिंसिपल की पोस्ट सेंशन की है- सौरभ भारद्वाज
- दिल्ली में प्रिंसिपल भर्ती की फाइल भी शिक्षा मंत्री को नहीं दिखाई जाती, एलजी के हिसाब से सर्विस विभाग यूपीएससी को जवाब लिखता है- सौरभ भारद्वाज
- स्टडी के नाम पर दिल्ली के खिलाफ षड्यंत्र किया जा रहा है, एलजी कह रहे हैं कि स्टडी करवाओ कि 244 प्रिंसिपल चाहिए या नहीं?- सौरभ भारद्वाज
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के स्कूलों में प्रिंसिपल की कमी के लिए उपराज्यपाल जिम्मेदार हैं। स्कूलों में प्रिंसिपल की ज़रूरत को समझने में एलजी को 8 साल लग गए। पंजाब चुनाव से पहले भाजपा-कांग्रेस कहती थी कि दिल्ली सरकार की वजह से स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं। लेकिन इस झूठ का पर्दाफाश करते हुए एलजी कह रहे हैं कि मैंने 126 प्रिंसिपल की पोस्ट सेंशन की है। दिल्ली में प्रिंसिपल भर्ती की फाइल भी शिक्षा मंत्री को नहीं दिखाई जाती है। एलजी के हिसाब से सर्विस विभाग यूपीएससी को जवाब लिखता है। स्टडी के नाम पर दिल्ली के खिलाफ षड्यंत्र किया जा रहा है। एलजी कह रहे हैं कि स्टडी करवाओ कि 244 प्रिंसिपल चाहिए या नहीं? एलजी एक स्टडी यह भी करवा लें कि प्रिंसिपल सेक्रेटरी, कितने अधिकारी और कितने नौकर चाहिए।
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज नहीं पार्टी मुख्यालय में महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया। विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पिछले साल पंजाब में जब आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ रही थी तो भाजपा और कांग्रेस कहती थी कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार का एजुकेशन मॉडल झूठा है। क्योंकि स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं। तब हम चुनाव लड़ रहे थे तो इतना समय नहीं होता था कि इस झूठ के बारे में सच समझाया जाए। मगर यह झूठ लगातार भाजपा के प्रवक्ता हर टीवी डिबेट में आकर कहते थे कि देखिए दिल्ली सरकार के स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं। आज उस झूठ का पर्दाफाश स्वयं उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने कर दिया है। उन्होंने मीडिया को बताया कि मैंने 126 प्रिंसिपलों की पोस्ट सेंशन कर दी है। उन्होंने मान लिया है कि 126 प्रिंसिपलों की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि लोगों को दो बातें स्कूलों के बारे में जरूर पता होती हैं कि स्कूल में अध्यापक और एक प्रिंसिपल होता है। इसके लिए किसी को एलजी या आईएएस बनने की जरूरत नहीं होती है। इस बात को समझाने में दिल्ली सरकार को 8 साल लग गए। दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार चुनकर आई तो तुरंत शिक्षा के संबंध में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने काम करना शुरू किया। तब सबसे पहली प्राथमिकता दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चल रहे प्रिंसिपलों के खाली पदों के भरना था। उस समय 18 प्रिंसिपल लगाए गए। इसके अलावा 370 और प्रिंसिपल लगाने का प्रस्ताव यूपीएससी को भेजा गया जो कि केंद्र सरकार की संस्था है। प्रिंसिपल के पदों पर भर्ती की पूरी प्रक्रिया यूपीएससी से होती है, क्योंकि यह गजैटेड ऑफिसर की पोस्ट है। इसके बाद केंद्र सरकार ने जालसाजी से सर्विसेज अपने पास हथिया लिया।
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि तबसे दिल्ली में प्रिंसिपल से जुड़ी हुई फाइल भी मंत्री को नहीं दिखाई जाती। यूपीएससी को क्या भेजा जा रहा है और क्या जवाब मिल रहा है, यह सिर्फ एलजी देखा करते थे। दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री, मंत्री और विधानसभा को बाईपास किया जाता था। पिछले 8 वर्षों में कई बार सवाल लगाए गए। हमारे विधायक साथी ने सवाल लगाया कि मेरी विधानसभा के स्कूलों में कितने अध्यापक-प्रिंसिपल हैं और कितनों की जरूरत है। विधानसभा में शिक्षा विभाग ने जवाब दिया कि उपराज्यपाल के आदेश से यह बताया जाता है कि आपको इस तरह की सूचना विधानसभा में नहीं दी जा सकती है। क्योंकि कितने प्रिंसिपल और अध्यापक हैं, यह बात भी सर्विसेज के अंदर आती है। यह मामला सिर्फ केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के अधीन है। ऐसे में चुने हुए विधायक और विधानसभा को यह नहीं बताया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह कितने शर्म की बात है कि जो जानकारी आरटीआई के तहत उपलब्ध है। वह जानकारी केंद्र सरकार के आदेश के बाद विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भी विधायकों को नहीं दी गई। वहीं उपराज्यपाल आज इतना बड़ा झूठ कैसे बोल सकते हैं। एलजी विनय सक्सेना अपने कार्यालय से अखबारों को झूठ छापने का निर्देश देते हैं कि आप कहिए की दिल्ली की चुनी हुई सरकार की वजह से प्रिंसिपल नहीं आ पाए। यह हैरान कर देने वाली बात है। एलजी को यह काम करना था लेकिन 8 सालों में किया नहीं है। अब किया भी है तो आधा अधूरा किया है।
दिल्ली में चल रहे दूसरे षड्यंत्र की के बारे में बताते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में जो काम वर्षों से हो रहा था उसके ऊपर अब स्टडी हो रही है। अस्पतालों के अंदर कंप्यूटर ऑपरेटर ओपीडी कार्ड बनाते थे, उनको हटा दिया गया क्योंकि स्टडी हो रही है की इनकी जरूरत है या नहीं है। दिल्ली जल बोर्ड के अंदर ठेका कर्मचारी जो पानी की लाइनों को जोड़ने का काम करते हैं उन्हें भी हटा दिया गया क्योंकि इसके ऊपर भी अध्ययन हो रहा है। विभागों को जो पैसा लगातार मिलता रहता था उसे भी रोक दिया गया क्योंकि उसकी भी स्टडी हो रही है।
मैं जानना चाहता हूं कि 370 प्रिंसिपलों की आवश्यकता थी लेकिन एलजी ने 126 पदों पर भर्ती के लिए कहा है तो 244 स्कूलों का क्या होगा? ऐसे में क्या 244 स्कूलों को प्रिंसिपल चाहिए, इसकी भी स्टडी होगी? एलजी कार्यालय के अंदर प्रिंसिपल सेक्रेटरी होगा या नहीं होगा, इसकी भी स्टडी क्यों उपराज्यपाल नहीं करा लेते हैं। उपराज्यपाल कार्यालय में कितने अधिकारी थे और कितनों की जरूरत है, इसकी स्टडी विनय सक्सेना को करानी चाहिए। एलजी के घर पर कितने नौकर थे और कितने होने चाहिएं, इसकी भी स्टडी क्यों नहीं करा लेते हैं। अपने कामों की भी स्टडी कराइए उपराज्यपाल विनय सक्सेना, सिर्फ दिल्ली के लोगों के कामों की स्टडी कराते रहेंगे। स्टडी का मतलब यह तो नहीं है कि आप काम रोक दें। पहले आप प्रिंसिपल लगा लीजिए। अगर स्टडी में यह सामने आता है कि कम प्रिंसिपलों की जरूरत है तो उनको दूसरी जगह भेज दीजिएगा। अगर अभी 244 प्रिंसिपलों की और जरूरत है तो आप 200 दे दीजिए और बाकी 44 की स्टडी करा लीजिए। अगर कम ज्यादा होंगे तो उनको पूरा कर लिया जाएगा। सिर्फ स्टडी के नाम पर दिल्ली के लोगों के खिलाफ षड्यंत्र किया जा रहा है। दिल्ली में बुजुर्गों की पेंशन रोकी गई, क्योंकि यह कोई नया सिस्टम बना रहे थे। अस्पतालों में ओपीडी के अंदर लोगों को हटा दिया गया, क्योंकि कोई नया सिस्टम बना रहे थे। दिल्ली जल बोर्ड का पैसा रोक लिया गया क्योंकि कोई नया सिस्टम बना रहे थे।
मुझे बहुत दुख है कि एलजी कार्यालय से इस तरह के झूठ प्रसारित किए जा रहे हैं और अखबारों के अंदर जबरदस्ती छपवाया जा रहा है। पूरी तरह से यह एलजी कार्यालय का दुरुपयोग है जो कि तुरंत प्रभाव से बंद होना चाहिए।