दिल्ली विश्वविद्यालय कल्चर काउंसिल द्वारा ‘कैम्पस कविता’ प्रतियोगिता आयोजित

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*बेहद सकारात्मक है कविता के प्रति युवाओं में उत्साह: प्रो. बलराम पाणी  

दिल्ली विश्वविद्यालय कल्चर काउंसिल एवं हिन्दवी द्वारा स्वरचित हिंदी कविता लेखन प्रतियोगिता ‘कैम्पस कविता’ कार्यक्रम का आयोजन शुक्रवार को उत्तरी परिसर स्थित कांफ्रेंस सेंटर में हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए आयोजित इस प्रतियोगिता में दिल्ली विश्वविद्यालय के लगभग 450 विद्यार्थियों ने भाग लिया। समारोह के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणी ने जीवन में कविता के महत्व को रेखांकित करते हुए इस विशेष कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए कल्चर काउंसिल को बधाई दी। उन्होंने कहा कि कविता के प्रति युवाओं में इस तरह का उत्साह बेहद सकारात्मक है।

कल्चर काउंसिल के अध्यक्ष अनूप लाठर ने जीवन में सृजनात्मकता की आवश्यकता पर बल देते हुए विद्यार्थियों से रचनाशील बने रहने और पूरे विश्वास के साथ लेखन का अभ्यास करने का आह्वान किया। कल्चर काउंसिल के अधिष्ठाता प्रो. रविंदर कुमार ने अपने स्वागत उद्बोधन में ‘कैम्पस कविता’ प्रतियोगिता की पूरी प्रक्रिया और उसके महत्व को स्पष्ट करने के साथ ही कल्चर काउंसिल की गतिविधियों एवं उपलब्धियों से भी परिचित कराया। उन्होंने कविता के वर्तमान परिदृश्य और उसमें युवाओं की इतनी बड़ी भागीदारी को बेहद ख़ास बताया।

समारोह के दूसरे सत्र की अध्यक्षता दक्षिणी परिसर, दिल्ली विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. श्रीप्रकाश सिंह ने की। उन्होंने कहा कि कविता संस्कृति एवं राष्ट्र की प्रोन्नति में बेहद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस संदर्भ में उन्होंने कविता में देश राग, लोक तत्त्व आदि के महत्व पर विस्तार से अपनी बातें रखीं। इस कार्यक्रम में निर्णायक की भूमिका निभा रहे प्रो. अनिल राय, प्रो. सविता सिंह, प्रो श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ एवं पूनम अरोड़ा ने विद्यार्थियों को काव्य लेखन की बारीकियों से परिचित कराने के साथ ही अपनी कविताओं का पाठ भी किया। समारोह में कल्चर काउंसिल संचालन समिति के उपाध्यक्ष प्रो. परमजीत सिंह भी शामिल थे। इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन डॉ. चारु कालरा एवं दूसरे सत्र का संचालन डॉ. विजय कुमार मिश्र ने किया। कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन कल्चर काउंसिल के संयुक्त अधिष्ठाता डॉ. हेमंत वर्मा ने किया।  

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