पीएम मोदी मणिपुर को लेकर अपने घोर कुप्रबंधन के कारण संसद में बयान देने और बहस करने से डर रहे हैं- कांग्रेस

Listen to this article

*मणिपुर हिंसा पर संसद में व्यापक बहस हो और प्रधानमंत्री संसद में आकर बयान दें- कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को कहा कि मणिपुर हिंसा पर संसद में प्रधानमंत्री मोदी संसद में आकर विस्तृत बयान दें और नियम 267 के तहत बहस हो। यदि नियम 267 के तहत चर्चा होगी तो मणिपुर पर मरहम लगाने का काम होगा। कांग्रेस ने कहा कि सभी मणिपुर हिंसा पर चर्चा चाहते हैं, मगर प्रधानमंत्री मोदी ही ऐसे व्यक्ति हैं, जो मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री मणिपुर को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के घोर कुप्रबंधन के कारण संसद में बयान देने और बहस करने से डर रहे हैं।

यह बातें कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल और लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता करते हुए कहीं।

इससे पहले सोमवार सुबह संसद परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की प्रतिमा के सामने इंडिया गठबंधन के दलों के साथ मणिपुर हिंसा को लेकर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यह शर्मनाक है कि जब संसद सत्र चल रहा है तो प्रधानमंत्री सदन के बाहर बयान दे रहे हैं। मणिपुर हिंसा पर संसद के अंदर बयान देना उनका कर्तव्य है। विपक्षी दल नियम 267 के तहत सदन में बहस चाहते हैं। लेकिन मोदी सरकार के मंत्री कहते हैं कि केवल छोटी अवधि की चर्चा होगी, दूसरे कहते हैं कि केवल आधे घंटे की चर्चा होगी। नियम 267 के तहत घंटों बहस चल सकती है, वोटिंग भी हो सकती है, विपक्षी दल यही चाहते हैं। पहले प्रधानमंत्री का विस्तृत बयान आना चाहिए और संसद में 267 के तहत बहस होनी चाहिए। मोदी सरकार और भाजपा मणिपुर पर अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी और जवाबदेही से भाग नहीं सकती।

वहीं कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि मानसून सत्र के तीसरे दिन भी संसद की कार्यवाही नहीं हो सकी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार इंडिया दलों की मणिपुर में तीन मई के बाद की स्थिति पर प्रधानमंत्री के विस्तृत बयान की मांग नहीं मान रही है। इंडिया की स्पष्ट मांग है कि पहले प्रधानमंत्री सदन में बयान दें, उसके बाद इस पर चर्चा हो। प्रधानमंत्री सदन में बयान देने से आख़िर क्यों भाग रहे हैं?

वहीं प्रेस वार्ता में कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि राज्यसभा में नियम 267 के तहत जब कोई बड़ी घटना घटित हो तो सारे काम रोक लिए जाते हैं। राज्यसभा में उस विषय पर पूर्णतया चर्चा होती है। मणिपुर से ज्यादा गंभीर विषय कोई नहीं हो सकता। विपक्षी दल दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इंसानियत के लिए चर्चा चाहते हैं। मगर भाजपा नियम 267 के तहत विस्तृत चर्चा नहीं चाहती है। भाजपा सरकार छोटी अवधि के लिए चर्चा चाहती है। मामला गंभीर नहीं होता तो छोटी अवधि के लिए चर्चा होती है।

गोहिल ने कहा कि प्रधानमंत्री मणिपुर हिंसा पर चुप रहे। जब सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई, तब प्रधानमंत्री सदन के बाहर कुछ सेकंड के लिए मणिपुर पर बोले। उन्होंने कहा कि इंडिया के संसद सदस्य संजय सिंह ने कहा था कि पहले 267 पर न्याय करो। उन्होंने ना कोई कागज फाड़ा, ना टेबल पर चढ़े, ना ही उन्होंने कोई असंसदीय शब्द बोले, मगर उन्हें पूरे सत्र के लिए निष्कासित कर दिया गया। यह लोकतंत्र की हत्या है।

वहीं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि हम मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं, इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियां कह रही हैं कि वे चर्चा के लिए तैयार हैं। ऐसा लग रहा है कि एक ही व्यक्ति चर्चा के लिए तैयार नहीं है और वह हैं प्रधानमंत्री मोदी। प्रधानमंत्री अपने मणिपुर के घोर कुप्रबंधन के कारण संसद में बयान देने और बहस से डर रहे हैं।

गौरव गोगोई ने कहा कि चुनाव के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उत्तराखंड, गुजरात, त्रिपुरा में मुख्यमंत्री बदल दिए जाते हैं। मणिपुर में 82 दिनों से हिंसा हो रही है, महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। मगर देश के प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर पूरा विश्वास है।

Print Friendly, PDF & Email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *